AI का स्वर्ण युग: भारत बनेगा AI पावरहाउस!, 44 लाख करोड़ का प्रोजेक्ट; रिलायंस के साथ चल रही बात
AI का स्वर्ण युग: भारत बनेगा AI पावरहाउस!, 44 लाख करोड़ का प्रोजेक्ट; रिलायंस के साथ चल रही बात

AI का स्वर्ण युग: भारत बनेगा AI पावरहाउस!, 44 लाख करोड़ का प्रोजेक्ट; रिलायंस के साथ चल रही बात। ओपनएआई अपने 500 अरब डॉलर के स्टारगेट सुपरकंप्यूटिंग प्रोजेक्ट को भारत में लाने के लिए सिफी टेक्नोलॉजीज और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी भारतीय डाटा सेंटर कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है. भारत सरकार ने ओपनएआई से इस प्रोजेक्ट का एक बड़ा हिस्सा भारत में निवेश करने और भारतीय यूजर्स के डाटा को लोकल लेवल पर कलेक्ट करने का अनुरोध किया है।
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AI का स्वर्ण युग: भारत बनेगा AI पावरहाउस!, 44 लाख करोड़ का प्रोजेक्ट; रिलायंस के साथ चल रही बात
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के मोर्चे पर ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में काफी तेजी के साथ काम हो रहा है. दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क खुद इस मोर्चे को संभाले हुए हैं. चैटजीपीटी डेवलप करने वाली कंपनी ओपनएआई आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर काफी आगे बढ़ चुकी है. अब चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी भारत में एआई को लेकर मेगा प्रोजेक्ट लेकर आ रही है. ये प्रोजेक्ट 100 या 200 बिलियन डॉलर का नहीं बल्कि 500 बिलियन डॉलर यानी 44 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का है। AI का स्वर्ण युग: भारत बनेगा AI पावरहाउस!, 44 लाख करोड़ का प्रोजेक्ट; रिलायंस के साथ चल रही बात
ओपनएआई इसके लिए देश की कई डाटा सेंटर कंपनियों से बात कर रही है. वहीं ग्लोबल जाएंट की बातचीत एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज से भी बातचीत करने में जुटी हुई है. मुकेश अंबानी खुद इस सेक्टर में काफी आगे बढ़ चुके हैं. साथ ही जामनगर में दुनिया का सबसे बड़ा डाटा सेंटर बनाने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में ओपनएआई से बातचीत मुकेश अंबानी और उनके डाटा सेंटर के सपने के लिए काफी अहम है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर भारत में एआई के इस मेगा प्रोजेक्ट पर क्या जानकारी सामने आई है?AI का स्वर्ण युग: भारत बनेगा AI पावरहाउस!, 44 लाख करोड़ का प्रोजेक्ट; रिलायंस के साथ चल रही बात
इन कंपनियों से चल रही है बात
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार ओपनएआई भारत में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से संबंधित 500 अरब डॉलर के स्टारगेट प्रोजेक्ट को भारत लाने की प्लानिंग कर रही है. इस प्रोजेक्ट के लिए ओपनएआई एक इंटरनेशनल ज्वाइंट वेंचर बनाएगी. इसके लिए ग्लोबल जाएंट ने भारतीय डाटा सेंटर कंपनियों सिफी टेक्नोलॉजीज, योटा डेटा सर्विसेज, ई2ई नेटवर्क्स और सीटीआरएलएस डेटासेंटर्स के साथ प्रारंभिक चर्चा कर रही है. इस प्रोजेक्ट को लेकर जानकारी रखने वालों ने ईटी की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि चैटजीपीटी डेवलपर पिछले छह महीनों से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ भी समानांतर बातचीत कर रहा है. रिलायंस गुजरात के जामनगर में दुनिया का सबसे बड़ा डाटा सेंटर बनाने की योजना बना रहा है. लोगों ने बताया कि अब तक बातचीत डाटा सेंटर कंपनियों की स्थापित क्षमताओं से लेकर उनके स्पेस एक्सपेंशन और पॉवर अवेलेबिलिटी आदि पर केंद्रित रही है।AI का स्वर्ण युग: भारत बनेगा AI पावरहाउस!, 44 लाख करोड़ का प्रोजेक्ट; रिलायंस के साथ चल रही बात
भारत बन रहा है बड़ा बाजार
