FEATUREDLatestअंतराष्ट्रीयराष्ट्रीय

अमेरिका में आठ बार जा चुके हैं पुतिन: 2000 से 2025 तक हर यात्रा ने बदला रूस–अमेरिका समीकरण, अब भारत दौरा क्यों है बेहद अहम?

अमेरिका में आठ बार जा चुके हैं पुतिन: 2000 से 2025 तक हर यात्रा ने बदला रूस–अमेरिका समीकरण, अब भारत दौरा क्यों है बेहद अहम?

अमेरिका में आठ बार जा चुके हैं पुतिन: 2000 से 2025 तक हर यात्रा ने बदला रूस–अमेरिका समीकरण, अब भारत दौरा क्यों है बेहद अहम?। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज से दो दिन के भारत दौरे पर हैं। यह दौरा कई मायनों में उस पहले ऐतिहासिक दौरे जैसा लगता है जो उन्होंने साल 2000 में बतौर राष्ट्रपति भारत का किया था. तब भारत में प्रधानमंत्री के पद की कमान अटल बिहारी वाजपयी के हाथ में थी।

अमेरिका में आठ बार जा चुके हैं पुतिन: 2000 से 2025 तक हर यात्रा ने बदला रूस–अमेरिका समीकरण, अब भारत दौरा क्यों है बेहद अहम?

तब रूस आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर था, भारत पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर रहा था, और दुनिया पर अमेरिका का वर्चस्व था।

आज, 2025 में, दुनिया की तस्वीर भले बदल गई हो, लेकिन माहौल बहुत कुछ वैसा ही दिख रहा है. रूस, तीन साल से जारी यूक्रेन युद्ध के चलते फिर पश्चिमी प्रतिबंधों से जूझ रहा है, अमेरिका और यूरोप खुले तौर पर उसके खिलाफ हैं, और भारत वॉशिंगटन के साथ टैरिफ वार्ताओं में उलझा हुआ है. इसी बीच एक दिलचस्प सवाल उठता है, पुतिन, जो आज पश्चिम से इतने कटे हुए दिखाई देते हैं, क्या कभी अमेरिका गए भी हैं? जवाब है हाँ. न केवल गए हैं, बल्कि राष्ट्रपति रहते हुए अमेरिका की कई अहम यात्राएँ की हैं।

पुतिन अमेरिका कितनी बार गए और क्यों गए?

पुतिन ने इस साल ही 2025 के अगस्त महीने में अलास्का में अमेरिका के राष्ट्रपति से मुलाकात की थी. अलास्का में उन्होंने ट्रंप के साथ शिखर बैठक में हिस्सा लिया. यह यात्रा कई कारणों से ऐतिहासिक थी. अलास्का वही इलाका है जिसे रूस ने 1867 में अमेरिका को मात्र $7.2 मिलियन में बेचा था. किसी भी रूसी राष्ट्रपति ने इससे पहले इस अमेरिकी राज्य में कदम नहीं रखा था. पुतिन की यह अमेरिका में राष्ट्रपति रहते हुए आठवीं यात्रा थी।

 

2000: पहला अमेरिकी कदम, बिल क्लिंटन से मुलाकात

राष्ट्रपति बनने के कुछ महीनों बाद पुतिन न्यूयॉर्क पहुंचे और संयुक्त राष्ट्र के मीलैनियम समिट में हिस्सा लिया. उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से मुलाकात की, और हथियार नियंत्रण, परमाणु अप्रसार और बहुपक्षीय संबंधों पर बात की. यह वही दौर था जब रूस नए विश्व संतुलन में अपनी जगह तलाश रहा था और अमेरिका के साथ संवाद खुला हुआ था।

2001: 9/11 के बाद की ऐतिहासिक यात्रा

यह पुतिन की सबसे प्रतीकात्मक अमेरिका यात्रा मानी जाती है. 9/11 हमलों के बाद पुतिन पहले विदेशी नेता बने जिन्होंने जॉर्ज डब्ल्यू. बुश को फोन कर समर्थन जताया. इसके बाद वे ग्राउंड जीरो पहुंचे, सम्मान व्यक्त किया और एक संदेश लिखा, अमेरिका की महान जनता जीतकर रहेगी. इस यात्रा में एक और दिलचस्प मोड़ था. पुतिन ने खुद CIA के एक सीमित-एक्सेस ब्रीफिंग में हिस्सा लिया, जो किसी भी रूसी नेता के लिए अत्यंत दुर्लभ है. टेक्सास में बुश के रैंच पर आयोजित अनौपचारिक डिनर ने उस समय के अमेरिकारूस रिश्तों में एक गर्मजोशी का संकेत दिया।

