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संदिग्ध अवस्था में वृद्ध से 4 किलो 300 ग्राम गांजा बरामद, परिजनों ने पुलिस की कार्रवाई को बताया झूठा, एसपी से जांच की मांग

संदिग्ध अवस्था में वृद्ध से 4 किलो 300 ग्राम गांजा बरामद, परिजनों ने पुलिस की कार्रवाई को बताया झूठा, एसपी से जांच की मांग

कटनी। विजयराघवगढ़ पुलिस के द्धारा संदिग्ध अवस्था में बरही निवासी एक 65 वर्षीय वृद्ध की मोपेड गाड़ी की डिक्की से 4 किलो 300 ग्राम गांजा बरामद करने का मामला बनाया गया है। डिक्की से बरामद किए गए गांजा की कीमत 43 हजार रूपए बताई जा रही है।

उधर इस मामले में वृद्ध के परिजनों का आरोप है कि वृद्ध मवेशी बेचने घर से बाहर गया था और वह मवेशी बेंचकर वापस लौट रहा था। उसके पास मवेशी विक्रय के लगभग डेढ़ लाख रूपए भी थे।

परिजनों का आरोप है कि वृद्ध पर गांजा का झूठा प्रकरण बनाया गया है तथा उसके पास मवेशी विक्रय की रकम की जानकारी भी पुलिस के द्धारा नहीं दी जा रही है। बहरहाल पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक बरही थाना अंतर्गत ग्राम रमपुरवा निवासी 65 वर्षीय विश्वनाथ पिता ध्यान सिंह को 19 जून की दोपहर 3 बजकर 20 मिनट पर ग्राम पिपरा चोरा मेन रोड पर स्थित वन विभाग की नर्सरी के पास रोका गया और उसकी मोपेड गाड़ी क्रमांकए म.पी.21 एमपी-3532 की डिक्की की तलाशी ली गई तो उसके अंदर अलग-अलग पैकेट में 4 किलो 300 ग्राम गांजा रखा मिला।

पुलिस ने विश्वनाथ सिंह के विरूद्ध नारकोटिक्स एक्ट की धारा 8, 20 के तहत कार्रवाई की है। उधर इस मामले को लेकर विश्वनाथ के परिजनों का आरो है कि विजयराघवगढ़ पुलिस ने विश्वनाथ को मंगलवार व बुधवार की दरम्यानीरात उस समय पकड़ा जब वह मवेशी बेंचकर घर वापस लौट रहा था।

उसके पास मवेशी विक्रय के डेढ़ लाख रूपए भी रखे थे। परिजनों का कहना है कि एक तो गाड़ी की डिक्की में इतनी मात्रा में गांजा आ नहीं सकता है। इसके अलावा मंगलवार व बुधवार की रात से लेकर आज तक उसे थाने में बैठाकर रखा गया और अब उसके विरूद्ध गांजा का प्रकरण बना दिया गया है तथा मवेशी विक्रय के डेढ़ लाख रूपए के संबंध में भी पुलिस कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। परिजन इस मामले को लेकर आज पुलिस अधीक्षक कार्यालय भी एक शिकायत लेकर जा रहे हैं।

व्यस्त रहा टीआई का मोबाइल
उधर इस मामले तथा परिजनों के आरोपों को लेकर विजयराघवगढ़ थाना प्रभारी रीतेश शर्मा से संपर्क करने के कई बार प्रयास किए गए लेकिन लगातार उनका मोबाइल व्यस्त रहा, जिसके कारण संपर्क नहीं हो सका। अब परिजनों के आरोपों व पुलिस की कार्रवाई में कितनी सत्यता है, यह पुलिस ही जाने।

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