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वीरू दुर्गाेत्सव समिति का स्वर्णिम 50वाँ स्थापना वर्ष खेल खेल में हुई थी दुर्गा जी रखने की शुरुआत

वीरू दुर्गाेत्सव समिति का स्वर्णिम 50वाँ स्थापना वर्ष
खेल खेल में हुई थी दुर्गा जी रखने की शुरुआ

कटनी : नवदुर्गा पर्व को लेकर दुर्गा समितियों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। कटनी में कई पुरानी दुर्गा समिति अपने अनूठी मंच सज्जा और झांकी के लिए जानी जाती हैं , आकर्षक कार्य और कुछ नया कर गुजरने की चाहत उनकी पहचान बन चुकी है। केसीएस स्कूल प्रांगण का दुर्गा पूजा पंडाल वीरू दुर्गाेत्सव समिति के द्वारा स्थापित किया जाता है । वीरू दुर्गाेत्सव समिति का यह स्वर्णिम स्थापना वर्ष है। समिति उत्साह उमंग और उल्लास के साथ 50वी वर्षगांठ मनाने जा रही है , जिसको लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है । केसीएस स्कूल में समिति के द्वारा अमृतसर का ऐतिहासिक स्वर्ण मंदिर का निर्माण किया जा रहा है जिसमें मां भगवती की दिव्य और भव्य प्रतिमा विराजेगी । जिसके लिए नगर के कलाकार पिंटू (पेंटर) सौंधिया और उनकी टीम सहित समिति के सदस्य अथक मेहनत से स्मरणीय बनाने में जुटे हुए हैं।

वीरू दुर्गाेत्सव समिति का यादगार इतिहास भी किसी रोचक किस्से से कम नहीं है । समिति के सदस्यों द्वारा दुर्गा जी रखने की शुरुआत खेल-खेल में की गई थी । वीरेंद्र ( वीरू ) ताम्रकार ने अपने मित्र संतोष शर्मा और राजेंद्र ताम्रकार के साथ मूर्तिकार के यहां से मिट्टी लाकर अपने हाथों से मूर्ति का निर्माण किया लेकिन घर के बड़े लोगों ने इस शर्त के साथ स्थापना की स्वीकृति दी गई कि कम से कम तीन साल मूर्ति रखना पड़ेगा । इस तरह प्रथम वार दुर्गा जी की स्थापना की गई और प्रतिमा पुरानी बस्ती शेर चौक स्थित एक घर में रखी जाती रही। बाल्यावस्था के इस दौर में समय के साथ कुछ और साथी भी जुड़ते चले गए लेकिन दुर्भाग्य वश इस दौरान वीरेंद्र उर्फ वीरू का एक हादसे में निधन हो गया। वीरू के निधन के बाद उसके मित्रों ने बीड़ा उठाते हुए अपने साथी के द्वारा शुरू किए गए कार्य को न केवल जारी रखा बल्कि एक समिति बनाकर दुर्गा जी की प्रतिमा जुलुस मार्ग में सड़क के किनारे रखी जाने लगी। समिति का नाम वीरू बाल दुर्गाेत्सव समिति रखा गया। जिसके कुछ सालों बाद समिति ने अपना फैलाव करते हुए केसीएस स्कूल में दुर्गा जी रखना शुरू कर दिया जो निरंतर आज भी जारी है। स्मृति में रखे जाने वाली दुर्गा प्रतिमाओं की लिस्ट में वीरू दुर्गाेत्सव समिति पहली ऐसी समिति है जिसने सर्वप्रथम वीरू की फोटो पंडाल में रखना शुरू किया ।

समिति ने 50 वर्षों के लंबे सफर के दौरान एक से बढ़कर एक आकर्षक,अनूठी और मनमोहक प्रस्तुतियां दी हैं । लालकिला , ताजमहल , सुरीले वाद्य यंत्रों सहित विशाल नगाड़े पर विराजमान मां दुर्गा , भव्य विशाल मंदिर , बद्रीनाथ धाम , कटनी का ऐतिहासिक कमानिया गेट, विशाल बांसुरी के मंच पर विराजमान मां भगवती के अलावा चलित झांकी की श्रृंखला में अहिल्या उद्धार, गोपी वस्त्र हरण , हेलन का डांस, फिल्म मेरा नाम जोकर का चर्चित राज कपूर , चार पालकी वाला चलित झूला , विशालकाय चलित डायनासोर , फिल्म जानी दुश्मन ,महंगाई डायन खाए जात है, चार्ली चैप्लिन, अयोध्या का रामलला दरबार ,चरखा चलाते गांधी जी, दशानन की झांकी , विशालकाय हाथी , बीच में रखे प्याले में पानी पीते मदमस्त दो मुर्गे की झांकी ,करोना काल की झांकी ,मोटू पतलू , चंद्रयान की सफलता सहित सम सामयिक मुद्दों पर चलित झांकी जन आकर्षण का केंद्र रही है जिसे लोगों की खूब सराहना भी मिली ।

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