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RBI के रडार पर आया ग्लोबल बैंक, गंभीर अनियमितताओं का आरोप

RBI के रडार पर आया ग्लोबल बैंक, गंभीर अनियमितताओं का आरोप

RBI के रडार पर आया ग्लोबल बैंक, गंभीर अनियमितताओं का आरोप, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने छोटे और मझोले कारोबारियों को कुछ ऐसे डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स बेचे जो उनके लिए बिल्कुल सही नहीं थे. ये प्रोडक्ट्स आमतौर पर बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए डिजाइन किए जाते हैं जिनके पास जोखिम उठाने की क्षमता और समझ होती है लेकिन छोटे कारोबारियों को ये प्रोडक्ट्स बेचते वक्त बैंक ने जोखिम की पूरी जानकारी देने में लापरवाही बरती

RBI के रडार पर आया ग्लोबल बैंक, गंभीर अनियमितताओं का आरोप

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पैनी नजर अब एक और बड़े बैंक पर टिक गई है. इंडसइंड बैंक के बाद अब विदेशी बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड (Standard Chartered Plc) आरबीआई के रडार पर आ गया है. खबर है कि इस बैंक ने छोटे और मझोले उद्यमों (SMEs) को ऐसे जटिल फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स बेचे, जिनमें भारी जोखिम था लेकिन ग्राहकों को इसकी पूरी जानकारी नहीं दी गई. अब आरबीआई इस मामले की गहन जांच कर रहा है और कभी भी बड़ी कार्रवाई हो सकती है.

क्या है पूरा मामला?

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने छोटे और मझोले कारोबारियों को कुछ ऐसे डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स बेचे जो उनके लिए बिल्कुल सही नहीं थे. इनमें खास तौर पर Target Redemption Forwards (TRFs) जैसे जटिल प्रोडक्ट्स शामिल हैं. ये प्रोडक्ट्स आमतौर पर बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए डिजाइन किए जाते हैं जिनके पास जोखिम उठाने की क्षमता और समझ होती है लेकिन छोटे कारोबारियों को ये प्रोडक्ट्स बेचते वक्त बैंक ने जोखिम की पूरी जानकारी देने में लापरवाही बरती.

RBI को जांच में पता चला कि इन TRFs में भारी नुकसान की आशंका थी, लेकिन बैंक ने ग्राहकों को इस बारे में ठीक से नहीं बताया. यही वजह है कि अब आरबीआई ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है. छोटे कारोबारियों को ऐसे जोखिम भरे प्रोडक्ट्स बेचना बैंक के लिए मुसीबत बन सकता है.

RBI की जांच में क्या-क्या है शामिल?

RBI इस मामले को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ रहा. सूत्रों के मुताबिक, आरबीआई की जांच कई पहलुओं पर चल रही है. इनमें शामिल हैं-

डेरिवेटिव सेल्स की प्रैक्टिस: बैंक ने इन जटिल प्रोडक्ट्स को बेचते वक्त क्या प्रक्रिया अपनाई? क्या ग्राहकों को पूरी पारदर्शिता बरती गई?
रिस्क गवर्नेंस: बैंक ने जोखिम प्रबंधन के लिए क्या कदम उठाए? क्या ग्राहकों को जोखिम की पूरी जानकारी दी गई?
रिजर्व मेंटेनेंस: क्या बैंक ने RBI के नियमों के मुताबिक पर्याप्त रिजर्व रखा था?
Forward Rate Agreement (FRA) की अकाउंटिंग: इन ट्रांजैक्शन्स का हिसाब-किताब कैसे रखा गया? क्या इसमें कोई गड़बड़ी है?
RBI की ये जांच इसलिए भी अहम है क्योंकि छोटे और मझोले उद्यम भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. इन्हें गलत फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स बेचकर नुकसान पहुंचाना न सिर्फ कारोबारियों के लिए बल्कि पूरे सिस्टम के लिए खतरनाक हो सकता है.

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का क्या है कहना?

इस पूरे मामले पर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की ओर से सधा हुआ जवाब आया है. मुंबई में बैंक के प्रवक्ता ने कहा, RBI हर साल बैंकों का रूटीन निरीक्षण करता है. अगर कोई खास ऑब्जर्वेशन होता है तो हम उसे सामान्य प्रक्रिया के तहत ठीक कर लेते हैं. प्रवक्ता ने ये भी साफ किया कि अभी तक RBI की ओर से कोई औपचारिक कार्रवाई नहीं की गई है. हालांकि, ये बात किसी से छिपी नहीं है कि बैंक की गतिविधियों की बारीकी से समीक्षा हो रही है.

बैंक भले ही इसे रूटीन प्रक्रिया बता रहा हो, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि मामला इतना आसान नहीं है. RBI की सख्ती और जांच की गहराई को देखते हुए स्टैंडर्ड चार्टर्ड को अपनी प्रैक्टिस में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं.

स्टैंडर्ड चार्टर्ड का भारत में कितना दायरा?

स्टैंडर्ड चार्टर्ड का भारत में पुराना और बड़ा नेटवर्क है. ये बैंक पिछले 165 सालों से भारत में कारोबार कर रहा है. देश के 42 शहरों में इसकी 100 शाखाएं हैं. बैंक का मुख्य कारोबार इन क्षेत्रों में है:

कॉर्पोरेट और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग: बड़ी कंपनियों को लोन, इन्वेस्टमेंट और फाइनेंशियल सॉल्यूशन्स देना.
वेल्थ मैनेजमेंट: हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स के लिए निवेश और फाइनेंशियल प्लानिंग.
रिटेल बैंकिंग: आम लोगों के लिए बैंकिंग सर्विसेज, जैसे सेविंग्स अकाउंट, लोन और क्रेडिट कार्ड.
भारत में विदेशी बैंकों में स्टैंडर्ड चार्टर्ड का नाम बड़ा है. लेकिन अब डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स की बिक्री को लेकर सवाल उठने से बैंक की साख पर असर पड़ सकता है.

RBI की सख्ती क्यों बढ़ रही?

RBI पिछले कुछ सालों से बैंकों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहा है, खासकर विदेशी बैंकों की डेरिवेटिव बिक्री को लेकर. इसका एक बड़ा कारण है छोटे कारोबारियों और आम ग्राहकों की सुरक्षा. डेरिवेटिव जैसे जटिल प्रोडक्ट्स में पारदर्शिता और जोखिम का खुलासा बेहद जरूरी है. अगर ग्राहक को सही जानकारी नहीं दी जाती, तो वो भारी नुकसान उठा सकता है.

पिछले कुछ सालों में कई बैंकों पर इस तरह की अनियमितताओं के लिए कार्रवाई हो चुकी है. इंडसइंड बैंक इसका ताजा उदाहरण है. अब स्टैंडर्ड चार्टर्ड पर RBI की नजर पड़ने से साफ है कि केंद्रीय बैंक इस मामले में कोई ढील देने के मूड में नहीं है.

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