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न मुहूर्त, न फेरे, पसंद कर खिलाया पान और हो गई शादी

 हरदा। अधिकांश माता-पिता अपनी संतानों की शादी के लिए योग्य वर-वधु ढूंढते हैं। कुंडली मिलान के साथ ही पंडितजी से मुहूर्त पूछते हैं, फिर करते हैं शादी। ताकि वर-वधु का वैवाहिक जीवन सुखमय हो। लेकिन हरदा जिले के मोरगढ़ी में रविवार को लगे मेले में आदिवासी समाज के युवक-युवती एक-दूसरे को पसंद करते हैं और फिर पान खिलाते हैं।

इसके बाद युवक युवती को अपने साथ घर ले जाता है। इस मेले को खाटिया मेले के नाम से जाना जाता है।हरदा जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर मोरगढी में रविवार को एक ऐसे मेले का आयोजन हुआ जिसमें युवक-यवुतियों ने एक दूसरे को पसंद किया, पान खिलाया और युवक युवती को अपने साथ ले गया।

आदिवासी समाज में साल में एक बार इस मेले का आयोजन दीपावली के ठीक बाद लगने वाले साप्ताहिक बाजार के दौरान किया जाता है। आदिवासी समाज इस मेले को खाटिया मेला कहते है। शादी के लिए यहां पंडित से मुहूर्त नही पूछा जाता, न ही अग्नि के सात फेरे लिए जाते है।

मेले के दौरान यदि युवक-युवती एक दूसरे को पसंद कर लेते है तो वह पान खिलाकर अपनी रजामंदी दे देते है और युवक, युवती को अपने साथ ले जाता है। यहां सिर्फ पान खिलाकर शादी की सभी रस्मे अदा हो जाती है। बताया जाता है कि हर साल यहां करीब एक दूसरे युवक-युवती इसी रीति रिवाज से शादी करते है।

कई किमी दूर से पैदल चलकर आते है युवक-युवती

मेले में कई किमी दूर से युवक-युवती पैदल चलकर आते है। दोपहर 3 बजे से मेले में भीड़ बढना शुरू हो जाती है। मेले में बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है। आदिवासियों के कुछ समूह पारंपरिक नृत्य भी करते रहते हैं। शाम 5 बजे तक तो यह हालत हो जाती है कि 1 किमी फैले इस मेले को पैदल पार करने में 20 से 30 मिनट का समय लग जाते हैं ।

वधु पक्ष वर पक्ष से लेता है दहेज

सुनने में थोड़ा यह अजीब लगेगा, लेकिन है बिल्कुल सच। इस मेले में पान खिलाकर पहले तो युवक, युवती को भगाकर ले जाता है। फिर कुछ दिनों बाद जब दोनो के परिवार आपस में मिलते है तो वधु पक्ष वर पक्ष से दहेज लेता है।

मेले में आई वयोवृद्ध आदिवासी महिला पुनिया बाई बताती है कि यह वर्षो पुरानी परंपरा है। उनके समाज से लड़की वाले ही लड़के वालों से दहेज की मांग करती है। मुन्ना आदिवासी ने बताया कि इस मेले में अब तक जिनकी भी शादी हुई है, उनके बीच कभी ऐसा कोई विवाद नही हुआ कि मामला कोर्ट कचहरी या थाने पहुंचे।

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