इसी बहाने

इसी बहाने : नवरात्रि पंडाल औऱ माननीयों की भक्ति

वैसे तो नवरात्र हर साल शहर गांव में उत्साह के नो दिनों के लिए प्रसिद्व हैं। देश ही क्या दुनिया मे मां जगदम्बा की पूजा के लिए पंडाल सजते है। गरबा रास भगतों के बीच जगराते से समूचा क्षेत्र गुंजायमान रहता है। साल भर में इस उत्साह पर उत्साहित होने के लिए लोग बेताब रहते हैं। नवरात्र की इसी श्रद्धा आस्था भक्ति के संगम की त्रिवेणी बने अंचलों में इस बार कुछ कमी सी नजर आ रही है। माता रानी का भव्य स्वरूप भी है। पंडालों की आकर्षक साज सज्जा भी है। दूधिया रोशनी में नहाई सड़कों और सुबह की तीसरी पहर से सड़कों पर भक्तों का सैलाब भी है इस माता के जयकारो से गूंजते वातावरण को देख कर आम जन हर्सोल्लासित भी हैं। फिर आखिर वह क्या चीज है जिसकी कमी सभी को खल रही है। हम भी सोच रहे थे कि आखिर इस बार की नवरात्रि कुछ अलग अलग सी क्यों हैघ् जब सब कुछ वैसा ही है तो फिर किसी खास के चेहरे पर उत्साह क्यों नहीं है। सोचते ही सोचते अचानक सड़कों पर लगे इक्का दुक्का बैनर फ्लेक्स पर हमारी नजर पड़ी तो समझने में देर नहीं लगी। सब कुछ वैसा ही है केवल इस उत्साह से माननीय औऱ उनके समर्थक ही नदारद हैं। छिप छिप कर वह भी नजारा देख रहे हैं मंच सजे हैं लेकिन बिना माननीयों के सुने सुने से हैं। इधर आचार संहिता की तीसरी आंख सभी उत्साहित जगहों पर अपनी नजर जमाये बैठी है उधर माननीय इस नजर से बच बचा कर यदा कदा दूर से ही माता का आशीष लें कर मन मसोस कर रहने को विवश हैं। कल तक जिनके बैनर फ्लेक्स में शानदार तस्वीर ओर आदमकद से भी बड़े कट आउट लोगों का अभिवादन करते नजर आते थे इस बार तो बेनर फ्लेक्स में उनकी पासपोर्ट साइज की फोटो भी नहीं है। अब तक तो कमेटी वाले बेचारे दबे कुचले से फ्लेक्स में माननीयों की बड़ी बड़ी फोटो के बाद बची खुची जगह पर टिकली टाइप की फोटो में लेंस से स्वयं को देखकर खुश हो जाते थे आज माननीयों से खाली हुई जगह में इन कार्यकर्ताओं की फोटो बड़ी बड़ी सी नजर आ रही है। कहते हैं वक्त है कब किसकी किस्मत खोल दे और कब किसको बैनर फ्लेक्स से गायब करा दे। मन ही मन अपनी फोटू को देखकर खुश होने वाले ऐसे लोग तो अब बैनरों की तरफ ठीक से देख भी नहीं रहे। कुछ जगह माता जगतजननी विराजमान हैं तो कुछ स्थापना अगले २ ३ दिनों में हो जाएंगी। पूरा माहौल देवीमय नजर आएगा सारी जनता कहीं गरबा तो कहीं रामलीला कहीं देवी जागरण तो कहीं कन्या पूजन में नजर आएगी नजर नहीं आएंगे तो कुछ माननीय जिनका अब तक जलवा बरकरार था। आलम तो यह है कि समितियों को भारी भरकम चंदा देकर स्वयं की फोटू ओर सम्मान पाने के लिए लालायित रहने वाले इन राजनीतिक भक्तों को इस बार चंदा देने का भी मन नहीं कर रहा। चुंनाव आयोग बार बार नए नए आदेश देकर इन माननीयों को पंडालों के आसपास तक फटकने के लिए मना करके मानों जले पर नमक छिड़क रहा है। खैर इन सब से दूर भक्त रूपी मतदाता उत्साहित है। माता की आराधना के बाद लोकतंत्र के महायज्ञ में आहुति देने का वक्त जो आ जायेगा। हवन की आहुति का मौका सभी को मिलेगा बस देखने वाला होगा स्वाहा किसके नाम की होगी। खैर यही तो हमारे लोकतंत्र की सुंदरता है यहां कब बैनर पोस्टर से माननीय गायब हो जाएं कुछ नहीं कहा जा सकता । समय है बदलता रहता है। दशहरा दिवाली निकल जाएंगे आतिशबाजी भी खूब मनेगी पर असली दिवाली तो ११ दिसम्बर को ही मनेगी अब सवाल यह कि यह दिवाली कौन मनाएगा।
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