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बिहार की राजनीति में नए समीकरण: मुकेश सहनी की डीपी में तिरंगा और बीजेपी संग आने की संभावना

बिहार की राजनीति में नए समीकरण: मुकेश सहनी की डीपी में तिरंगा और बीजेपी संग आने की संभावना

बिहार की राजनीति में नए समीकरण: मुकेश सहनी की डीपी में तिरंगा और बीजेपी संग आने की संभावना जताई जा रही है। वहीं मुकेश सहनी के इस कदम से, जहां राजद नेता और उनके पूर्व साथी तेजस्वी यादव सकते में हैं। वहीं बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है।

बता दें कि बीजेपी पूरे देश में हर घर तिरंगा अभियान चला रही है। जिसके बाद से सियासी गलियारे में ये चर्चा तेज है कि सहनी का INDIA गठबंधन से मोहभंग हो गया है और वो NDA में वापसी कर सकते हैं। वैसे तो VIP सुप्रीमो मुकेश सहनी के पिता के श्राद्ध कर्म के बाद से ही इस बात की सुगबुगाहट हो रही है। हालांकि, इन अटकलों को VIP सिरे से खारिज कर रही है। दूसरी तरफ बीजेपी के नेताओं ने पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है। वहीं जदयू कोटे से मंत्री जमा खान ने कहा कि आएंगे तो उनका स्वागत है।

जदयू ने सहनी के फैसले का स्वागत

वहीं मुकेश सहनी को लेकर नीतीश कुमार के करीबी मंत्री जमा ख़ान का बड़ा बयान सामने आया है। मंत्री ने सीधे तौर पर मुकेश सहनी के एनडीए में शामिल होने के रास्ते को खुला बताया है। मंत्री जमा ख़ान ने कहा कि अगर मुकेश सहनी एनडीए के साथ आते हैं तो उनके लिए रास्ता खुला हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर मुकेश सहनी नीतीश कुमार के विकास से प्रभावित होकर आते एनडीए में आते हैं तो नीतीश कुमार का बहुत बड़ा दिल है स्वागत करेंगे, लेकिन, जो बिहार का अहित करेंगे उनके किए दरवाज़ा कभी नहीं खुलेगा।

बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने भी अपनी प्रोफाइल फोटो बदली

भाजपा 15 अगस्त को ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चला रही है। पार्टी ने अपने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रोफ़ाइल फोटो की जगह तिरंगा लगाने की अपील की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरुआत की है। उनके बाद भाजपा के कई बड़े नेताओं ने भी अपनी प्रोफ़ाइल फोटो बदल ली है।

इंडिया अलांयस को कमजोर करने में जुटी NDA

बता दें कि 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। भाजपा विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को कमजोर करने की रणनीति बना रही है। इसके लिए वह ऐसे नेताओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है जो ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों में हैं, लेकिन भाजपा में शामिल हो सकते हैं।

40-50 सीटों पर एनडीए के वोटों का बिखराव रोक सकते हैं
मुकेश सहनी 2014 से ही बीजेपी का साथ दे रहे थे। 2014 और 2015 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी के पक्ष में प्रचार किया था। इसके बाद 2019 के चुनाव में वे महागठबंधन के साथी बनें। इन चुनावों में वे एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुए थे। 2020 में NDA का हिस्सा थे। चुनाव में उनकी पार्टी के 4 विधायकों को जीत मिली। बाद में बीजेपी ने चारों विधायकों को तोड़कर अपने साथ मिला ली। इससे नाराज मुकेश सहनी ने गठबंधन तोड़ लिया और 2024 के चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा हो गए। 3 सीटों पर चुनाव लड़े तीनों पर जमानत जब्त हो गई।इन सबसे इतर मुकेश सहनी की बिहार में पहचान एक मल्लाह नेता के तौर पर होने लगी है। बिहार में इनकी आबादी लगभग 5 फीसदी है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की माने तो भले वे सीट नहीं जीते, लेकिन लगभग 40-50 सीटों पर मल्लाह के वोटों को अपने पक्ष में ला सकते हैं और एनडीए के वोटों का बिखराव रोक सकते हैं।

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