कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, अब पुरानी पेंशन स्कीम का 31 मई तक उठा सकेंगे लाभ

नई दिल्ली। देश के केंद्रीय कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। कर्मचारी एनपीएस (NPS) को छोड़कर पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ ले सकते हैं। सरकार के कर्मचारियों को 31 मई 2021 तक का समय दिया है। मोदी गवर्नमेंट राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की जगह सीसीएस पेंशन नियम (CCS Pension Rule) 1972 कवरेज लेने के लिए केंद्रीय कर्मचारियों के लिए लास्ट डेथ बढ़ा दी है। यह उन एम्प्लाइज के लिए है, जो 1 जनवरी 2004 से पहले चुने गए, लेकिन बाद में शामिल हुए थे। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) का फायदा लेने के लिए कर्मचारियों को 5 मई तक का मौका दिया है। अगर एम्प्लाइज अप्लाई नहीं करेंगे उन्हें एनपीएस का लाभ मिलता रहेगा। जिन कर्मचारियों की नियुक्ति 1 जनवरी 2004 से 28 अक्टूबर 2009 के बीच हुई हैं। उन्हें सीसीएस पेंशन के तहत पेंशन का फायदा मिलेगा। इस फैसले पर जानकारों का कहना है कि पुरानी पेंशन स्कीम एनपीएस से ज्यादा अच्छी है। इसमें रिटायरमेंट के बाद पेंशनर के साथ उसके परिजनों को भी सुरक्षा मिलती है। पुरानी पेंशन योजना का लाभ उन सेंट्रल एम्प्लाइज को मिलेगा, जो रेलवे पेंशन रूल या सीसीएस पेंशन नियम 1972 के तहत स्टेट गवर्नमेंट के किसी विभाग या स्वायत्त संस्थानों में एक जनवरी 2004 से पहले भर्ती हुए हैं। वहीं अगर उन्होंने प्रदेश सरकार के पेंशन डिपार्टमेंट की जॉब से इस्तीफा देकर केंद्र के पेंशनभोगी विभाग या स्वायत्त संस्था में नियुक्ति हुई है।
अटल पेंशन के लिए देने होंगे हर महीने 210 रुपये
जानकारों के मुताबिक अगर 18 साल की उम्र में कोई नौजवान अटल पेंशन योजना से जुड़ता है। और वह प्रति महीने इसमें 210 रुपये निवेश करता है, तो उसे 60 साल उम्र पूरी होने पर अधिकतम 5 हजार रुपये महीना पेंशन मिलेगी। हर महीने 210 रुपये, हर तीन महीने पर 626 रुपये या फिर छह महीने पर 1239 रुपये जमा करने का विकल्प अटल पेंशन योजना में लाभुकों को दिया गया है। अगर आप महीने में सिर्फ 42 रुपये जमा करते हैं, तो 1000 रुपये प्रति माह पेंशन पाने के हकदार होंगे।
कैसे उठा सकते हैं अटल पेंशन योजना का फायदा?
अटल पेंशन योजना में प्रति महीने 5000 रुपये के हिसाब से सालाना कुल 60000 रुपये पेंशन प्राप्त की जा सकती है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए हर महीने एक तय रकम आवेदक को जमा कराना होता है। इस योजना को आप अपने बैंक खाते के साथ ही संबंधित बैंक में शुरू कर सकते हैं। बताया गया है कि अटल पेंशन योजना का मकसद समाज के हर तबके के अधिकतम लोगों को पेंशन के दायरे में लाना है।
18 से 40 वर्ष तक के लोगों को मिलता है अटल पेंशन योजना का लाभ
अभी 18 से 40 वर्ष तक के लोगों को अटल पेंशन योजना का लाभ मिलता है। हालांकि, पेंशन निधि विनियामक व विकास प्राधिकरण ने केंद्र सरकार से अटल पेंशन योजना का दायरा बढ़ाने के लिए अधिकतम उम्र सीमा बढ़ाने की सिफारिश की है। संभव है सरकार अप्रैल के पहले हफ्ते में इस पर बड़ा फैसले का एलान कर दे।
कम उम्र में जुड़ने पर अटल पेंशन योजना में मिलेगा अधिक फायदा
कम उम्र में जुड़ने पर अटल पेंशन योजना में फायदा अधिक मिलेगा। उदाहरण के तौर पर देखें तो हर महीने 5 हजार रुपये पेंशन पाने के लिए अगर 35 साल का कोई व्यक्ति इस स्कीम में जुड़ता है, तो उसे 25 साल तक हर 6 महीने में 5323 रुपये या फिर सालाना 10646 रुपये का निवेश करना होगा। इस तरह 25 साल में अटल पेंशन योजना में इस व्यक्ति का कुल निवेश 2 लाख 66 हजार रुपये होगा। इस तरह 5 हजार रुपये मासिक पेंशन पाने के लिए अगन कोई युवक 18 साल की उम्र में जुड़ता है, तो उसका इस योजना में कुल निवेश सिर्फ 1 लाख 4 हजार रुपये ही होगा। ऐसे में जितनी कम उम्र में निवेश करें, उतना ही फायदा होगा।
