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गढ़ में घिरी बीजेपी को क्या अमित शाह संजीवनी दे पाएंगे?

राजनीतिक डेस्क। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह शनिवार से मध्य प्रदेश के दौरे शुरू कर रहे हैं. वो चुनावी जीत के सियासी फॉर्मूलों को सॉल्व करने के इरादे से निकल रहे हैं. शाह, सूबे के हर उस इलाके का गणित समझने निकल रहे हैं जो बीजेपी को 18 के अखाड़े में ही नहीं 19 की जंग में भी शहंशाह बना दे. शाह के संभागीय दौरों का आगाज मालवा-निवाड़ की उसी ज़मीन से हो रहा है जिसके भरोसे बीजेपी बीते 15 साल से सूबे की सत्ता पर राज करती आ रही है.

मालवा में रोड शो से लेकर जनजातीय और किसान सम्मेलन से लेकर कार्यकर्ताओं तक को संबोधित करेंगे. इससे इतना तो साफ है कि अमित शाह मालवा-निमाड़ में मजबूत जनाधार के बावजूद बीजेपी के खिलाफ उभरे असंतोष को दूर करने की कोशिश करेंगे

बीते साल हुए किसान आंदोलन का प्रमुख केंद्र मालवा का मंदसौर ही था.
अमित शाह हाल ही में मोदी कैबिनेट की ओर से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने के फैसले को भी कैश कराने की कोशिश करेंगे. उसके बाद जनजातीय सम्मेलन के ज़रिए आदिवासियों को खुश करने की कोशिश होगी.

कार्यकर्ता सम्मेलन में नगर केंद्र और ग्राम केंद्र के संयोजकों से चर्चा करने का मकसद  ज़मीनी कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए बूस्ट अप करना है. मालवा निमाड़ का अतीत साबित करता है कि बीजेपी यहां कांग्रेस पर भारी है. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस अंचल में सिर्फ 9 सीट मिली थीं,जबकि बीजेपी ने 66 में से 56 सीटों पर अपना झंडा फहरा दिया था. मालवा की 50 में से 45 और निमाड़ की 16 में से 11 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था.

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