अब बिना मोबाइल टॉवर के भी होगी कॉलिंग! ISRO लॉन्च करेगा ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट
अब बिना मोबाइल टॉवर के भी होगी कॉलिंग! ISRO लॉन्च करेगा ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट
अब बिना मोबाइल टॉवर के भी होगी कॉलिंग! ISRO लॉन्च करेगा ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) कल यानी बुधवार को ब्लूबर्ड ब्लॉक 2 सैटेलाइट लॉन्च करने वाला है. सुबह 8:54 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च व्हीकल मार्क-III M6 (LVM3-M6) मिशन के तहत इसे लॉन्च किया जाएगा।
अब बिना मोबाइल टॉवर के भी होगी कॉलिंग! ISRO लॉन्च करेगा ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट
कहा जा रहा है कि इस सैटलाइट से धरती की सबसे दूरदराज की जगहों पर भी मोबाइल की सेवा उपलब्ध रहेगी. पहाड़ों की चोटी हो, महासागर हो या रेगिस्तान… हर जगह आसानी से मोबाइल से बातचीत हो सकेगी.
LVM3 का नौवां मिशन ब्लूबर्ड ब्लॉक 2 ISRO का 101वां लॉन्च होगा. ये 2025 में भारतीय स्पेस एजेंसी का पांचवां मिशन और साल का 316वां ऑर्बिटल लॉन्च प्रयास होगा. इस मिशन में ISRO के LVM3 का इस्तेमाल किया जाएगा. जबरदस्त क्षमता के कारण इसे बाहुबली भी कहा जाता है. यह ऑपरेशन LVM3 का छठा एक्टिव मिशन और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा मैनेज किया जाने वाला तीसरा पूरी तरह से कमर्शियल लॉन्च है।
अमेरिका की कंपनी AST SpaceMobile ने ब्लूबर्ड ब्लॉक 2 डेवलप किया है. यह अमेरिका और ISRO के बीच दूसरा सहयोग है. जुलाई में ISRO ने 1.5 बिलियन डॉलर का NASA-ISRO सिंथेटिक अपर्चर रडार मिशन (NISAR) सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जिसका मकसद कोहरे, घने बादलों और बर्फ की परतों को भेदकर पृथ्वी के हाई-रिज़ॉल्यूशन स्कैन लेना है. AST SpaceMobile ने सितंबर 2024 में पहले ही पांच सैटेलाइट ब्लूबर्ड 1 से 5 लॉन्च कर दिए हैं. इस नेटवर्क को और बढ़ाने के मकसद से कंपनी ने दुनियाभर में 50 से ज्यादा बाइल ऑपरेटरों के साथ पार्टनरशिप की है।
टेलीकम्युनिकेशन के क्षेत्र में बड़ी तरक्की
सैटेलाइट टेलीकम्युनिकेशन के क्षेत्र में ये एक बड़ी तरक्की है. ये सैटलाइट स्पेस में जाएगा तो ये वही काम करेगा जो मोबाइल टॉवर करते हैं. ऑर्बिट में पहुंचने के बाद ब्लूबर्ड ब्लॉक 2 अपना 223 स्क्वायर मीटर का फेज़्ड एरे एंटीना तैनात करेगा, जो लो-अर्थ ऑर्बिट में सबसे बड़े कमर्शियल कम्युनिकेशन एंटीना का रिकॉर्ड बनाएगा. इस सैटलाइट का वजन लगभग 6.5 टन (6,500 किलोग्राम) है।
यह सैटेलाइट 120 मेगाबिट्स (MB) प्रति सेकंड की पीक स्पीड को सपोर्ट करने का दम रखता है, जो वॉयस, मैसेजिंग, डेटा ट्रांसफर और 4G और 5G दोनों नेटवर्क पर बिना रुकावट वीडियो स्ट्रीमिंग के लिए काफी तेज है. शुरुआती कवरेज का लक्ष्य अमेरिका है और बाद के चरणों में इंटरनेशनल रीच पर ध्यान दिया जाएगा. इसका मकसद ग्रामीण इलाकों, समंदर और फ्लाइट्स में लगातार बनी रहने वाली नेटवर्क की दिक्कतों को दूर करना है।
पारंपरिक सैटेलाइट्स के उलट ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को सीधे स्टैंडर्ड 4G और 5G स्मार्टफोन से कम्युनिकेट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह सैटेलाइट असल में स्पेस में एक पावरफुल सेल टावर की तरह काम करता है. एडवांस्ड एंटीना और सेलुलर स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करके यह धरती पर बिना किसी बदलाव वाले स्मार्टफोन से कनेक्ट हो सकता है, जिससे सैटेलाइट फोन, बाहरी एंटीना या दूसरे डिवाइस की ज़रूरत खत्म हो जाती है।
कैसे करता है काम?
जब कोई स्मार्टफोन सेल टावर की रेंज से बाहर चला जाता है तो वह ऑटोमैटिकली ब्लूबर्ड सैटेलाइट नेटवर्क से कनेक्ट हो सकता है. यूजर के नजरिए से कुछ भी नहीं बदलता. कॉल लगते हैं, मैसेज डिलीवर होते हैं और डेटा सर्विस वैसे ही काम करती रहती हैं जैसे वे आमतौर पर करती हैं. एकमात्र अंतर सिग्नल के रास्ते में होता है. यह जमीन पर मौजूद टावर के बजाय पृथ्वी से सैकड़ों किलोमीटर ऊपर ऑर्बिट में घूम रहे सैटेलाइट तक जाता है।
ब्लूबर्ड सैटेलाइट में लो अर्थ ऑर्बिट में अब तक लगाए गए कुछ सबसे बड़े फेज़्ड-एरे एंटीना लगे हैं, जिससे वे स्टैंडर्ड स्मार्टफोन से भेजे गए बहुत कमज़ोर सिग्नल को भी पकड़ सकते हैं. इसके बाद सैटेलाइट सिग्नल को एक ग्राउंड स्टेशन पर भेजता है, जिसे गेटवे कहा जाता है. गेटवे से सिग्नल को यूजर के मौजूदा मोबाइल ऑपरेटर नेटवर्क में भेजा जाता है. इसके बाद कॉल या डेटा सेशन अपनी मंजिल तक पहुंचता है और किसी भी दूसरे मोबाइल कनेक्शन की तरह काम करता है।
कितने लोगों को फायदा?
अगर यह सफल होता है तो ब्लूबर्ड ब्लॉक 2 अरबों लोगों के लिए कम्युनिकेशन के तरीके को बदल सकता है. डिजिटल एक्सेस में कमियों को खत्म कर सकता है और दुनिया के सबसे अलग-थलग इलाकों में भी सीधे मोबाइल कनेक्शन को मुमकिन बना सकता है।
अगर सबकुछ ठीक रहता है तो बिना मोबाइल टॉवर के आप इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकेंगे. साथ इंटरनेट कॉल की भी सुविधा मिलेगी. यह तकनीक स्टैंडर्ड स्मार्टफोन के साथ कम्युनिकेशन को संभव बनाती है, जिससे अतिरिक्त एंटीना या कस्टमाइज्ड हार्डवेयर की ज़रूरत नहीं पड़ती।