2003: इराक युद्ध की आंधी के बीच दौरा

इस साल पुतिन फिर अमेरिका पहुंचे, इस बार कैंप डेविड में. अमेरिका के मैरीलैंड में स्थित कैंप डेविड पिछले कई दशकों से अमेरिकी राष्ट्रपतियों के लिए कठिन कूटनीतिक वार्ताओं का केंद्र बना रहा है. इराक युद्ध पर रूस को गंभीर आपत्तियाँ थीं, लेकिन बातचीत का माहौल तनावपूर्ण नहीं था. दोनों देशों ने आतंकवाद, इराक के भविष्य और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर खुलकर बात की. यह वह समय था जब दोनों देश व्यापक साझेदारी के सपने देखते दिखाई देते थे, भले ही मतभेद भारी हों।

 

2004: G8 समिट और रीगन को अंतिम विदाई

2004 में पुतिन अमेरिका की दो अलग-अलग यात्राओं पर गए. पहले G8 समिट के लिए जॉर्जिया के सी आइलैंड पहुंचे, जहाँ रूस-अमेरिका सहयोग और वैश्विक सुरक्षा पर बातचीत हुई. फिर वे वाशिंगटन पहुंचे, जहाँ पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के अंतिम संस्कार में शामिल हुए और राष्ट्रपति बुश से मुलाकात की. यह वह दौर था जब बुश पुतिन को मित्र कहकर संबोधित करते थे और दोनों देश कम-से-कम औपचारिक तौर पर साथ दिखाई देते थे।

2005: न्यूयॉर्क सम्मेलन और व्हाइट हाउस वार्ता

2005 में पुतिन न्यूयॉर्क के विश्व सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे. उन्होंने जॉर्ज बुश के साथ व्हाइट हाउस में मुलाकात भी की. उस समय अमेरिका को न्यू ऑरलियन्स में आए कैटरीना तूफ़ान से भारी नुकसान हुआ था, और बैठक पर उसकी छाया साफ महसूस हुई। लेकिन चर्चा के केंद्र में ईरान और उत्तर कोरिया की परमाणु महत्वाकांक्षाएँ थीं।

2007: मेन में बुश फैमिली के घर वीकेंड डिप्लोमेसी

यह पुतिन की सबसे दिलचस्प अमेरिकी यात्राओं में से एक थी. जब रूस और अमेरिका मिसाइल रक्षा प्रणाली और कोसोवो की स्थिति पर गंभीर मतभेद झेल रहे थे, उसी समय बुश ने पुतिन को अपने परिवार के घर केनेबंकपोर्ट आमंत्रित किया. दोनों नेताओं ने साथ में मछली पकड़ी और बुश ने हंसकर कहा कि आज पुतिन चैंपियन हैं, क्योंकि उन्होंने सबसे बड़ी मछली पकड़ी. इस अनौपचारिक बातचीत ने संकट के दौर में भी संवाद का दरवाज़ा खुला रखा।

 

2015: आखिरी अमेरिकी यात्रा UNGA में ओबामा से टकराव

2015 में पुतिन आखिरी बार अमेरिका गए. वे न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल हुए, जहाँ उनकी बराक ओबामा के साथ मुलाकात साफ तौर पर ठंडी और विवादित रही. यूक्रेन में संघर्ष और सीरिया में बशर अल-असद को रूस द्वारा दिए गए सैन्य समर्थन ने दोनों नेताओं को आमने-सामने ला दिया था. यह वह समय था जब अमेरिकारूस रिश्ते गिरते-गिरते ऐतिहासिक न्यूनतम पर पहुँच चुके थे

आज भारत दौरा क्यों इतना अहम है?

पुतिन ऐसे समय भारत आए हैं जब रूस पश्चिमी दुनिया से लगभग पूरी तरह अलग-थलग है. यह दौरा रूस के लिए कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन भी है और भारत के लिए रणनीतिक संतुलन बनाए रखने का अवसर भी. रूस ने साफ कहा है कि वह भारत के साथ वैसा ही गहरा और सीमाओं से परे रिश्तों का मॉडल अपनाना चाहता है जैसा वह चीन के साथ रखता है. भारत भी वॉशिंगटन और मॉस्को के बीच अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को लेकर आज अधिक आत्मविश्वास से भरा हुआ है।

Back to top button