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Nobel Prize Announcement: विक्टर एंब्रोस-गैरी रुवकुन को चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया

Nobel Prize Announcement: विक्टर एंब्रोस-गैरी रुवकुन को चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया

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Nobel Prize Announcement: विक्टर एंब्रोस-गैरी रुवकुन को चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2024 के नोबेल पुरस्कारों का एलान सोमवार से शुरू हो गया। इसके तहत आज फिजियोलॉजी या मेडिसिन क्षेत्र के लिए इस सम्मान के विजेताओं के नाम का एलान किया गया। इस साल अमेरिका के विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। दोनों को माइक्रो आरएनए की खोज के लिए यह सम्मान दिया जाएगा।

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इससे पहले पिछले साल यानी 2023 में कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को चिकित्सा का नोबेल दिया गया था। इन्हें न्यूक्लियोसाइड बेस संशोधनों से संबंधित उनकी खोजों के लिए यह सम्मान दिया गया था। इस खोज की वजह से कोरोनावायरस यानी सीओवीआईडी-19 के खिलाफ प्रभावी एमआरएनए टीकों के विकास में मदद मिली थी।

क्यों महत्वपूर्ण है ये खोज

विक्टर एम्ब्रोस ने सी. एलिगेंस में विकासात्मक समय के जेनेटिक कंट्रोल को लेकर शोध किया है। यह खोज जीवों के विकास और कार्य करने के तरीके को समझने के लिए मौलिक रूप से महत्वपूर्ण साबित हो रही है। भले ही हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं में एक जैसे जीन होते हैं, लेकिन मांसपेशियों और तंत्रिका कोशिकाओं जैसी विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं अलग-अलग कार्य करती हैं। यह जीन विनियमन के कारण संभव है, जो कोशिकाओं को केवल उन जीनों को “चालू” करने की अनुमति देता है जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है। माइक्रोआरएनए को लेकर एम्ब्रोस और रुवकुन की खोज ने इस विनियमन के होने का एक नया तरीका बताया है।

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एम्ब्रोस वर्तमान में मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल में प्राकृतिक विज्ञान के प्रोफेसर हैं। रुवकुन का शोध मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में किया गया था, जहां वह आनुवंशिकी के प्रोफेसर हैं।

2022 में स्वीडन के स्वांते पैबो को मिला था पुरस्कार

2022 में स्वीडन के स्वांते पैबो को फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें विलुप्त होमिनिन और मानव विकास की आनुवांशिकी (जीनोम) से जुड़ी खोजों के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। नोबेल समिति ने बयान जारी कर कहा था कि कोरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में नोबेल समिति ने आज विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनों से जुड़ी खोजों के लिए स्वांते पैबो को फिजियोलॉजी या चिकित्सा क्षेत्र में 2022 का नोबेल पुरस्कार देने का फैसला किया। स्वांते पैबो ने अपने शोध में पाया था कि विलुप्त होमोनिन जीन होमो सेपियन्स में ट्रांसफर हुए थे। पैबो पैलियोजेनेटिक्स के संस्थापकों में से एक रहे हैं जिन्होंने निएंडरथल जीनोम पर बड़े पैमाने पर काम किया है। वह जर्मनी के लीपजिंग में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी मेंजेनेटिक्स विभाग के निदेशक भी रहे हैं।

2021 में इन वैज्ञानिकों को मिला था ये पुरस्कार

2021 का चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से डेविड जूलियस और आर्डेन पैटामूटियम को सम्मानित किया गया था। इन दोनों शोधकर्ताओं को शरीर के तापमान, दबाव और दर्द देने वाले रिसेप्टरों की खोज करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। दोनों नोबेल विजेता अमेरिकी थे। डेविड जूलियन यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में प्रोफेसर थे। वहीं पैटापूटियन अर्मेनियाई मूल के अमेरिकी नागरिक हैं और ला जोला के स्क्रिप्स इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक थे।

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आज से ही हुई शुरुआत

चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के साथ ही नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की शुरूआत हो गई है। अब मंगलवार को भौतिकी, बुधवार को रसायन विज्ञान और गुरुवार को साहित्य के क्षेत्र में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता के नाम की घोषणा होगी। इसके अलावा नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में इस पुरस्कार के विजेता की घोषणा 14 अक्तूबर को की जाएगी।

इतना मिलता है पुरस्कार

पुरस्कारों में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानी एक मिलियन अमेरिकी डॉलर या दस लाख डॉलर का नकद पुरस्कार दिया जाता है। धनराशि अवॉर्ड के संस्थापक और स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की छोड़ी हुई वसीयत से आती है। 1896 में उनका निधन हो गया था। नोबेल पुरस्कार अधिकतम तीन विजेताओं को दिया जा सकता है। उन्हें पुरस्कार राशि साझा करनी होती है।

 

Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक पत्रकारिता, संपादक यशभारत डॉट काम

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