सीमा पर सुरक्षा अधूरी क्यों? बंकरों की कमी पर फिर उठा विवाद
सीमा पर सुरक्षा अधूरी क्यों? बंकरों की कमी पर फिर उठा विवाद

सीमा पर सुरक्षा अधूरी क्यों? बंकरों की कमी पर फिर उठा विवाद।हाल ही में पाकिस्तान द्वारा LoC (लाइन ऑफ कंट्रोल) पर की गई फायरिंग से एक बार फिर सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। गोलीबारी की घटनाओं में जहां जवानों और नागरिकों को जानमाल का नुकसान उठाना पड़ा।
सीमा पर सुरक्षा अधूरी क्यों? बंकरों की कमी पर फिर उठा विवाद
सरकार ने बंकर निर्माण की कई योजनाएं घोषित
वहीं यह भी स्पष्ट हो गया कि सिर्फ आधुनिक हथियारों से नहीं, बल्कि मजबूत बंकरों और सुरक्षित ढांचे से ही रक्षा को मजबूत किया जा सकता है।हालांकि सरकार ने बंकर निर्माण की कई योजनाएं घोषित की हैं, लेकिन जमीन पर क्रियान्वयन की गति धीमी रही है। सीमावर्ती गांवों में रहने वाले नागरिक और अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिक, उचित बंकरों के अभाव में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
नागरिकों की जान भी बचाई जा सके
अब ज़रूरत है कि हथियारों की आपूर्ति के साथ-साथ बंकर निर्माण को भी प्राथमिकता दी जाए, ताकि जवान सुरक्षित रहकर प्रभावी जवाब दे सकें और नागरिकों की जान भी बचाई जा सके। 7 से 10 मई तक पाकिस्तान से चले तनाव में LoC पर बंकरों की कमी लोगों को महसूस हुई. बॉर्डर से सटे इलाकों में पाकिस्तान ने आम लोगों को निशाना बनाते हुए फायरिंग की, जिसमें कई लोगों की जान गई. इन क्षेत्रों में अगर पर्याप्त बंकर होते तो कई लोगों की जिंदगी बच सकती थी
हिंदुस्तान और पाकिस्तान की दुश्मनी पुरानी है. 78 साल से दोनों के बीच तनाव का रिश्ता रहा है. दोनों के बीच सबसे ज्यादा टेंशन लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर देखा जाता है. पाकिस्तान आए दिन बॉर्डर के आसपास रह रहे लोगों को निशाना बनाता है. उसकी ये नापाक हरकत बीते हफ्ते पूरी दुनिया ने देखी. भारत के एक्शन से बौखलाए पाकिस्तान ने बॉर्डर से सटे इलाकों में फायरिंग शुरू की और आम लोगों को निशाना बनाया. इसमें कई लोगों की जान गई. पाकिस्तान की इन्हीं हरकतों के बाद सवाल उठने लगे हैं कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए इतने साल बाद भी LoC पर बंकरों की क्यों नहीं पर्याप्त संख्या है
अभी कितने हैं बंकर?
जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव अटल डुल्लू के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में भारत-पाक सीमा पर अभी 9500 बंकर हैं. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती लोगों की सुरक्षा के लिए और अधिक बंकरों का निर्माण किया जाएगा. डुल्लू ने कहा, बंकरों की मांग बढ़ रही है और सरकार लगातार इसका निर्माण भी कर रही है.
बंकर क्यों जरूरी हैं?
- सैनिकों की सुरक्षा – गोलाबारी के समय वे सुरक्षित रहकर जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं।
- नागरिकों की रक्षा – सीमावर्ती गांवों में रहने वाले आम लोगों के लिए सामुदायिक बंकर ज़रूरी हैं।
- नुकसान में कमी – संपत्ति और जीवन की क्षति को कम किया जा सकता है।
- मनोबल बढ़ाना – जब जवान और नागरिक सुरक्षित महसूस करते हैं, तो उनका मनोबल ऊँचा रहता है।
उठते सवाल:
- क्या सीमावर्ती इलाकों में बंकरों की योजना तेज़ी से लागू हो रही है?
- क्या मौजूद बंकर मानक सुरक्षा स्तर के अनुसार बनाए गए हैं?
- क्या रक्षा बजट का पर्याप्त हिस्सा ऐसे ढांचागत निर्माण के लिए निर्धारित किया गया है?
संभावित समाधान:
- बंकर निर्माण में तेजी लाई जाए, खासकर हॉटस्पॉट इलाकों में।
- स्मार्ट बंकर डिजाइन किए जाएं जो निगरानी और जवाबी कार्रवाई में मदद करें।
- स्थानीय लोगों की भागीदारी से सामुदायिक बंकर बनें।
- राज्य और केंद्र सरकार के बीच समन्वय को मज़बूत किया जाए।