रामायण की सार्थकता भगवान के भक्तों के चरित्रो को जीवन में उतारने से है हमें हमेशा सत्य के मार्ग पर ही चलना चाहिए क्योंकि जीत सदैव सत्य की ही होती है -श्री श्री रामकृष्णाचार्य जी महाराज

रामायण की सार्थकता भगवान के भक्तों के चरित्रो को जीवन में उतारने से है हमें हमेशा सत्य के मार्ग पर ही चलना चाहिए क्योंकि जीत सदैव सत्य की ही होती है -श्री श्री रामकृष्णाचार्य जी महारा
कटनी-श्री सीतारामाचार्य गोष्टी न्यास, कटनी के तत्वावधान में संचालित श्री वेंकटेश सत्संग समिति, कटनी द्वारा आयोजित नवदिवसीय श्रीराम कथा का नवम दिवस अत्यंत श्रद्धा, आस्था तथा भक्ति के वातावरण में संपन्न हुआ।
यह कथा आयोजन शंभू टॉकीज रोड स्थित पूर्व आयकर कार्यालय परिसर में चल रही है, जहाँ श्रद्धालु के समक्ष व्यास पीठ से प्रभु श्रीराम के दिव्य चरित्र का वर्णन किया गया.
अंतिम दिवस की कथा में इटारसी से पधारे श्री श्री 1008 स्वामी श्री रामकृष्णाचार्य जी महाराज ने व्यासपीठ से भगवान श्रीराम के जीवन के अत्यंत प्रेरक प्रसंगों – श्री विभीषण जी की शरणागति, प्रभु श्रीराम का लंका गमन, रावण वध, तथा अयोध्या लौटने पर भव्य राज्याभिषेक – का विस्तृत वर्णन किया। स्वामी जी ने अपने प्रवचन में बताया कि विभीषण की शरणागति यह संदेश देती है कि सत्य और धर्म का मार्ग अपनाने वाला साधक सदैव भगवान की कृपा का पात्र बनता है। भगवान श्रीराम का लंका प्रस्थान और रावण वध अन्याय एवं अहंकार के अंत का प्रतीक है, वहीं अयोध्या आगमन और राज्याभिषेक मर्यादा, करुणा और न्याय के आदर्श शासन का प्रेरक उदाहरण है।कार्यक्रम स्थल पर भक्तिरस से ओतप्रोत भजन संध्या का भी आयोजन किया गया, जहाँ श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
भगवान के राज्याभिषेक के प्रसंग पर श्रद्धालुओं द्वारा 1100 दीपक जलाए गए एवं आतिशबाजी कर सभी को मिष्ठान वितरण किया गया.
व्यास पीठ से बताया गया कि यदि हम रामायण जी में भगवान के एक भक्त के चरित्र को अपने जीवन में उतार ले तो हमारा जीवन सफल है और यही रामायण जी का सार भी है
रामायण जी हमेशा असत्य पर सत्य की जीत का ग्रंथ है.
समिति के पदाधिकारियों द्वारा कथा के विश्राम दिवस पर कथा व्यवस्था में लगे हुए समस्त व्यवस्थापको से व्यासपीठ का पूजन करके माला अर्पण कराया गया.
रामायण जी की आरती के पश्चात महाप्रसाद वितरण किया जाएगा।
इस अवसर पर शहर के प्रमुख संतों, गणमान्य नागरिकों तथा बड़ी संख्या में भक्तजनों की उपस्थिति से कार्यक्रम की पवित्रता और गरिमा और भी बढ़ गई।
अंतिम दिवस श्री श्री 1008 स्वामी श्री रामकृष्णाचार्य जी महाराज के प्राकट्य उत्सव पर भजन संध्या का आयोजन किया गया जिसमें मनमोहन भगवान के भजनों की प्रस्तुति की गई. समापन पर सभी श्रद्धालुओं को बड़े ही प्रेम एवं आनंद के साथ लिए महाप्रसाद का वितरण किया गया.
समिति के द्वारा समस्त प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, जिला प्रशासन,पुलिस प्रशासन, नगर निगम एवं प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से जिनका भी सहयोग इस कार्यक्रम के लिए प्राप्त हुआ उन सभी का आभार व्यक्त किया गया l







