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शाहडार के घने जंगल में दहशत, जंगली जानवरों के डर से स्कूल नहीं जा पा रहे बच्चे, मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्राम खरहटा

 

शाहडार के घने जंगल में दहशत, जंगली जानवरों के डर से स्कूल नहीं जा पा रहे बच्चे, मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्राम खरहट

ढीमरखेड़ा। कटनी जिले के ढीमरखेड़ा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत जिर्री का आश्रित ग्राम खरहटा शाहडार के घने जंगलों के बीच बसा हुआ है। जंगल से सटे इस गांव में जंगली जानवरों की लगातार आवाजाही के कारण ग्रामीण दहशत के साए में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। शेर, तेंदुआ, भालू और जंगली सूकर जैसे खतरनाक जानवरों के मिलने से स्कूली बच्चों का घर से बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है, जिसके चलते बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है।
ग्रामीणों ने बताया कि मुख्य मार्ग से गांव की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है, लेकिन आज तक गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका है। बच्चों को कच्चे और जंगली रास्ते से होकर स्कूल जाना पड़ता है, जहां हर समय जानवरों के हमले का खतरा बना रहता है। गांव में बिजली की व्यवस्था भी नहीं है, जिससे रात के समय भय और बढ़ जाता है।
गांव में स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आशा कार्यकर्ता जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि लाड़ली बहना योजना का लाभ भी कई पात्र महिलाओं को नहीं मिल पा रहा है। महिला ग्रामीण पार्वती यादव और दस्सो यादव ने कहा कि वर्षों से समस्याओं की जानकारी प्रशासन को दी जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के सीईओ यजुर्वेद कोरी गांव पहुंचे और ग्रामीणों से सीधे संवाद किया। चर्चा के दौरान यह चौंकाने वाली बात सामने आई कि डिजिटल इंडिया के दौर में भी ग्राम खरहटा बिजली, पक्की सड़क, स्कूल, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है। जंगली जानवर घरों के आसपास घूम रहे हैं और पालतू पशुओं का शिकार कर रहे हैं, जिससे पूरे गांव में भय का माहौल व्याप्त है।
जनपद सीईओ ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि सड़क, बिजली, शिक्षा, आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता एवं अन्य मूलभूत समस्याओं का शीघ्र निराकरण कराया जाएगा। इस आश्वासन के बाद ग्रामीणों में राहत और खुशी देखी गई। मौके पर केहर सिंह, मुन्ना, पुरुषोत्तम, कमलेश, हरभजन, प्रीति, सोमवती, गुड्डी बाई, जोन बाई, अंबाबाई, पूजा बाई, अनार बाई, महतो बाई, गोरी बाई, दस्सो और पार्वती सहित अनेक ग्रामीण मौजूद रहे।

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