कलेक्टर की कार्रवाई: 5 हजार रूपए नहीं देने पर खुले में डिलेवरी कराने वाली मेट्रन सस्पेंड, नर्सों को बदलने के निर्देश

कलेक्टर की कार्रवाई: 5 हजार रूपए नहीं देने पर खुले में डिलेवरी कराने वाली मेट्रन को कलेक्टर ने सस्पेंड करने का आदेश दिया। जिला अस्पताल परिसर में बुधवार को 5 हजार रुपये नहीं देने पर खुले में हुए प्रसव का मामला तूल पकड़ गया है। गुरुवार को कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव निजी वाहन से अस्पताल पहुंचे। कलेक्टर ने प्रसूता की सास को बुलाकर लेबररूम में ड्यूटी पर रही नर्सों के मास्क उतरवाकर पहचान परेड कराई। महिला ने कहा रुपये मांगने वाली नर्स इनमें से कोई नहीं है।
कलेक्टर के सामने ही मेट्रन रामबाई रायपुरिया ने कहा कि महिला (प्रसूता की सास) पागल है, वह झूठ बोल रही है। कलेक्टर ने मेट्रन को फटकार लगाते हुए सस्पेंड कर दिया है। साथ ही लेबररूम की नर्सों को बदलने के निर्देश सिविल सर्जन डा. अनिल गोयल को दिए हैं।
बता दें, कि 24 वर्षीय राखी परिहार को बुधवार सुबह चार बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। सुबह नौ बजे प्रसूता का चेकअप कराने के पहुंची तो नर्स ने कहा कि शाम तक डिलीवरी नहीं होगी। एक घंटे बाद जब प्रसूता को तेज दर्द हुआ तो सास फिर से नर्स के पास गई तो नर्स ने कहा कि पांच हजार रुपये लगेंगे। अगर पांच हजार रुपये हैं तो प्रसूता को डिलीवरी कक्ष में ले जा रहे हैं। सास गुड्डी बाई ने कहा कि उसके पास रुपये नहीं है तो नर्स ने चिल्लाकर सास को भगा दिया।
इसके बाद सास प्रसूता को लेकर गैलरी से लगे गेट से बाहर लेकर आ गई। दोपहर डेढ़ बजे प्रसूता ने खुले में बेटे को जन्म दिया। लेकिन दो बजे तक नर्स ने जच्चा-बच्चा को वार्ड में शिफ्ट नहीं किया। बल्कि भर्ती करने के लिए भी रुपये मांगे। 45 मिनट तक जच्चा-बच्चा खुले में पड़े रहे। दोपहर दो बजे जब नर्सों की ड्यूटी बदली तो प्रसूता को वार्ड में शिफ्ट किया गया था।
इस खबर को नईदुनिया ने गुरुवार को ‘डिलीवरी से पहले पांच हजार रुपये नहीं दिए तो सास-बहू को बाहर भगाया, खुले में प्रसव हुआ’ खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
निजी वाहन से कलेक्टर अस्पताल पहुंचे
गुरुवार सुबह करीब 10 बजे कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव निजी वाहन से जिला अस्पताल पहुंचे। अस्पताल में उन्होंने गार्ड से 50 मीटर पीछे चलने के लिए कहा। कलेक्टर सीधे मेटरनिटी वार्ड के दूसरी मंजिल पर स्थित जच्चा वार्ड में पहुंचे। कलेक्टर ने प्रसूता राखी से पूछा सास गुड्डी देवी कहां हैं, उसने कहा कि वह नीचे गई हैं। कलेक्टर सिविल सर्जन आफिस में पहुंच गए। कुछ देर बार प्रसूता की सास व बेटा आ गए।
कलेक्टर ने सास से कहा कि वह बिना डरे अपनी बात कहें। अगर कोई दबाव बना रहा है तो उन्हें बताएं। इसके कलेक्टर महिला को लेकर मेटरनिटी वार्ड में पहुंचे।
मास्क उतरवाकर नर्सों की कराई पहचान परेड
मेटरनिटी वार्ड में कलेक्टर ने सभी नर्सों को लेबर रूम से बाहर बुलाया। नर्सें मास्क लगाए हुई थी। कलेक्टर ने नर्सों से कहा कि वह अपने मास्क उतार लें। इसके बाद कलेक्टर ने महिला से कहा कि वह रुपये मांगने और भगाने वाली नर्स को पहचानें। नर्सों को देखकर महिला ने कहा कि इनमें से कोई नहीं हैं। संभवत: आज ड्यूटी पर नहीं आई हैं। कलेक्टर ने सिविल सर्जन डा. अनिल गोयल से कहा कि मेटरनिटी की इंचार्ज कौन हैं, तो वहां मेट्रन रामाबाई रायपुरिया आ गईं।
कलेक्टर ने मेट्रन से कहा कि कल किस नर्स ने रुपये मांगे थे, तो मेट्रन महिला को देखकर बोली कि यह तो पागल है झूठ बोल रही हैं। इतना सुनते ही कलेक्टर ने मेट्रन को फटकार लगाई। कलेक्टर ने सिविल सर्जन से कहा कि तुम्हारा इन पर कोई कंट्रोल नहीं है। किस तरह मेट्रन सबकुछ जानते हुए अनजान बनकर दोषी नर्सों को बचा रही है। यह ठीक नहीं हैं। अब कार्रवाई मुझे ही करनी होगी।
सीसीटीवी कैमरे चेक किए
कलेक्टर ने मेटरनिटी के सीसीटीवी कैमरे भी चेक किए। इस दौरान किसी का फोन आने पर बोले अभी मुझे मीटिंग में जाना है। अधिक समय नहीं हैं। लेकिन मैं फिर आऊंगा। कलेक्टर ने मेट्रन को सस्पेंड करने के साथ ही लेबररूम में पदस्थ नर्सों को बदलने के निर्देश सिविल सर्जन को दिए। इधर कलेक्टर की कार्रवाई देखकर प्रसूता और सास ने कलेक्टर से कहा कि साहब, आप इतना कर दें, कि भविष्य में मेरी बहू की तरह किसी मजबूर महिला का खुले में प्रसव नहीं हो।
महिला ने खुले में प्रसव हुआ था। इस मामले में प्रसूता की सास के समक्ष नर्सों की पहचान कराई थी, लेकिन वह नर्स मौजूद नहीं थी। मामला गंभीर था, इसलिए मेट्रन को सस्पेंड करने के साथ ही लेबररूम की नर्सों को बदलने के निर्देश दिए हैं। -संजीव श्रीवास्तव, कलेक्टर भिंड