8वां वेतन आयोग: कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में बड़ा बदलाव, लागू होगा ‘जैसा काम, वैसा दाम’ का नया फॉर्मूला?
8वां वेतन आयोग: कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में बड़ा बदलाव, लागू होगा ‘जैसा काम, वैसा दाम’ का नया फॉर्मूला?

8वां वेतन आयोग: कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में बड़ा बदलाव, लागू होगा ‘जैसा काम, वैसा दाम’ का नया फॉर्मूला?mकेंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए यह इस वक्त की सबसे महत्वपूर्ण खबर है. सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली है और इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. इस आयोग का गठन केंद्रीय कर्मचारियों के मौजूदा वेतन, भत्तों और अन्य सुविधाओं की व्यापक समीक्षा के लिए किया गया है. अगले 18 महीनों के भीतर यह आयोग अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगा, जो सीधे तौर पर लाखों परिवारों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करेंगी
सरकार ने आयोग के अध्यक्ष से लेकर सदस्यों तक के नाम, उनके काम करने का तरीका (टर्म्स ऑफ रेफरेंस) और मुख्यालय (नई दिल्ली) तक सब कुछ तय कर दिया है. इस बार आयोग का मुख्य फोकस एक ऐसा वेतन ढांचा बनाने पर होगा, जो न केवल तार्किक हो, बल्कि कर्मचारियों के प्रदर्शन यानी परफॉर्मेंस से भी जुड़ा हो.
इनके हाथ में कमान
इस महत्वपूर्ण आयोग की बागडोर सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को सौंपी गई है. उन्हें आयोग का चेयरपर्सन बनाया गया है. उनकी अध्यक्षता में ही यह आयोग देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए सिफारिशें तैयार करेगा.
आयोग में जस्टिस देसाई के अलावा दो अन्य सदस्य भी शामिल हैं. प्रोफेसर पुलक घोष को आयोग में अंशकालिक (पार्ट-टाइम) सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया है, वहीं पंकज जैन आयोग में सदस्य सचिव की भूमिका निभाएंगे. यही तीन सदस्यीय टीम अगले डेढ़ साल तक लाखों कर्मचारियों के वेतन-भत्तों का भविष्य तय करने के लिए काम करेगी. आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा और यहीं से इसकी सारी कार्यवाही संचालित की जाएगी.
परफॉर्मेंस पर होगा असली ज़ोर
8वें वेतन आयोग का काम सिर्फ मौजूदा सैलरी को बढ़ाना नहीं है. सरकार द्वारा जारी अधिसूचना (टीओआर) से साफ है कि इस बार का फोकस ‘परफॉर्मेंस बेस्ड’ सैलरी स्ट्रक्चर पर है. आयोग को एक ऐसा ढांचा तैयार करने को कहा गया है, जो कर्मचारियों को बेहतर काम करने के लिए प्रोत्साहित करे. इसका सीधा मतलब यह हो सकता है कि भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को दूसरों की तुलना में अधिक वित्तीय लाभ मिल सकता है.
इसके अलावा, आयोग का एक बड़ा लक्ष्य सरकारी नौकरियों को और अधिक आकर्षक बनाना है, ताकि देश के सबसे प्रतिभाशाली और काबिल लोग सरकारी सेवा की ओर आकर्षित हों. आयोग कर्मचारियों के बीच जिम्मेदारी और जवाबदेही की भावना को मजबूत करने के उपायों पर भी अपनी सिफारिशें देगा.
कौन-कौन आएगा दायरे में?
यह वेतन आयोग केवल सामान्य केंद्रीय कर्मचारियों तक सीमित नहीं है. इसका दायरा बहुत व्यापक है और इसमें कई अलग-अलग सेवाओं के कर्मचारी शामिल होंगे. आयोग जिन कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और लाभों की समीक्षा करेगा, उनमें शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट (जो यूनियन टेरिटरी के अंतर्गत आते हैं) के कर्मचारी और न्यायिक अधिकारी.
आयोग मौजूदा बोनस स्कीम की भी समीक्षा करेगा और यह देखेगा कि वह कितनी प्रभावी है. साथ ही, सभी तरह के भत्तों की उपयोगिता का भी मूल्यांकन किया जाएगा. यह भी संभव है कि जो भत्ते आज के समय में गैर-जरूरी हो गए हैं, उन्हें खत्म करने की सिफारिश की जाए.
NPS से लेकर पुरानी पेंशन तक, हर पहलू पर होगी नज़र
पेंशन और ग्रेच्युटी का मुद्दा भी 8वें वेतन आयोग के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल है. आयोग खास तौर पर नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के दायरे में आने वाले कर्मचारियों के लिए डेथ-कम-रिटायरमेंट ग्रेच्युटी (DCRG) की समीक्षा करेगा. यह देखा जाएगा कि मौजूदा प्रावधान कितने उचित हैं.
इसके साथ ही, जो कर्मचारी एनपीएस से बाहर हैं (यानी पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में) उनके पेंशन और ग्रेच्युटी नियमों पर भी आयोग अपनी सिफारिशें देगा. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनकी सेवा के बदले उचित और सम्मानजनक आर्थिक सुरक्षा मिलती रहे.
आयोग को अपनी सिफारिशें देते समय कई बातों का ध्यान रखना होगा. इसमें देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति, सरकार का वित्तीय अनुशासन और विकास कार्यों के लिए संसाधनों की उपलब्धता सबसे प्रमुख है. आयोग को राज्यों की वित्तीय स्थिति पर भी विचार करना होगा, क्योंकि अक्सर राज्य भी केंद्र की सिफारिशों को लागू करते हैं. इसके अलावा, सरकारी उपक्रमों (PSUs) और निजी क्षेत्र (Private Sector) में मिलने वाले वेतन से तुलना करके ही एक संतुलित रिपोर्ट तैयार की जाएगी.
आयोग अपनी जरूरत के हिसाब से बाहरी विशेषज्ञों की मदद ले सकेगा. सभी मंत्रालयों को आयोग को समय पर जानकारी देने का निर्देश दिया गया है. आयोग को 18 महीने के भीतर अपनी अंतिम रिपोर्ट देनी है, लेकिन जरूरत पड़ने पर किसी खास मुद्दे पर वह अंतरिम रिपोर्ट भी दे सकता है. कर्मचारियों को उम्मीद है कि अगर फिटमेंट फैक्टर जैसे मुद्दों पर सकारात्मक फैसला होता है, तो उनकी सैलरी और पेंशन में बड़ा इजाफा देखने को मिल सकता है.







