विश्व रंगमंच दिवस पर तिलक कॉलेज में ‘उत्तरकामायनी’ का सशक्त मंचन नाट्य मंचन में राहुल बहरोलिया के प्रभावशाली एकल अभिनय ने मोहा मन

विश्व रंगमंच दिवस पर तिलक कॉलेज में ‘उत्तरकामायनी’ का सशक्त मंचन नाट्य मंचन में राहुल बहरोलिया के प्रभावशाली एकल अभिनय ने मोहा म
कटनी-PMCOE शासकीय तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आज हिंदी विभाग, के तत्वावधान में विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर नाट्य मंचन का आयोजन किया गया, जिसमें सुप्रसिद्ध नाटक ‘उत्तरकामायनी’ की प्रभावशाली प्रस्तुति दी गई। विंग्स थिएटर द्वारा प्रस्तुत इस नाटक को लेखक दलीप बैरागी ने लिखा है, और इसे अभिनेता एवं निर्देशक राहुल बहरोलिया ने अपने गहरे अभिनय से जीवंत कर दिया। यह नाटक मानवीय संघर्ष, अस्तित्व और सामाजिक परिस्थितियों की गहरी पड़ताल करता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, प्राचार्य सुनील कुमार वाजपेई, ने हिंदी विभाग के इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा, “रंगमंच केवल अभिव्यक्ति का साधन नहीं, बल्कि समाज के बदलाव का भी माध्यम है। ‘उत्तरकामायनी’ का यह मंचन छात्रों के लिए न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि यह उनके बौद्धिक विकास में भी सहायक होगा। राहुल बहरोलिया का अभिनय अत्यंत प्रभावशाली था।”
इस नाट्य प्रस्तुति को देखने के उपरांत पूर्व प्राचार्य एवं विज्ञान संकाय प्रमुख डॉ. सुधीर कुमार खरे ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा, “हिंदी विभाग द्वारा आयोजित यह मंचन एक अनूठी पहल है। इस प्रकार के नाट्य मंचन साहित्य, समाज और रंगमंच के संबंध को मजबूत करने के साथ-साथ विद्यार्थियों की कल्पनाशक्ति एवं अभिव्यक्ति क्षमता को विकसित करते हैं। यह सोलो नाट्य प्रस्तुति समाज में अकेलेपन की त्रासदी और मानवीयता के आसन्न खतरे को लेकर है जो समसामयिक चिंताओं से जुड़ी हुई है।”
हिंदी विभागाध्यक्ष माधुरी गर्ग, जिन्होंने इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की, ने कहा, “यह नाटक केवल एक प्रस्तुति नहीं, बल्कि जीवन की जटिलताओं की गहरी व्याख्या है। राहुल बहरोलिया ने अपने अभिनय से इसे अविस्मरणीय बना दिया। छात्रों को रंगमंच के माध्यम से समाज को देखने और समझने का नया दृष्टिकोण प्राप्त हुआ।
जयशंकर प्रसाद की कामयानी से उत्तर कामायनी की चर्चा विश्व में सभ्यताओं के संकट को रेखांकित करता है, जो आज की नाट्य प्रस्तुति में भी समाने आई। आज के इस सफल मंचन के लिए हिंदी विभाग राहुल और उनके नाट्य समूह के प्रति आभार व्यक्त करता हैं।”
इस कार्यक्रम का निर्देशन एवं अभिनय राहुल बहरोलिया ने स्वयं किया, जबकि हिम्मत गोस्वामी का मार्गदर्शन रहा। हिंदी विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ सरदार दिवाकर, डॉ अतुल कुमार, डॉ विजय कुमार, श्री अमित चौधरी सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी, संकाय सदस्य और रंगमंच प्रेमी उपस्थित रहे। दोपहर 12:30 बजे शुरू हुए इस नाटक ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा, और पूरे सभागार में तालियों की गूंज सुनाई देती रही। ‘उत्तरकामायनी’ ने यह सिद्ध किया कि नाटक सिर्फ मंच पर बोले गए संवाद नहीं होते, बल्कि वे समाज को झकझोरने और सोचने पर मजबूर करने की शक्ति भी रखते हैं।