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11 Nov 2024, Mon

SC: महंगी कार इसलिए नहीं खरीदते कि उन्हें कोई असुविधा हो- 2 मर्सिडीज मामलों पर SC की टिप्पणी

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सुप्रीम कोर्ट ने कल मंगलवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के उन आदेशों को बरकरार रखा, जिसमें उन दोनों कंपनियों को राहत दी गई थी, जिन्होंने अपने डायरेक्टर्स के इस्तेमाल के लिए लग्जरी कार कंपनी मर्सिडीज-बेंज से महंगी गाड़ियां खरीदी थीं. अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि लोग महंगी गाड़ी इसलिए खरीदते हैं ताकि कोई असुविधा न हो.

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की डबल बेंच एक कार में हीटिंग की समस्या और एक अन्य हादसे के मामले में कार के एयरबैग नहीं खुलने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

क्या था मामला

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “लोग महंगी लग्जरी कारें इसलिए नहीं खरीदते हैं कि उन्हें किसी तरह की असुविधा हो, खासकर तब जब वे सप्लायर पर पूरा भरोसा करते हुए गाड़ी खरीदते हैं, जो ब्रोशर या विज्ञापनों के जरिए ऐसी कारों को दुनिया की सबसे बेहतरीन और सबसे सुरक्षित ऑटोमोबाइल के रूप में पेश और प्रचारित करता है.”

हालांकि यहां पर मुख्य मुद्दा यह है कि क्या किसी कंपनी द्वारा अपने डायरेक्टर के इस्तेमाल के लिए कार खरीदना “व्यावसायिक उद्देश्य” (commercial purposes) है, जो इसे उपभोक्ता संरक्षण कानूनों से बाहर रखता है. कोर्ट ने इस पर जोर डाला कि यह तय करना कि कोई खरीद वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए है या नहीं, यह हर मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है.

पहले मामले में मेसर्स डेमलर क्रिसलर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (अब मर्सिडीज बेंज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) और मेसर्स कंट्रोल्स एंड स्विचगियर कंपनी लिमिटेड शामिल थे. इसमें बाद वाली कंपनी ने अपने कार्यकारी निदेशकों (executive directors) के इस्तेमाल के लिए 2 मर्सिडीज कारें खरीदी. लेकिन एक कार में हीटिंग की समस्या होने लगी, खासतौर से सेंटर हंप एरिया में. हालांकि कार कंपनी ने इसमें सुधार करने की कोई कोशिश की, लेकिन समस्या खत्म नहीं हुई.

NCDRC ने मर्सिडीज के खिलाफ सुनाया फैसला

मामला उपभोक्ता फोरम में गया. लंबी सुनवाई के बाद राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें मर्सिडीज कंपनी को कार बदलने या फिर 1,15,72,280 रुपये की खरीद मूल्य की आधी राशि वापस लौटाने का निर्देश दिया. फैसले के खिलाफ मर्सिडीज ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आयोग के खिलाफ फैसले की अपील की.

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इस मामले में, कोर्ट को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि कार का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कार का इस्तेमाल पूर्णकालिक निदेशक और उनके परिवार द्वारा निजी उद्देश्यों के लिए किया गया था, और प्रतिवादी कंपनी की किसी भी लाभ से जुड़ी गतिविधि से इसका कोई संबंध नहीं था.

SC ने मुआवजे को किया कम

साथ ही कोर्ट ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि खरीद व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए की गई थी, जिसमें गाड़ी के व्यावसायिक इस्तेमाल को साबित करने की जिम्मेदारी विक्रेता (मर्सिडीज) पर थी. कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय आयोग ने लंबी ड्राइव के दौरान टेंपरेचर मापने के लिए लोकल कमिश्नर की नियुक्ति सहित परीक्षण और निरीक्षण का आदेश दिया, जिसमें यह निकल कर आया कि कार में लगातार हाई टेंपरेचर बना हुआ है, खासकर सेंटर हंप के आसपास.

कोर्ट ने एनसीडीआरसी के फैसले को बरकरार रखा, हालांकि मुआवजे की राशि को संशोधित कर दिया. यह देखते हुए कि शिकायतकर्ता ने 17 सालों तक कार का लगातार उपयोग किया है, कोर्ट ने मर्सिडीज को एनसीडीआरसी द्वारा आदेशित मूल 58 लाख रुपये की जगह 36 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया, और शिकायतकर्ता को कार रखने की अनुमति भी दे दी.

 

मर्सिडीज कार में नहीं खुला एयरबैग

वहीं दूसरे मामला मर्सिडीज बेंज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड के बीच था. विवाद एक गंभीर हादसे से उत्पन्न हुआ जिसमें सीजी पावर द्वारा अपने प्रबंध निदेशक (Managing Director) के लिए खरीदी गई मर्सिडीज ई-क्लास कार शामिल थी. जब यह गाड़ी आमने-सामने टकराई तो कार का एयरबैग नहीं खुल पाया, जिसके परिणामस्वरूप निदेशक को गंभीर चोटें आईं.

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शिकायतकर्ता की ओर से दावा किया गया कि मर्सिडीज बेंज की ओर से हाई लेवल की सुरक्षा की जानकारी दी गई थी, जिसमें कई एयरबैग शामिल थे, जिसे हादसे के वक्त खुलना था. लेकिन 17 जनवरी, 2006 को एक माल वाहक के साथ हुई टक्कर के दौरान मर्सिडीज कार का न तो आगे के एयरबैग और न ही साइड एयरबैग सही तरीके से खुल सका. हालांकि मर्सिडीज बेंज ने इन दावों का विरोध किया. दावा किया कि जिस तरह का हादसा हुआ उसमें एयरबैग नही खुलना था क्योंकि ड्राइवर सीटबेल्ट द्वारा यह पर्याप्त रूप से नियंत्रित था. सामने वाले यात्री का एयरबैग तभी खुलता है जब सीट पर कोई बैठा हो जबकि एमडी पीछे की सीट पर बैठे हुए थे.

 

मर्सिडीज को यहां भी लगा जुर्माना

एनसीडीआरसी ने एयरबैग नहीं खुलने के आरोप को सही मानते हुए सेवा में कमी के लिए 5 लाख रुपये और अनुचित व्यापार प्रथाओं के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया. मर्सिडीज ने इस फैसले के खिलाफ अपील की, जबकि सीजी पावर ने कोर्ट में अधिक मुआवजे की मांग करते हुए क्रॉस-अपील दायर कर दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने यहां पर एनसीडीआरसी के फैसले को बरकरार रखा और कंपनी की अपील को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा, “कार के प्रमोशन के समय एयरबैग की कार्यप्रणाली के बारे में पूरी जानकारी का अधूरा खुलासा किया गया.

 

By Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक पत्रकारिता, संपादक यशभारत डॉट काम