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कन्या महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में गुरु-शिष्य परंपरा विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन

कन्या महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में गुरु-शिष्य परंपरा विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोज

कटनी ‘शासकीय कन्या महाविद्यालय के भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ द्वारा सभागार में उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश शासन के निर्देशानुसार जुलाई माह की गतिविधियों के अंतर्गत “गुरु-शिष्य परंपरा” विषय पर एक भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और शिक्षा के मूल में निहित गुरु-शिष्य संबंधों के महत्व को रेखांकित करने के उद्देश्य से किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य डॉ. चित्रा प्रभात के मार्गदर्शन में मां सरस्वती की आराधना और माल्यार्पण के साथ हुआ। डॉ. चित्रा प्रभात ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह परंपरा भारतीय संस्कृति का आधार रही है, जहां गुरु न केवल ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि शिष्य के जीवन को नैतिकता, अनुशासन और मूल्यों के साथ समृद्ध करते हैं।
प्रतियोगिता की संयोजक डॉ. रोशनी पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में गुरु की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि गुरु वह दीपक है जो शिष्य के जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर कर उसे बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाता है।
भाषण प्रतियोगिता में स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं की छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतियोगिता में ईशा उपाध्याय ने प्रथम स्थान, रेशमा पासी ने द्वितीय स्थान और रचना नागवानी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त, अनन्या परिहार और कीर्ति यादव को सांत्वना पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सभी प्रतिभागियों ने गुरु-शिष्य परंपरा के विभिन्न आयामों जैसे गुरु का मार्गदर्शन, शिष्य की निष्ठा, और इस परंपरा का आधुनिक संदर्भ में महत्व आदि पर अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापकगण डॉ. विमला मिंज, डॉ. अशोक शर्मा, भीम बर्मन, प्रेमलाल कॉवरे, डॉ. के.जी. सिंह, पूनम गर्ग,  आंजनेय तिवारी, डॉ. वंदना चौहान, नम्रता निगम, आरती वर्मा, मैत्रेयी शुक्ला, प्रियंका सोनी, डॉ. फूलचंद कोरी, सृष्टि श्रीवास्तव और डॉ. प्रतिमा सिंह उपस्थित रहे। इनके मार्गदर्शन और प्रोत्साहन ने कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी बनाया।

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