
सावन में शिव का जल-अभिषेक स्वयं प्रकृति ने किया, ग्वालियर के मंदिर में दिखा अलौकिक दृश्य। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मंगलेश्वर महादेव मंदिर में श्रावण मास में शिवलिंग से अचानक झिर फूट पड़ी। इसके बाद शिवलिंग जलमग्न हो गए। यहां पानी निकालने के लिए पंप लगाया गया है, लेकिन इसके बाद भी पूरा पानी खाली नहीं हो पा रहा है। यहां मंगल ग्रह को शांत करने के लिए होती है पूजा।
घासमंडी में स्थित प्राचीन मंगलेश्वर महादेव के शिवलिंग से पवित्र श्रावण मास में शिवलिंग से अचानक पानी की झिर फूट पड़ी है। जमीन से फूटे फव्वारे से मंगलनाथ जलमग्न हो गए हैं। गर्भगृह से पानी निकालने के लिए टिल्लू पंपों का उपयोग किया जा रहा है। पंप के उपयोग के बावजूद पानी खाली नही हो रहा है। कुछ श्रद्धालु इसे मंगलनाथ का चमत्कार तो कुछ एक माह से अनवरत हो रही बारिश के कारण आंतरिक जलस्तर बढ़ जाने को प्रमुख कारण माना रहे हैं।
नगर निगम के जेडओ सहित पार्षद भी देखने के लिए आए थे, लेकिन अब तक इस समस्या का कोई समाधान नही किया गया है। घासमंडी में प्राचीन मंगलेश्वर मंदिर में देवाधिदेव महादेव शिवलिंग रूप में विराजित है। मंगलेश्वर को उज्जैन के मंगलनाथ की तरह ही मान्यता है। यहां मंगल ग्रह को शांत करने के लिए विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने श्रद्धालु आते हैं।
मंगलेश्वर महादेव का कोई ज्ञात इतिहास को नहीं हैं, लेकिन वर्तमान पुजारी राजीव शर्मा का कहना है कि उनकी छठी पीढ़ी मंदिर की सेवा कर रही है। ऐसा बताया जाता है कि मंगलेश्वर मंदिर ढाई सौ वर्ष प्राचीन है और शिवलिंग अप्रत्याशित रूप से धरती से प्रकट हुआ है।
ज्यादा बारिश की वजह से झिर फूट पड़ी
आनंद नगर व घासमंडी में आंतरिक जलस्रोत पांच से 10 फीट पर था। घासमंडी के मंगलेश्वर मंदिर के गर्भगृह में झिर फूटने का कारण वहां किसी कालखंड में जलस्रोत रहा होगा, जो कि जीवित होगा। अतिरिक्त और अनवरत बारिश के कारण वहां झिर फूट पड़ी होगी। सावन में शिव का जल-अभिषेक स्वयं प्रकृति ने किया, ग्वालियर के मंदिर में दिखा अलौकिक दृश्य