Dr. Reddy’s Laboratories: डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज की जेनेरिक दवा वापसी: USFDA ने दी बड़ी जानकारी अमेरिका की फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट से पता चला कि डॉ रेड्डीज फार्मा कंपनी अमेरिकी बाजार में सीजीएमपी ( Current Good Manufacturing Practice) से डेविएशन के कारण सिनाकैल्सेट गोलियों की 3,31,590 बोतलें वापस मंगा रही है.
कोरोना के बाद अगर कोई कंपनी सबसे ज्यादा चर्चा में रही है तो वो डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज है. यह वही कंपनी है, जिसने भारत में रूसी कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक वी को उतारा है. हाल ही में इसकी कुछ कमियों के कारण इस कंपनी ने अमेरिकी बाजार से कई लाख बोतलें वापस मंगाई है. अमेरिका की फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ रेड्डीज ने अमेरिकी बाजार में सीजीएमपी ( Current Good Manufacturing Practice) से डेविएशन के कारण सिनाकैल्सेट गोलियों की 3,31,590 बोतलें वापस मंगा रही है.
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इस रिपोर्ट में बाताया गया है कि यह वापसी एफडीए की अंतरिम सीमा से अधिक एन-नाइट्रोसो सिनाकैल्सेट अशुद्धता मौजूद होने के कारण की गई है. ये दवा रक्त में उच्च कैल्शियम स्तर और हाइपरपैराथायरायडिज्म के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है. इतना ही नहीं इसके अलावा यूएसएफडीए ने ये भी बताया कि दवा निर्माता 60 मिलीग्राम और 90 मिलीग्राम की क्षमता वाली 35,880 और 10,584 और बोतलें वापस मंगा रहा है. बताया गया है कि इस प्रभावित लॉट का प्रोडक्शन भारत में किया गया है.
Dr. Reddy’s Laboratories: डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज की जेनेरिक दवा वापसी: USFDA ने दी बड़ी जानकारी
भारत की दूसरी सबसे बड़ी दवा कंपनी
डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल) एक विश्व स्तर की दवा कंपनी है. यह कंपनी सस्ती और नवीन दवाएं बनाने के लिए भी जानी जाती है. ये भारत की दूसरी सबसे बड़ी दवा कंपनी है. इस कंपनी की स्थापना भारत की अंजी रेड्डी ने की थी. इन्होंने कंपनी खोलने से पहले इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड में काम किया था. फिलहाल इरेज इसरायली इस कंपनी के सीईओ हैं.
इस कारण हुई कंपनी की स्थापना
1980 और 1990 के दशक में, जब भारत में औषधियों का आयात अधिक होता था और दवाएं आम आदमी की पहुंच से दूर थीं, तब डॉ. अंजी रेड्डी ने इसे बदलने का निश्चय किया. उन्होंने सस्ती लेकिन प्रभावी दवाओं के निर्माण पर जोर दिया ताकि देश आत्मनिर्भर बन सके. उनकी कंपनी, डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज ने भारतीय बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बनाई. देश आज जिस तरह दवाओं का निर्यात करता है, उसमें डॉ. रेड्डीज का बड़ा योगदान है.
न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड है कंपनी
साल 1993 में डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज भारत की पहली ऐसी कंपनी बनी, जिसने दवा की खोज और निर्माण में उल्लेखनीय प्रगति की. इसके बाद कंपनी की ख्याति लगातार बढ़ती गई और 2001 में यह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हुई. अंजी रेड्डी ने न केवल दवा उद्योग में ही अपनी छाप नहीं छोड़ी, बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी वो शुरू से सक्रिय रहे. उन्हें भारत और विदेशों में एक महान दानदाता (फिलेंथ्रोपिस्ट) के रूप में जाना जाता है.Dr. Reddy’s Laboratories: डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज की जेनेरिक दवा वापसी: USFDA ने दी बड़ी जानकारी
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