इसी बहाने
खबरों के आकाश में देदीप्यमान सितारा यशभारत
इसी बहाने
माता पिता के आशीष ने आज यशभारत के 12 वें स्वर्णिम वर्ष के लंबे सफर तक सब के प्यारे यशभारत को आज महाकोशल ही नहीं करीब करीब सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में शाम को लोगों के दिलों की धड़कन बनाया।
यशभारत के अक्षुण्य परिवार की अथक मेहनत और जज्बे ने आज हमें इस मुकाम पर पहुंचाया जब यशभारत को पाठकों की आकांक्षाओ पर खरा उतरने का धेय्य ही सर्वोपरि होता है।
कठिन चुनोतियाँ का सामना कर 11 वर्ष पूर्व अरुण के आशीष ने यशभारत रूपी नन्हे से पौधे का रोपण किया था। तमाम परिक्षात्मक घड़ियों को सफलता पूर्वक निर्वहन कर हमारी पूरी टीम ने इसे मेहनत और लगन से अभिसिंचित कर आज एक वट व्रक्ष के रूप में इसे स्थापित किया जिसकी शाखाएं आज प्रदेश के पाठकों के दिलों में गहरी जड़ों के रूप में विद्यमान हैं।
पूरे महाकोशल में प्रति शाम बिना यशभारत के अधूरी सी प्रतीत होती है। निष्पक्ष खबरों के उद्देश्य को यशभारत ने सदैव अपनी प्राथमिकता समझा, यही कारण है जब आज यशभारत की प्रत्येक खबर को सुधि पाठक सत्यता की दृष्टि से देखते हैं उन पर अपने विश्वास की मुहर लगाते हैं।
आज के भौतिकवादी युग मे जब खबरों की यह निरन्तर चलने वाली फेहरिश्त हर क्षण पाठकों को अपडेट करते हुए हर खबर को आपके मोबाइल या फिर कम्प्यूटर पर सहज ढंग से प्रस्तुत करने के लिए ततपर रहती है, तब हमारे वेब पोर्टल यशभारत डॉट कॉम ने पिछले तीन माह में 2 लाख 50 हजार विजिटर के रिकार्ड के साथ वेब खबर की दुनिया मे प्रदेश के सबसे ज्यादा हिट्स पाने वाले पोर्टल के रूप में अपने आप को स्थापित किया।
माता पिता के आशीर्वाद, साथियों की मेहनत और मित्रों के स्नेह, हर कनिष्ट वरिष्ठ श्रेष्ठ जनों की प्रत्येक क्षण मिलती सलाह को हमने अपनी कार्यशैली में एक गुरु की महत्वता के रूप में माना। प्रत्येक छोटी बड़ी सलाह पर अमल करना हमारी प्राथमिकताओं में शामिल रहता है जो न सिर्फ यशभारत के पाठको को वरन प्रदेश के प्रत्येक नागरिकों के प्रति अपनी जवाबदेही तय करता है।
खबरों के आकाश में यशभारत वह देदीप्यमान सितारा है जो आज प्रदेश की प्रिंट मीडिया के लिए गर्व से लिया जाने वाला एक गौरवशाली नाम है।
यशभारत की यह कल्पना पूज्य पिता अरुण शुक्ला का स्वप्न था जिसे उनके हर सुख दुख में बराबर के भागीदार प्रिय मौसिया प्रदेश के राजनीतिक क्षितिज के सितारे पण्डित सतेंद्र पाठक ने पूर्ण करने के स्तुत्य कार्य किया, बड़ों की छांव अकस्मात प्रकृति के वज्राघात ने हमसे छीन ली किन्तु इस विपदा को हमारे प्रिय अनुज संजय पाठक ने सम्बल के रूप में अपने कर्तव्य के साथ हमेशा हमारे कदमताल के साथ कम किया। हम दोनों भाइयों के स्नेह ने यशभारत को नई बुलन्दियों तक पहुंचाने के संकल्प को सदा आगे बढ़ाया और बढ़ाते रहेंगे।