India Airspace is Going To Change: अब 24×7 दुश्मनों पर नजर रखेगा आसमान, एयरस्पेस में तैनात होंगे भारत के 52 उपग्रह
India Airspace is Going To Change: अब 24x7 दुश्मनों पर नजर रखेगा आसमान, एयरस्पेस में तैनात होंगे भारत के 52 उपग्रह

India Airspace is Going To Change: अब 24×7 दुश्मनों पर नजर रखेगा आसमान, एयरस्पेस में तैनात होंगे भारत के 52 उपग्रह। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, सिग्नल जैमिंग और रडार टेक्नॉलजी से भारत ने दुश्मन देश पाकिस्तान को कैसे पस्त किया, ये पूरे विश्व ने देखा। अब भारत अपनी इस ताकत को और भी बढ़ाने जा रहा है। जी हां.. भारत का एयरस्पेस बदलने जा रहा है। आने वाले दिनों में आसमान में 24X7 52 उपग्रह भारत की सुरक्षा में लगे दिखाई देंगे।

India Airspace is Going To Change: अब 24×7 दुश्मनों पर नजर रखेगा आसमान, एयरस्पेस में तैनात होंगे भारत के 52 उपग्रह
दरअसल भारत अगले 3 से 4 साल में 52 निगरानी उपग्रहों की लॉन्चिंग करेगा। इसके लिए शेड्यूल को और भी तेज कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट में इसरो की लीड रोल तो होगी ही, प्राइवेट प्लेयर्स को भी इसमें जिम्मेदारी दी गई है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत प्रतिकूल क्षेत्रों की निरंतर निगरानी बढ़ाने के लिए 52 निगरानी उपग्रहों की लॉन्चिंग में तेजी लाने जा रहा है। इससे भारत को दक्षिण एशिया समेत पूरी दुनिया की सैटेलाइट तस्वीरें मिल सकेंगी। जरूरत पड़ने पर भारत इनका इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए कर सकेगा। भारत ने अंतरिक्ष आधारित निगरानी बढ़ाने के लिए पिछले साल अक्टूबर में 26,968 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट पास किया है। इन सैटेलाइट नेटवर्कों की तैनाती इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत प्रतिकूल क्षेत्रों की निरंतर निगरानी बढ़ाने के लिए 52 निगरानी उपग्रहों की लॉन्चिंग में तेजी लाने जा रहा है। इससे भारत को दक्षिण एशिया समेत पूरी दुनिया की सैटेलाइट तस्वीरें मिल सकेंगी। जरूरत पड़ने पर भारत इनका इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए कर सकेगा। भारत ने अंतरिक्ष आधारित निगरानी बढ़ाने के लिए पिछले साल अक्टूबर में 26,968 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट पास किया है। इन सैटेलाइट नेटवर्कों की तैनाती इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत इसरो 21 उपग्रहों को लॉन्च करेगा, जबकि तीन निजी कंपनियां शेष 31 उपग्रहों का निर्माण करेगी और इसकी लॉन्चिग भी करेंगी। इसकी लॉन्चिंग के लिए टाइमलाइन को और भी टाइट कर दिया गया है।
ये है भारत का उद्देश्य
इस उपग्रह प्रक्षेपण का उद्देश्य चीन, पाकिस्तान और हिंद महासागर क्षेत्र में कवरेज में सुधार करना है। साथ ही निर्णय लेने के क्षमता को बेहतर बनाने के लिए साफ तस्वीरें प्राप्त करना है। ये उपग्रह दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने की उन्नत क्षमता प्रदान करके थलसेना, नौसेना और वायुसेना की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
बता दें कि भारतीय वायुसेना अधिक ऊंचाई पर काम कर सकने में सक्षम छद्म उपग्रहों (High-Altitude Pseudo Satellites) को हासिल करने की योजना बना रही है। UAV जैसे ये प्लटेफॉर्म लंबे समय तक समताप मंडल में रह सकेंगे. ये छद्म उपग्रह भारत को खुफिया, निगरानी, टोही मिशनों में मदद करेंगे।
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, सिग्नल जैमिंग और रडार टेक्नॉलजी की क्या भूमिका थी, ये पूरी दुनिया ने देखा। भारत ने 22 मिनट तक पाकिस्तान के रक्षा प्रतिष्ठानों का पूरा सिग्नल जाम कर दिया था। इसी 22 मिनट में भारत की वायुसेना ने पाकिस्तान पर कहर बरपाया। इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर की ये लड़ाई अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे भारत के सैन्य उपग्रहों की वजह से संभव हुई थी। इन उपग्रहों के कारण ही भारत ने पाकिस्तान और PoK में स्थित जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों पर सटीक कार्रवाई कर पाया था। अब भारत मॉर्डन वॉरफेयर के इस प्रमुख हिस्से को मजबूत करने जा रहा है।