यह घटनाक्रम भारत सरकार द्वारा ओपनएआई से स्टारगेट प्रोजेक्ट को भारत लाने और भारतीयों का डाटा लोकल लेवल पर कलेक्ट करने के अनुरोध के बाद सामने आया है. एक अधिकारी ने कहा कि सरकार ने ओपनएआई से कहा है कि उन्हें 500 अरब डॉलर की इस परियोजना में से कम से कम कुछ अरब डॉलर भारत में निवेश करने चाहिए. अधिकारी ने कहा कि भारत ओपनएआई के लिए एक प्रमुख बाजार बनता जा रहा है और इसमें बड़ी आय अर्जित करने की भी क्षमता है, इसलिए कंपनी को 500 अरब डॉलर की स्टारगेट प्रोजेक्ट का एक बड़ा हिस्सा भारत में निवेश करना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि उसे देश के निवासियों का डाटा स्टोरेज और प्रोसेसिंग भी शुरू करना चाहिए क्योंकि माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी कंपनियों के देश में पहले से ही बड़े डाटा सेंटर हैं और मेटा और एडब्ल्यूएस का विस्तार हो रहा है. उन्होंने आगे कहा कि इससे उनकी विलंबता कम होगी और उनकी सर्विस में भी सुधार होगा. वैसे अभी तक ओपनएआई, रिलायंस इंडस्ट्रीज और डाटा सेंटर कंपनियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
500 अरब डॉलर का है स्टारगेट प्रोजेक्ट
एक डाटा सेंटर कंपनी के कार्यकारी ने नाम न बताने की शर्त पर ईटी की रिपोर्ट में कहा कि कुछ शुरुआती बातचीत शुरू हो गई है. हालांकि, अभी तक कुछ भी अंतिम चरण में नहीं पहुंचा है, उन्होंने कहा कि सवाल यह नहीं है कि वे किसी ग्लोबल या लोकल पार्टनर के साथ आगे बढ़ेंगे, बल्कि यह है कि उन्हें निर्बाध पॉवर सप्लाई कौन प्रदान कर पाएगा।
ओपनएआई ने जनवरी में स्टारगेट प्रोजेक्ट की घोषणा एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी के रूप में की थी, जिसका उद्देश्य अमेरिका में नए एआई इंफ्रा के निर्माण के लिए चार वर्षों में 500 अरब डॉलर का निवेश करना है. स्टारगेट में शुरुआती इक्विटी फंडर सॉफ्टबैंक, ओपनएआई, ओरेकल और एमजीएक्स हैं, जिसके अध्यक्ष सॉफ्टबैंक के मासायोशी सोन हैं. आर्म, माइक्रोसॉफ्ट, एनवीडिया, ओरेकल और ओपनएआई प्रमुख शुरुआती टेक पार्टनर हैं।
भारत में एक्सपैंड कर रहा ओपनएआई
ओपनएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सैम ऑल्टमैन ने पिछले महीने कहा था कि अमेरिका के बाद भारत कंपनी का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है और “अविश्वसनीय रूप से तेज़ी से विकास” के कारण यह सबसे बड़ा बाज़ार भी बन सकता है. कंपनी भारत में अपनी उपस्थिति को दोगुना कर रही है – वह नई दिल्ली में अपना पहला कार्यालय स्थापित कर रही है, सेल्स बढ़ाने के लिए लोकल लेवल पर नियुक्तियां बढ़ा रही है और भारत में ग्राहकों के लिए आकर्षक प्राइस ऑफर कर रही है।
इस महीने के अंत में भारत का दौरा करने वाले ऑल्टमैन ने पिछले महीने कहा था कि हम विशेष रूप से भारत में उत्पाद लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, लोकल पार्टनर्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि एआई भारत के लिए बेहतर काम कर सके और इसे देश भर के लोगों के लिए और अधिक किफायती बनाया जा सके. ग्रोथ रेट को देखते हुए, हम यहां काफी ध्यान दे रहे हैं.
एआई पर भारत की स्थिति
भारत की हिस्सेदारी दुनिया की एआई कंप्यूटिंग क्षमता के 1 फीसदी से भी कम है, जो ऐसे समय में एक बड़ा अंतर है जब देश जीपीयू हासिल करने और सॉवरेन एआई स्टैक बनाने की होड़ में हैं. उदाहरण के लिए, सरकार के इंडियाएआई मिशन के तहत, अब तक केवल 38,000 जीपीयू को ही पैनल में शामिल किया गया है. इसके विपरीत, ओपनएआई के लिए आवश्यक पैमाना चौंका देने वाला है. मार्केट रिसर्च फर्म मॉर्गन स्टेनली के अनुमान के अनुसार, 1 गीगावाट के हाइपरस्केल डाटा सेंटर को चार-पांच सालों में एनवीडिया के लगभग 135,000 सबसे एडवांस बी100 ब्लैकवेल चिप्स और 1.3 गीगावाट चौबीसों घंटे बिजली सप्लाई की आवश्यकता होगी.
भारत में हो रहा तेजी के काम
वर्तमान में, भारत की ज्वाइंट डाटा सेंटर क्षमता (नॉन-एआई क्लाउड) 1 गीगावाट से भी कम है, जो एक बड़ी चुनौती की ओर इशारा कर रही है. लेकिन कुछ सकारात्मक संकेत भी मिले हैं. समाचार रिपोर्टों के अनुसार, गूगल क्लाउड आंध्र प्रदेश में 1 गीगावाट का डाटा सेंटर और पावर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और संचालन स्वयं करने और 6 अरब डॉलर का निवेश करने जा रहा है. रिलायंस ने जामनगर में 1 गीगावाट क्षमता की सुविधा के साथ-साथ 10 अरब डॉलर (75,000 करोड़ रुपए) के निवेश से दुनिया का सबसे बड़ा नया ऊर्जा गीगा कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना भी बताई है। AI का स्वर्ण युग: भारत बनेगा AI पावरहाउस!, 44 लाख करोड़ का प्रोजेक्ट; रिलायंस के साथ चल रही बात







