इसी बहाने

इसी बहाने: कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस में वानी

परिणामों को लेकर चर्चा कुछ यूं..
हावत बचपन से बुजुर्गों को मुख से सुनी जाती रही है कि कोस-कोस पर पानी बदले और चार कोस पर वानी ,आज चुनावी माहौल और परिणामों की बेताबी के बीच फिर से कहावत याद आ रही है। जहां तहां कहीं पर किसी के जीतने-हारने की चर्चा है तो कहीं पर किसी के दावों की लंबी लंबी बातें। वैसे तो कोस-कोस पर पानी बदल जाता है। चार कोस पर वानी अर्थात भाषा बदल जाती है । यहां तो मीटर-मीटर और फुट-फुट पर चर्चा बदल रही हैं। एक चौराहे पर कुछ दावे हैं तो दूसरे पर कुछ और। पता नहीं इन दावों में कितना दम है, लेकिन पूरे प्रदेश का यही हाल है। साइलेंट मतदाता हंै कि अभी भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। ईव्हीएम में कैद प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला केवल 11 दिसंबर पर ही डिपेंड हैं। अब तक के निर्वाचनों में मतदान समाप्त होते ही एग्जिट पोल के आसरे कुछ आराम की नींद सोते थे तो कुछ की नींद खराब होती थी। इस बार एग्जिट रूपी शिगूफा भी नहीं रहा। अब बारी केवल समर्थकों की ही रही जो जी भर-भर कर वह अपने अपने दावे करने में लगे हैं। जीत और हार के दावों के बीच किसकी सरकार बन रही है और किसकी बिगड़ रही है ठीक पानी और वानी की तरह ही बदले जा रहे हैं। फर्जी सर्वे और कथित एग्जिट पोल की सोशल मीडिया पर बाढ़ सी आ गई है। यह पोल इस कदर एग्जिट लगते हैं कि एक नजर तो देख कर इन्हें कोई भी नकार ही नहीं सकता। चुनाव तो प्रदेश में पहले भी हुए लेकिन ऐसे चुनाव जब न तो चुनाव के पहले और अब न ही चुनाव के हफ्ते भर बाद कोई भी यह दावा करने में पूरी तरह से आश्वस्त है कि वह जो कह रहा है वो सौ फीसदी सच होने वाला है। कोई भी प्रतिशत चुनावी गणित में फिट नहीं बैठ पा रहा। फिट केवल 50-50 ही नजर आ रहा है। फिफ्टी-फिफ्टी का यह दौर कुछ ऐसा है कि हर कोई के श्रीमुख से यही शब्द सुना जा रहा है। आलम तो यह कि फिफ्टी-फिफ्टी पर तमाम कंपनियां तो अपने प्रोडक्ट तक बेचने में लग गई हैं। सभी को उम्मीद है कि मामला इस बार फिफ्टी फिफ्टी ही रहेगा, तो क्यों न इस शब्द को ही कैस करा लिया जाए। चुनावी बयार जो कल तक पूरी तरह से गर्मी के आगोश में थी जैसे-जैसे समय बीत रहा मौसम के अनुरूप ही ठंडी पड़ती जा रही है। कुछ रोज में सब कुछ सामने होगा फिर एक दो दिन परिणामों की गर्मी में बीत जाएगा। और फिर सब कुछ हमेशा की तरह पुराने ढर्रे पर आ जाएगा। न तो कोस-कोस में पानी बदलेगा न ही चार कोस में वानी। तब तक संभालने के लिए माननीयों के पास ईव्हीएम है जो पराजय और विजय दोनों को संभाल कर रखी है तथा चुपचाप शांत होकर सभी आरोप प्रत्यारोप झेल रही है।

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