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कर्नाटक में शाह की कमपेनिंग भाजपा की तैयारियों की झलक दे गई, जानिये कैसे

नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बार-बार 2014 से भी बड़ी जीत का दावा कर रहे हैं तो वह बेबुनियाद नहीं है। कर्नाटक में शाह की मशक्कत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब से अगले एक साल तक भाजपा का कोई न कोई बड़ा नेता गांव गली और जनता के दरवाजे पर दस्तक दे रहा होगा। 

2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अटकलों का बाजार अभी से गर्म है। नए राजनीतिक गठजोड़ की कवायदों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री पद की इच्छा जता दी है। ऐसे में मंगलवार को कर्नाटक का परिणाम आना है। शाह ने उसका इंतजार किए बगैर ही आगे की लड़ाई के लिए कमर कसना शुरू कर दिया है। ठीक एक दिन पहले 14 मई को उन्होंने भाजपा के सभी राज्यों के अध्यक्षों और संगठन मंत्रियों के साथ आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श के लिए बैठक बुलाई है। सूत्रों का कहना है कि उन्हें जनसंपर्क को और दुरुस्त करने का मंत्र दिया जाएगा।

दरअसल कर्नाटक में भी शाह ने यही किया और कुछ महीने पहले तक सिद्दरमैया सरकार के खिलाफ कमजोर दिख रही भाजपा को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया जहां अब 130 प्लस का दावा किया जा रहा है। दरअसल कर्नाटक में शाह दिसंबर से ही जुट गए थे। इसमें उनकी भागीदारी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिसंबर से चुनाव प्रचार खत्म होने यानी 10 मई तक वे कर्नाटक में 57,135 किलोमीटर की यात्रा कर चुके थे। इस दौरान कुल 34 दिनों तक कर्नाटक में गुजारने वाले शाह ने 30 में से 29 जिलों में प्रवास किया।

कुल 59 जनसभाएं और 25 रोड शो भी किये। शाह सिर्फ रैलियों व रोडशो तक सीमित नहीं रहे बल्कि राज्य के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से भी सीधा संवाद स्थापित किया। इस बीच उन्होंने राज्य के विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों और समूहों के साथ संवाद किया। कर्नाटक के सामाजिक-राजनीतिक जीवन में अहम भूमिका निभाने वाले मठों और मंदिरों में भी जाना नहीं भूले। इस दौरान वह कुल 33 मठों और मंदिरों में गए।

जाहिर है कि अगले कुछ महीनों में होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान चुनाव में भी शाह अपने पदाधिकारियों को कुछ उसी तर्ज पर झोकेंगे। 2019 लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने छह-सात महीने पहले ही अपने कुछ मंत्रियों और वरिष्ठ पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दे दी है। और शायद यही कारण है कि शाह अभी से यह दावा करने से भी नहीं हिचक रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में भाजपा की सीटें दो से बढ़कर 22 होंगी।

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