गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर जीवनमुक्त सतगुरु कृपा का अमृत प्रवाह हजारों श्रद्धालु हुए हरे माधव सत्संग में हुये शामिल

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर जीवनमुक्त सतगुरु कृपा का अमृत प्रवाह हजारों श्रद्धालु हुए हरे माधव सत्संग में हुये शामि
कटनी- गुरुपूर्णिमा पर्व के पावन सुअवसर में हरिराया सतगुरु बाबा ईश्वरशाह साहिब जी की शरण में पावन दर्शन, आरत, स्तुति, चरण सेवा करने देश के अनेकानेक गाँवों, कस्बों, नगरों-महानगरों एवं विदेश से कई हजारों की तादाद में संगतें, श्रद्धालुजन पधारे, सभी के रहवास एवं भोजन प्रसाद की व्यवस्थाएं हरेमाधव परमार्थ सत्संग समिति माधवनगर द्वारा की गई गुरुवार 10 जुलाई हरेमाधव सत्संग प्रातः 09 बजे से हरेमाधव दरबार साहिब परिसर में प्रारंभ हुआ, सत्संग स्थल में हाजिरां हुजूर सतगुरु बाबा ईश्वरशाह साहिब जी का आगमन सर्वप्रथम कलश यात्रा माताएं अपने सर पर कलश रखकर और भाईं हाथों में हरेमाधव ध्वज पताकाएं झंडीया ले, झांझ घंटी मंजीरा घुंघरु बजाते हुए सतगुरु वंदना का गायन करते सतगुरु सेवक – सेविकाएं, पावन मंत्रोच्चारण जयघोष करते प्रेमभाव से अपने निर्मल भाव श्री चरणों में अर्पित करते रहें हृदयस्पर्शी भक्तिमय मनभावन वातावरण आनन्द प्रदान करता रहा। सतगुरु साहिबान जी के सत्संग पंडाल में प्रवेश पर मार्च पास्ट, पावन श्रीचरणों में हरेमाधव रूहानी बाल संस्कार के बाल गोपालों द्वारा सहस्त्रों वार कोटि नमन, जीवन मुक्त सतगुरु चरण…सतगुरु उस्तत के बोल से भरी श्रीचरण वंदना की गई। तदुपरांत हरेमाधव सद्ग्रंथ वाणी ‘‘गुरु की सेवा सब सुख सुख पूरन खाना’’ के साथ पूरण सतगुरु सेवा भक्ति का बखान किया गया कि, पूरण सतगुरु ही शिष्य आतम को शाश्वत मुक्तता के भेद बक्शने वाले, भवसागर से पार करने वाले चैतन्य पुरुख नाविक हैं जिनकी पावन शरण का आसरा ले अनन्य प्रेम कर, अनन्य सेवा, अनन्य भक्ति कर शिष्य आतम भवसागर से पार हो जाती हैं और परम मोक्ष की अधिकारी बनती है ,।
सत्संग पश्चात् संगतों ने अपने अनुभव बताए कि किस तरह उनके ऊपर सतगुरु साहिबान जी की लीलाएं हुई हैं एवं कैसे सतगुरु जी ने सदृश्य-अदृश्य रूप में कष्टों दुखों से उन भगतों की संभाल की है, तत्पश्चात एल.ई.डी.पर सतगुरु मेहर कृपा पर आधारित साखी ‘सतगुरु के उपकार साधों गणत न गणिया जाएं ” की प्रस्तुति दिखाई गई, सतगुरु जी करुण पुकार सुनकर शिष्य की रक्षा करने दौड़े-दौड़े आते हैं और शिष्य सेवकों को संकट से उबारते है। मेहर साखियों को हृदयंगम कर संगतें कृतज्ञतापूर्वक नमन करती रही जीवनमुक्त हरेमाधव सतगुरु साहिबानो ने जो विराट परम लीलाएं देवी नर्मदा की गहन जलराशियों में की , जो यर्थात वचन विलास देवी नर्मदा से हुआ। इस परमत्वमय विराट लीला के दर्शन एलईडी के माध्यम से सभी ने देखा
गुरुपूर्णिमा पर्व 10 जुलाई 2025-गुरुवार और गुरुपूर्णिमा का संयोग अत्यन्त दुर्लभ और अत्यधिक शुभ है।
गुरुपूर्णिमा अर्थात ऐको प्रकाश का पर्व, सच्चा प्रकाश है वह प्रकाश जो देह के अंदर भी मौजूद है, देह के बाहर भी मौजूद है पर जब हम ऐको प्रकाश सतगुरु की शरण, ओट, प्रेम ,प्यार, चरण-पूजन, चरण-आरत से जुड़ते हैं, हमारी आतम भी काल की हदों से ऊपर उठकर पूरे सतगुरु के सच्चे प्रकाश, ऐको प्रकाश में लीन हो जाती है, क्योंकि सतगुरु निर्मल प्रकाश का भंडारी पुरुख है वह अपनी भंडारी दातों को किसी का वर्ण-वर्ग देखकर नहीं देता। उन दातों को केवल शुद्ध भोले भाव से अर्जित किया जाता है। इस वास्ते, सतगुरु की शरण मे अहम् भाव को छोड़ना, दुर्योधन भाव को छोड़ना, बस मीरा-विदुर भाव को धारण करना, गुरुपूर्णिमा सतगुरु के गहबी प्रकाश का पर्व जिसमें शिष्य आतम को आन्तरिक उर्जा शक्ति आतम आहार मिलता है, गुरुपूर्णिमा में शिष्य के लिए यह उपदेश अमलीक सच्चे वचन हैं। जैसे सुर्य की एक किरण अंधकार मिटा देती है वैसे ही जीवनमुक्त सतगुरु द्वारा प्रदत्त अमृतनाम मन के संशयों को हर लेता है सो भक्ति करो उजियारा होगा।
पूरण सतगुरु बाबा ईश्वरशाह साहिब जी की आरत वंदन शिष्यों ने बड़े प्रेमाभाव, भगति भाव से की, श्री आरती वंदन के दौरान कुदरत भी आकाश से कुछ क्षणों के लिए मेघ बरसा सतगुरु आरत में हाजिर हुई एवं समस्त वातावरण को खुशनुमा, शीतल कर दिया। महाआरती में देवत्व महाकृपा सुखद आनन्द की चारों ओर आरतदीप प्रज्वलित घुप कपूर चन्दन की सुवास के साथ सामुहिक महाआरती प्रार्थना करने पर एकता भक्ति प्रेम की जो न्यारी अनुभूति संगतों को हुई वह अवर्णनीय है पावन हरे माधव सत्संग में देश-विदेश के अनेक नगरों से हजारों श्रद्धालुजन पधारे एवं सत्संग के अमृत वचनों, एवं जीवन-मुक्त सतगुरु जी के पावन दर्शन का लाभ प्राप्त किया व सतगुरु सांई जी के पावन श्रीचरणों में मात्था टेक दया आशीष प्राप्त की। सत्संग पश्चात् सभी ने हरेमाधव ब्रम्हभोज भंडारा प्रसाद ग्रहण कर मुख पवित्र किया ।