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अब कोचिंग में करियर बना रही पूर्व अंतरराष्ट्रीय शूटर पूर्णिमा

किरण वाईकर। पूर्व अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज इंदौर की पूर्णिमा झनाने इन दिनों शूटिंग की कोचिंग में करियर बनाने में जुटी हुई हैं। मोंटेनेग्रो में पूर्णिमा ने राइकल कोचिंग में आईएसएसएफ का ‘बी’ लाइसेंस कोर्स दूसरे स्थान पर रहते हुए उत्तीर्ण किया था।  अंतरराष्ट्रीय शूटिंग स्पोर्ट्‍स फेडरेशन (आईएसएसएफ) ने पिछले दिनों सूडान में ओलिंपिक सॉलिडेटरी टेक्नीकल कोर्स आयोजित किया जिसमें पूर्णिमा ने राइफल शूटिंग की ट्रेनिंग दी।

मोंटेनेग्रो में पूर्णिमा ने राइकल कोचिंग में आईएसएसएफ का ‘बी’ लाइसेंस कोर्स दूसरे स्थान पर रहते हुए उत्तीर्ण किया था। वे भारत की एकमात्र ‘बी’ लाइसेंसधारी कोच है। इसी के चलते आईएसएसएफ ने उन्हें सूडान जैसे अफ्रीकी देश में कोचिंग का दायित्व सौंपा।

39 वर्षीया पूर्णिमा ने पुणे से फोन पर हुई चर्चा में कहा, 14 से 22 अक्टूबर तक हुआ यह कोर्स बहुत अच्छा रहा। सूडान में भी शूटिंग को लेकर बहुत उत्सुकता है और उन्हें ट्रेनिंग देते वक्त मुझे भी कई नई बातों को जानने का मौका मिला। इस दौरान मुझे वहां भारत के एम्बेसडर अमृत लगून से भी मिलने का मौका मिला और काउंसलेट जनरल श्री निर्वाण ने तो मुझे दिवाली के मौके पर डिनर पर भी आमंत्रित किया।

पूर्णिमा पुणे की बालेवाडी स्थित शूटिंग रेंज में बच्चों को शूटिंग की पर्सनलाइज्ड ट्रेनिंग देती हैं। उन्होंने कहा, मेरे पास देश के कई राज्यों से शूटर्स आते हैं। वे छुट्‍टियों या फिर बड़े टूर्नामेंट्‍स के पहले मेरे पास आते हैं, बाकी में उन्हें पूरा ट्रेंनिग शेड्‍यूल बनाकर देती हूं और हम रेग्यूलर संपर्क में रहते हैं।

वर्ल्ड कप फाइनलिस्ट रह चुकी पूर्णिमा ने अपने करियर में 100 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय/राष्ट्रीय स्पर्धाओं में हिस्सा लिया और 8 अंतरराष्ट्रीय तथा 60 से ज्यादा राष्ट्रीय पदक हासिल किए। पूर्णिमा से ट्रेनिंग ले रहे सचेत पिनानाथ और वंशिका राठौर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलताएं हासिल कर चुके हैं। इनके अलावा दिशा जाधव भी शानदार प्रदर्शन कर रही हैं।

उन्होंने दो वर्ष पहले श्रीलंकाई टीम को भी कोचिंग दी थी। पूर्णिमा इससे पहले जाने-माने कोच फर्निक थॉमस के सहायक के रूप में जापानी टीम को भी ट्रेनिंग दे चुकी हैं। उनका मानना है कि हमारे देश में यह धारणा बनी हुई है कि अच्छा शूटर ही अच्छा कोच होगा, इसके चलते दिग्गज शूटर्स के पास ट्रेनिंग के लिए नए शूटर्स की भीड़ लगी रहती है जबकि ऐसा जरूरी नहीं है। शूटिंग बहुत प्रीसिजन का खेल है और इसकी कोचिंग बहुत वैज्ञानिक आधार पर होती है। इसलिए पेरेंट्‍स को सिर्फ बड़े नामों के पीछे भागने की बजाए यह देखना चाहिए कि कौनसा कोच उनके बच्चों पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देकर उसका भविष्य बना सकता है।

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