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आरपीएफ के गले की फांस बना चोरी का लोहा

कटनी। रेलवे से चोरी गया लोहा आरपीएफ के गले की फांस बन गया है। कटनी से लेकर जबलपुर तक रेल अधिकारी चोरी गए लोहे को तलाशने आसपास के शहरों में भी लगातार छापे मार रहे हैं। इस बीच आरपीएफ की जांच पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।

 

जांच में रेल अधिकारियों की लापरवाही भी आ रही सामने

आरपीएफ का दावा है कि कटनी से चोरी गए 100 टन लोहे में से 25 टन को जबलपुर बायपास से बरामद कर लिया गया है लेकिन यह लोहा कटनी से ही चोरी गया या नहीं यह न तो आरपीएफ बता पा रही है न ही इंजीनियरिंग विभाग के एक्सपर्ट। इधर रेलवे का दावा है कि जबलपुर से लोहा तो चोरी हुआ है लेकिन कितना और कहां से इसका पता नहीं चल सका है। इंजीनियरिंग और आरपीएफ विभाग की जांच टीम कई दिनों से स्टॉक खंगालने में ही जुटी है। उधर सोमवार को बायपास से पकड़े गए महबूब खान को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया ।

पटरी की स्पीड बता सकते हैं जगह नहीं
सूत्रों के मुताबिक पटरी की लंबाई, चौड़ाई और वजन के आधार पर इंजीनियर सिर्फ यह पता लगा सकते हैं कि इन पटरियों से कितनी रफ्तार से ट्रेन को निकाला गया लेकिन इन्हें कहां पर लगाया गया था यह पता करना मुश्किल है। दूसरी ओर जानकार आरपीएफ की कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उनकी माने तो इतना बड़ा मामला होने के बाद भी आरपीएफ को आसानी से बायपास गोदाम से पटरियां मिल गई वो भी खुले में। इसकी खबर न तो जबलपुर आरपीएफ की खुफिया विभाग को लगी न ही अपराध शाखा को।

पीडब्ल्यूआई की गड़बड़ी से अफसरों की भी आफत
जबलपुर इंजीनियरिंग विभाग के कछपुरा, जबलपुर, अधारताल से लेकर कटनी में पदस्थ पीडब्ल्यूआई की लापरवाही से लोहा चोरी गया। इनमें से कई के चोरी में शामिल होने के भी सबूत मिले हैं लेकिन इस चोरी में इंजीनियरिंग विभाग के डीईएन स्तर के अधिकारियों को मुश्किल में डाल दिया है। सूत्रों के मुताबिक आरपीएफ की जांच में उन्हें भी लापरवाह माना है।

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