
ग्राहकों की गाढ़ी कमाई गायब, सहकारी बैंक पर मनी लॉन्ड्रिंग का शक-ED ने 15 ठिकानों पर छापा मारा। केंद्रीय जांच एजेंसी ED ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एन. श्रीनिवास मूर्ति के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी कार्रवाई की है. एजेंसी ने उनके बेंगलुरु स्थित 15 लोकेशन पर छापेमारी की है. इस मामले में ईसीआईआर (ECIR) दर्ज की गई है. यह ECIR एन. श्रीनिवास मूर्ति और उनके परिवार के सदस्यों व करीबी सहयोगियों के खिलाफ बेंगलुरु के कई पुलिस थानों में दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई।
ग्राहकों की गाढ़ी कमाई गायब, सहकारी बैंक पर मनी लॉन्ड्रिंग का शक-ED ने 15 ठिकानों पर छापा मारा
क्या आरोप है?
दरअसल मूर्ति ने सुषरुति सौहार्द सहकारी बैंक की शुरुआत की थी. वह इस बैंक के चेयरमैन हैं. उनकी पत्नी धरनी देवी इस बैंक की डायरेक्टर हैं और उनकी बेटी मोक्षतारा फंक्शनल डायरेक्टर हैं. उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने अपने ग्राहको को उनकी राशि पर ब्याज देना बंद कर दिया
एन श्रीनिवास मूर्ति के खिलाफ की गई एफआईआर में आरोप है कि उनके द्वारा शुरू की गई बैंक ने ग्राहकों को उनकी फिक्स्ड डिपॉजिट और सेविंग अकाउंट पर ब्याज देना बंद कर दिया. जब लोगों ने इस बात से आपत्ति जताई और बैंक जाकर पूछताछ की कि ब्याज क्यों नहीं मिल रहा, तो बैंक कर्मचारियों ने सर्वर की समस्या बताकर टाल दिया. आरोप है कि चेयरमैन, डायरेक्टर्स और बैंक के कुछ कर्मचारी मिलीभगत करके ग्राहकों की जमा की गई राशि को हड़प गए.
लोगों को कैसे अपने जाल में फंसाया
श्रीनिवास मूर्ति ने लोगों को ज्यादा ब्याज का लालच देकर बैंक में एफडी और टर्म डिपॉजिट खोलने को कहा. लोगों ने अपने और अपने परिवार के नाम पर बैंक में पैसा जमा कराया. बाद में उन्होंने श्रुति सौहार्द क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी शुरू की, जिसमें उनके रिश्तेदार बी.वी. सतीश (बहनोई) अध्यक्ष और दीपक जी (भतीजा) उपाध्यक्ष बने. शुरुआत में लोगों को ब्याज मिला, लेकिन 2021-22 के बाद न ब्याज मिला, न एफडी बंद करने दिया गया. कई लोगों को इसी तरह धोखा दिया गया.
कैसे चल रहा था गड़बड़झाला?
मूर्ति ने अलग-अलग वित्तीय संस्थाएं बनाई, जैसे श्री लक्ष्मी महिला को-ऑपरेटिव सोसायटी (जिसका संचालन उनकी दूसरी पत्नी करती है) और वहां भी लोगों से पैसे जमा कराकर ठगा. उन्होंने अपने, अपने परिवार और दोस्तों के नाम पर कई संपत्तियां खरीदीं. बैंक की हर जरूरी कमेटी (लोन, निवेश, ऑडिट आदि) के चेयरमैन खुद थे, जिससे बैंक की रकम का मनचाहा उपयोग कर सके. उन्होंने अपने करीबी लोगों को बिना किसी गारंटी के लोन दिए, जिनमें से ज्यादातर रकम बैंक को वापस नहीं मिली. लोन की रकम अक्सर कैश में निकाली गई या घुमा-फिराकर मूर्ति, उनके परिवार या उनके व्यापारिक संस्थानों के अकाउंट्स में डाली गई.
पैसे को ऐसे घुमाया
मूर्ति ने अपने परिवार, रिश्तेदारों और करीबियों के बैंक खातों के जरिए रकम को इधर-उधर घुमाया, जिससे असली स्रोत छुपाया जा सके. यह मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक तरीका है, जिसमें काले धन को वैध दिखाने के लिए बैंक खातों और संपत्तियों का इस्तेमाल किया गया.