
Vastu For Room: पलंग लेने के पहल कर लें लकड़ी की जांच !, एनर्जी बूस्टिंग खैर, सागौन, अर्जुन से बना बेड लाभकारी होगा । आज के दौर में फिटनेस को लेकर अधिकांश लोग सतर्क है. अच्छे स्वास्थ्य का कनेक्शन कहीं न कहीं आपकी नींद से जुड़ा है और अच्छी नींद तो तभी आएगी जब आप सही जगह, दिशा और सही लकड़ी से निर्मित बेड पर आराम करें
इस लेख में जानिए कि वास्तु के अनुसार आपके बेड का डिजाइन कैसा होना चाहिए और वह किस लकड़ी से बना हुआ होना चाहिए
बेड से जुड़े वास्तु
पहली बात यह समझने की है कि हमेशा दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए. बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, धारदार चीजें, अशुद्ध चीजें, खाने का सामान बेड के नीचे या बेड में नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने से आकस्मिक एवं असाध्य रोग होते हैं
वास्तु बेड बनाने के लिए सोलह से लेकर एक सौ पचास वर्ष की आयु के वृक्ष की लकड़ी का उपयोग उत्तम माना गया है, शीशम की लकड़ी की आयु तीन सौ साल तक होती है. शास्त्रों में कहा गया है, कि बबूल और इमली की लकड़ी में निगेटिव एनर्जी और भूत-प्रेत का वास माना जाता है इसलिए इन पेड़ों की लकड़ी से बने पलंग पर सोने से मानसिक अशांति, उद्वेग, प्रेत-बाधा, आदि से व्यक्ति ग्रस्त हो जाता है
पीपल वनस्पतियों में वृक्षराज कहा जाता है, इसलिए पलंग के लिए इसका प्रयोग मना है. शास्त्रों में इसे काटने या नुकसान पहुंचाने को अक्षम्य अपराध बताया गया है. बरगद, गूलर, नीम, कैथा, चंपक, घव, शिरीष, कोविदार आदि की लकड़ी का प्रयोग घर के अंदर सर्वथा वर्जित है. पलंग बनाने में तो इनका प्रयोग भूल कर भी नहीं करना चाहिए
रखें इन बातों का ध्यान
खैर, सागौन, अर्जुन, देवदार, अशोक, महुआ और आम की लकड़ी से बना बेड लाभकारी होता है.
बेड मेटल का न लें, कोशिश करे कि लकड़ी का ही बेड खरीदें.
बेड गोल डिजाइन की जगह आयताकार में ही लेना या बनवाना चाहिए.
पलंग की लंबाई सोने वाले व्यक्ति की लंबाई से कुछ अधिक होनी चाहिए ताकि पैर बेड के बाहर न जाएं.
पलंग में शीशा लगा होना वास्तु की दृष्टि से महत्वपूर्ण दोष है. यदि शयन करते समय व्यक्ति को अपना प्रतिबिंब नजर आए तो यह वास्तु दोष है, यह स्थिति आयु को क्षीण करती है तथा लंबे समय तक चलने वाले रोगों को जन्म देती है.