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निस्तार स्थल पर कब्जे का खेल भू-माफियाओं के आगे बेबस सिस्टम दबंगई बेनकाब,प्रशासन की परीक्षा शुरू सार्वजनिक जमीन हड़पने की साजिश

निस्तार स्थल पर कब्जे का खेल भू-माफियाओं के आगे बेबस सिस्टम दबंगई बेनकाब,प्रशासन की परीक्षा शुरू सार्वजनिक जमीन हड़पने की साजि

कटनी।। शहर में भू-माफियाओं के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। अब मालवीय गंज वार्ड, पुराना एवं नया गुरुनानक वार्ड क्षेत्र में भू-माफियाओं द्वारा सार्वजनिक पुरानी कुलिया निस्तार स्थान पर नाजायज कब्जा करने की कोशिश का मामला सामने आया है। स्थानीय रहवासियों ने इस संदर्भ में कलेक्टर, आयुक्त नगर निगम, महापौर एवं एसडीएम को शिकायत देकर स्थायी कार्यवाही की मांग की है। रहवासियों ने बताया कि नसरवान वाड़ा और गजानन कॉम्पलेक्स के पीछे का हिस्सा वर्षों से सार्वजनिक निस्तार स्थल कुलिया के रूप में इस्तेमाल होता आया है। यहां आज भी पुराने मकानों में खिड़की-दरवाजे खुले हैं और नए मकानों में भी खिड़कियां इस निस्तार स्थल की ओर खुलती हैं। यह प्रमाण है कि यह स्थान सार्वजनिक उपयोग का है। इसके बावजूद कुछ प्रभावशाली लोग जिसमें पंकज आहूजा, हासा सहजवानी, धनेश माखीजा एवं अन्य बीते छह माह पहले इस स्थान को अपनी निजी संपत्ति बताकर बाउंड्री वाल खड़ी करने का प्रयास कर चुके हैं। रहवासियों और नगर निगम की आपत्ति पर उस समय निर्माण कार्य रुक गया था।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि 12 सितम्बर को दोबारा मजदूर बुलाकर उक्त कुलिया पर निर्माण कार्य शुरू किया गया। जब रहवासियों और निगम अधिकारियों ने विरोध किया तो काम रुकवाया गया। लेकिन इसके बाद भी भू-माफिया बाज नहीं आ रहे और बार-बार कब्जे की कोशिश कर रहे हैं।
रहवासियों ने बताया कि इस संबंध में पहले भी कमिश्नर नगर निगम, महापौर, एसडीएम और कलेक्टर को शिकायत की जा चुकी है। दस्तावेज और रजिस्ट्रियां भी प्रस्तुत की गई हैं, जिनमें कुलिया का स्पष्ट उल्लेख है। बावजूद इसके आरोपियों के खिलाफ अब तक ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे भू-माफियाओं के हौसले और बढ़ गए हैं।
क्षेत्रवासियों में दीपक गोगवानी, नानक राम आलानी, विजय कुमार अग्रवाल, सुदामा आलानी, मुकेश बिचपुरिया, रवि मोहन सरावगी, शैलेन्द्र सौंधिया, संतोष शर्मा, गोकुल अग्रवाल, हिमांशु अग्रवाल सहित कई अन्य ने प्रशासन से अपील की है कि इस सार्वजनिक कुलिया पर हो रहे कब्जे को स्थायी रूप से रोका जाए।
कटनी में लगातार बढ़ते भूमाफियाओं के दखल से आम जनता त्रस्त है। सवाल यह उठ रहा है कि जब आम नागरिकों के पास दस्तावेजी प्रमाण मौजूद हैं और शिकायतें कई बार हो चुकी हैं, तब भी भू-माफियाओं को खुली छूट क्यों मिल रही है? क्या प्रशासन केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित है सार्वजनिक जमीनें माफियाओं की निजी संपत्ति में तब्दील होती जा रही है।

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