अटल पेंशन योजना से जुड़ी खास बातें
- इस योजना में कुल 3 तरह का प्लान है। मासिक, तिमाही या छमाही पैसे जमा कर सकते हैं।
60 साल उम्र पूरी हो जाने के बाद अधिकतम 5000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलेगी।
यह योजना राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत तमाम सरकारी व प्राइवेट बैंकों में चलाई जा रही है।
अटल पेंशन योजना में निवेश करने पर इनकम टैक्स में छूट हासिल की जा सकती है।
एक व्यक्ति सिर्फ एक बार ही इस योजना का लाभ उठा सकता है।
इस योजना में जुड़ने पर शुरुआती 5 साल सरकार भी आपके लिए अंशदान करेगी।
60 साल उम्र पूरी होने से पहले या बाद में मौत हो जाने पर पत्नी को पेंशन मिलेगी।
अटल पेंशन योजना में नॉमिनी भी रख सकते हैं। लाभुक की मौत के बाद उसे पेंशन मिलेगी।
निराश्रित महिला पेंशन योजना बनी मददगार, अब तक 28 लाख लाभार्थियों को भुगतान
उत्तर प्रदेश सरकार की निराश्रित महिला पेंशन योजना महिलाओं के लिए ढाल बनी हैं। पति की मृत्योपरांत निराश्रित महिला पेंशन योजना के तहत प्रदेश की महिलाओं को राहत मिल रही है। पति की मृत्योपरांत निराश्रित महिला पेंशन योजना महिलाओं को सीधे तौर पर लाभ पहुंचा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की महिलाओं को सम्मान व सुरक्षा देने के उद्देश्य से शुरू की गई पति की मृत्योपरांत निराश्रित महिला पेंशन योजना ने महिलाओं को कवच प्रदान किया है। पति की मृत्योपरांत निराश्रित महिला पेंशन योजना के तहत 27.95 लाख प्रदेश की महिलाओं को भुगतान किया जा चुका है। मिशन शक्ति अभियान के शुरू होने के बाद से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तक पति की मृत्यु बाद निराश्रित महिला पेंशन योजना के तहत 1.85 लाख नए लाभार्थी जुड़े हैं।
छमाही किश्त के रूप में होता है भुगतान
विधवा पेंशन योजना उन महिलाओं के लिए चलाई गई योजना है जिनके पति की किसी कारण वश मृत्यु हो चुकी हो। योगी सरकार ऐसी महिलाओं को पेंशन के रूप सहायता उपलब्ध कराती हैं ताकि उन महिलाओं का गुजारा हो सके। विधवा पेंशन योजना के तहत महिलाओं को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 300 रुपये प्रति माह पेंशन के रूप दिये जाते हैं। विधवा पेंशन योजना में भी लाभ लेने के लिए परिवार की आय तय की गई हैं। पेंशन का लाभ साल में दो बार दिया जाता है। यानि कि छमाही किस्त दी जाती है।
पहली पत्नी सहमत तो Second Wife भी विधवा पेंशन की हकदार
अगर किसी सैनिक की पहली पत्नी अपने अधिकार त्याग कर सैनिक की दूसरी पत्नी के पक्ष में पेंशन व अन्य लाभ का भुगतान करने की सहमति देती है तो सेना को सभी लाभ उसे देने होंगे। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह आदेश भारतीय सेना के तोपखाने के रिकार्ड अधिकारी की अपील को खारिज करते हुए दिए। सैनिक मोहिंदर सिंह की पहली पत्नी ने तलाक के बगैर एक अन्य व्यक्ति से शादी कर ली थी। बाद में, मोहिंदर सिंह ने दलजीत कौर नामक महिला से शादी कर ली, लेकिन सेना रिकार्ड में पहली पत्नी का ही नाम दर्ज था। जब दलजीत कौर ने मोहिंदर सिंह की विधवा होने के नाते पेंशन लाभ का दावा किया तो सेना ने मना कर दिया। पहली पत्नी ने बयान दिया कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, अगर पेंशन लाभ को दलजीत कौर के पक्ष में जारी किया जाता है, लेकिन सेना ने इसे नकार दिया। विवाद अंबाला जिले के निवासी तोपची रेजिमेंट के सेवानिवृत्त मोहिंदर सिंह की विधवा को लाभ देने का था।भारतीय सेना के तोपखाने में रिकार्ड अधिकारी द्वारा हाई कोर्ट में दायर अपील में अंबाला कोर्ट के आदेश के चुनौती दी गई थी। अंबाला कोर्ट ने भी दूसरी पत्नी को पेंशन व लाभ देने का आदेश दिया था। मामले में कोर्ट को बताया गया कि निचली अदालत अंबाला में मामले की सुनवाई के दौरान, मोहिंदर सिंह की पहली पत्नी बंत कौर ने बयान दिया था कि उसकी शादी 1960 में मोहिंदर सिंह से हुई थी और एक बेटी पैदा हुई थी।