श्रीमद् भागवत कथा में ध्रुव चरित्र की कथा सुनकर मंत्र मुग्ध हुए श्रोता, संकल्प और विश्वास के साथ जीवन में आगे बढ़ने की ली सीख

श्रीमद् भागवत कथा में ध्रुव चरित्र की कथा सुनकर मंत्र मुग्ध हुए श्रोता, संकल्प और विश्वास के साथ जीवन में आगे बढ़ने की ली सी
कटनी।। नगर के मुक्तिधाम परिसर में श्री श्री 1008 सिद्धपीठ श्री दक्षिणमुखी बड़े हनुमानजी मंदिर के तत्वाधान मे पहलगाम हमले मे शहीद हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए 11 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में कथा वाचक पंडित कथा व्यास भगवताचार्य श्री इंद्रभान शास्त्री जी महाराज ने
ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई। कथा के पांचवे दिन रविवार 8 जून को उन्होंने भक्तराज ध्रुव की कथा के माध्यम से श्रोताओं को भक्ति और दृढ़ संकल्प को विस्तार से समझाया। ध्रुव चरित्र की कहानी सुनकर श्रोता भावविभोर हो गए उन्होंने बताया कि भगवान की भक्ति में उम्र की कोई बाधा नहीं होती और धैर्य-संयम परिवार के लिए आवश्यक है।भक्त ध्रुव ने तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाया। कहा कि भक्ति के लिए उम्र कोई बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्ची मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बना सकते हैं। अगर ध्रुव पांच साल की उम्र में भगवान को पा सकता है तो फिर हम कैसे पिछड़ सकते हैं। अगर सच्चे मन से भगवान की भक्ति की जाए, तो भगवान खुद अपने भक्तों से मिलने पहुंच जाते है। इसलिए हमें समझना चाहिए नाम जप व दृढ संकल्प से ईश्वर शीघ्र प्रसन्न होकर हमारा कल्याण करते हैं।कथा का आयोजन मुक्ति धाम परिसर मे श्री श्री 1008 सिद्धपीठ श्री दक्षिणमुखी बड़े हनुमानजी मंदिर के तत्वाधान मे पहलगाम हमले मे शहीद हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए कराया जा रहा है। धार्मिक नगरी में यह आयोजन 4 से 14 जून तक चलेगा।
शनिवार 14 जून 2025 पूर्णआहुति के साथ हवन एवं विशाल भण्डारा का आयोजन के साथ कथा का समापन होंगा। कथा प्रतिदिन समय शाम 4 बजे से 7 बजे तक कथा स्थल मुक्तिधाम नदीपार आयोजित की जा रही हैं।..पंडित आनंद जी महाराज एवं पंडित कथा व्यास भगवताचार्य श्री इंद्रभान शास्त्री जी महाराज ने कटनी नगर की समस्त धर्म प्रेमी जनता से इस धार्मिक यात्रा और श्रीमद्भागवत कथा मे शामिल होकर धर्म लाभ अर्जित कर पुण्य लाभ प्राप्त करने की अपील की हैं।.इस मौके पर यजमान
आनंद जी महाराज, भरत जी महाराज समेत बहुत से लोग मौजूद रहे।