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मदरसों पर रोजाना लगेगा 10 हजार का जुर्माना? नोटिस पर मदरसा बोर्ड ने क्लियर किया सबकुछ

Madarsa News: मदरसों पर रोजाना लगेगा 10 हजार का जुर्माना? नोटिस पर मदरसा बोर्ड ने क्लियर किया सबकुछ।  शिक्षा विभाग की ओर से उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मरदसों को नोटिस दिया गया था और गैर मान्यता मदरसे के संचालन पर प्रतिदिन दस हजार रुपये जुर्माना लगाने की भी बात कही गई थी.

 

UP Madarsa Board: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के सभी मदरसों का सर्वे करने के बाद शिक्षा विभाग की ओर से राज्य के अलग-अलग जिलों के मदरसों को नोटिस भेजी गई है. उचित पंजीकरण और मान्यता नहीं होने पर मदरसों को बंद करने का आदेश दिया. ऐसा नहीं करने पर प्रतिदिन 10 हजार रुपये जुर्माना लगाने की बात कही गई है. इसके बाद अब इस मामले में मदरसा बोर्ड उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004/विनियमवाली 2016 में दिए व्यवस्था के तहत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा किसी भी विभाग के अधिकारी द्वारा ना तो निरीक्षण किया जाएगा और ना ही किसी प्रकार की नोटिस दी जाएगी.

‘अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अंतर्गत आते हैं मदरसे’

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा, ‘1995 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के गठन के बाद शिक्षा विभाग के अंतर्गत चल रहे मदरसों अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को ट्रांसफर कर दिया गया. इसके बाद उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004 प्रतिस्थापित किया गया जिसके माध्यम से उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियमावली 2016 बनाई गई. जिसके बाद से जिला मदरसा शिक्षा अधिकारी का तात्पर्य जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से हो गया.’

‘शिक्षा विभाग के अधिकारी नहीं दे सकते नोटिस’

इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा, ‘निरीक्षक अरबी मदरसा अथवा अध्यक्ष या निदेशक द्वारा नामित किसी अधिकारी द्वारा कभी भी मदरसों का निरीक्षण किया सकेगा. उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004/विनियमवाली 2016 में दिए व्यवस्था के तहत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा किसी भी विभाग के अधिकारी द्वारा ना तो निरीक्षण किया जाएगा और ना ही किसी प्रकार की नोटिस दी जाएगी.’ उन्होंने आगे कहा, ‘अक्सर संज्ञान में आता है कि नियमों से हट कर शिक्षा विभाग के अधिकारी जो सक्षम प्राधिकारी ना होने के बावजूद उनके द्वारा जनपद में संचालित मदरसों का निरीक्षण किया जाता है और नोटिस भी दी जाती है जो अधिनियम के विपरीत है.’

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