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सिर उत्तर की ओर क्यों न करें? जानिए आयुर्वेद, वास्तु और धर्म का नजरिया

सिर उत्तर की ओर क्यों न करें? जानिए आयुर्वेद, वास्तु और धर्म का नजरिया

सिर उत्तर की ओर क्यों न करें? जानिए आयुर्वेद, वास्तु और धर्म का नजरिया, भारतीय संस्कृति में दिशा का विशेष महत्व है, विशेषकर सोते समय सिर की दिशा को लेकर कई मान्यताएं और वैज्ञानिक तर्क मौजूद हैं। खासकर यह माना जाता है कि सिर को उत्तर दिशा की ओर रखकर सोना अशुभ होता है, लेकिन इसके पीछे केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक और भू-चुंबकीय कारण भी छिपे हैं।

सिर उत्तर की ओर क्यों न करें? जानिए आयुर्वेद, वास्तु और धर्म का नजरिया

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सिर उत्तर की ओर क्यों न करें? जानिए आयुर्वेद, वास्तु और धर्म का नजरिया
सिर उत्तर की ओर क्यों न करें? जानिए आयुर्वेद, वास्तु और धर्म का नजरिया

1. धार्मिक दृष्टिकोण (हिंदू धर्म)

हिंदू धर्म के अनुसार, उत्तर दिशा को पवित्र माना जाता है, और यह दिशा भगवान कुबेर (धन के देवता) और यमराज (मृत्यु के देवता) से जुड़ी हुई मानी जाती है। पुराणों और शास्त्रों में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति सिर उत्तर की ओर करके सोता है, तो उसके जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।

कुछ धार्मिक मान्यताएँ इस प्रकार हैं

  • उत्तर दिशा में सोने से आत्मा का प्रवाह प्रभावित हो सकता है: माना जाता है कि सिर उत्तर की ओर करने से मनुष्य की आत्मा की गति प्रभावित हो सकती है। मृत्यु के बाद आत्मा का उत्तर दिशा की ओर जाना समझा जाता है, इसलिए सोते वक्त यह दिशा असुरक्षित मानी जाती है।

  • मंगलिक दोष: धार्मिक मतों में यह भी कहा जाता है कि उत्तर दिशा में सोने से जीवन में नकारात्मक ऊर्जा और असंतुलन पैदा हो सकता है, जिससे मानसिक शांति में कमी हो सकती है।

  • 2. आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

    • दक्षिण की ओर सिर रखना: आयुर्वेद और वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा में सिर रखने से मनुष्य को मानसिक शांति, ऊर्जा और अच्छी नींद मिलती है। इसे शुभ माना जाता है, क्योंकि दक्षिण दिशा से जुड़ा पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र शरीर के लिए अधिक अनुकूल माना जाता है।

    • पूर्व की ओर सिर रखना: पूर्व दिशा को सूर्य के साथ जोड़ा जाता है, और इसे भी शुभ दिशा माना जाता है। पूर्व दिशा में सिर रखने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, और यह आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है।

      आयुर्वेद में शरीर के पांच तत्त्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) के संतुलन का बहुत महत्व है, और यह संतुलन हमारी जीवनशैली, आहार और निद्रा से प्रभावित होता है। आयुर्वेद के अनुसार, सोने की दिशा का भी हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।

      • पंचतत्त्व और शरीर की स्थिति: आयुर्वेद के अनुसार, उत्तरी दिशा में सोने से शरीर के “वात” (वायु) तत्त्व में असंतुलन हो सकता है, जिससे मानसिक चिंता और शारीरिक थकान हो सकती है।

      3. सिर दक्षिण या पूर्व की ओर रखना क्यों बेहतर होता है?

  • पृथ्वी और चुंबकीय बल: आयुर्वेद में कहा गया है कि पृथ्वी के चुंबकीय बल और हमारे शरीर के चुंबकीय क्षेत्र में तालमेल होना चाहिए। उत्तर दिशा में सोने से यह तालमेल गड़बड़ सकता है। उत्तर दिशा में पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव (नदी) से जुड़ा चुंबकीय क्षेत्र होता है, जो सिर और शरीर की ऊर्जा के बीच असंतुलन उत्पन्न कर सकता है।

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