ई-अटेंडेंस को शिक्षक अपने अपमान से जोड़कर देख रहे हैं विरोध में सड़कों पर उतरे शिक्षक

ई-अटेंडेंस को शिक्षक अपने अपमान से जोड़कर देख रहे हैं विरोध में सड़कों पर उतरे शिक्षक
कटनी /गत दिवस पूरे प्रदेश में ई-अटेंडेंस को लेकर शिक्षकों द्वारा किये गये धरना -प्रदर्शनों में कटनी विकासखंड के शिक्षकों ने भी पुरानी कचहरी के समक्ष जमकर प्रदर्शनऔर नरेबाजी किये. गौरतलब है, कि राज्य शासन द्वारा एक जुलाई से शालाओं में शिक्षकों की ऑन लाइन उपस्थिति के आदेश को सिर्फ शिक्षकों के लिये लागू करने से शिक्षक संवर्ग इन दिनों वेहद नाराज है. इस व्यवस्था को सभी विभाग के कर्मचारियों के लिये भी अनिवार्य किये जाने का शासन पर दबाब बनाने हेतु ही कटनी ब्लॉक के शिक्षकों ने सड़क पर उतर कर शासन की पक्षपात पूर्ण नीति का खुलकर विरोध किये. शिक्षकों का आरोप है, कि शिक्षा विभाग में चालू की जा रही ई-अटेंडेंस शिक्षकों का अपमान है, अतः यदि इसे तत्काल वापिस नहीं लिया जाता या सभी विभाग में एकरूपता से एक साथ लागू नहीं किया तो इसे लेकर उनका आंदोलन आने वाले समय में और तीव्र होगा.जिसकी संपूर्ण जबाबदारी अपने जिद पर अड़ी मध्यप्रदेश शासन की मानी जाएगी . ई -अटेंडेंस को शिक्षकों का अपमान बताते हुए शिक्षकों के नेतृत्वकर्ताओं में प्रवक्ता कुंवर मार्तण्ड सिंह राजपूत, जय प्रकाश हल्दकार, नवनीत चतुर्वेदी, रमाशंकर तिवारी, श्रीकांत शुक्ला, सुरजीत तिवारी,सोमनाथ साहू,रवि सिंह, देवेंद्र कुल्हाड़ा, रमेश साह, संजय मिश्रा,राजू भईया, प्रमोद गर्ग, अरुण कोल, महेन्द्र सिंह सहित अनेकों अनेक महिला पदाधिकारीयों ने भी शासन को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला देकर आदेश को वापिस लेने हेतु दबाब बनायीं , जिसमें कोर्ट द्वारा जारी अनेकों अनेक आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है, कि इलेक्ट्रानिक उपकरण से किसी भी घटना या व्यक्ति विशेष की उपस्थिति को कदापि प्रमाणित नहीं किया जा सकता.अतः राज्य शासन ई-अटेंडेंस जो कि नित्य शिक्षकों के मोबाईल से लगना है, उसे किसी भी स्थिति में अनिवार्य नहीं कर सकता. क्योंकि शिक्षकों का मोबाइल का गुमना, टूटना, ख़राब होना, काम न करना, नेटवर्क का अभाव ,समय पर रिचार्ज न करा पाना जैसे आये दिन अनेकों अनेक कारण बनेंगे, ज़ब शिक्षक समय पर विद्यालय पहुँचने के बाद भी अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कर पायेगाऔर उसे छुट्टी लेने हेतु मज़बूर होना पड़ेगा. छुट्टियां खत्म होने की स्थिति में शिक्षक को वेतन से महरूम होने से शिक्षकों का मनोबल टूटेगा और वह मानसिक तनाव में रहकर अपने विभागीय दायित्व को रस्मअदायगी मानने लगेगा.ऐसी स्थिति में शिक्षक बच्चों को पढ़ाने लिखाने में कम बल्कि अपनी तनख्वाह पकाने में ज्यादा व्यस्त दिखाई देगा, निसंदेह इसका सीधा असर छात्र छात्राओं के भविष्य पर पड़ेगा.शिक्षकों ने इस व्यवस्था को अन्य विभागों में परीक्षण उपरांत,सत प्रतिशत सफल होने के बाद ही शिक्षकों के लिये लागू किये जाने का ज्ञापन प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार कटनी को सौंपकर अपने साथ न्याय करने की मांग किये हैं . सभी संगठनों के शिक्षक प्रतिनिधियों ने एक स्वर में शासन से शिक्षा विभाग को तरह तरह के प्रयोगों की प्रयोगशाला बनाने से गुरेज की बात भी नारों के माध्यम से दुहराते दिखाई दिये.