
दिल्ली जल बोर्ड की वेबसाइट के नाम पर बड़ा साइबर फ्रॉड, 4 महीने में उड़ाए गए 10 करोड़। दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board)की वेबसाइट अब साइबर ठगों के लिए एक आसान जरिया बन गई है. इस साइट पर एक ऐसा फीचर मौजूद है, जो लोगों को उनके पानी के कनेक्शन की जानकारी खोजने में मदद करता है, लेकिन यह ठगों के लिए एक सुनहरा अवसर बन गया है. इस सुरक्षा खामी के कारण लाखों दिल्लीवासियों की व्यक्तिगत जानकारी जोखिम में पड़ गई है, जिससे पिछले 4 महीनों में लगभग 10 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है।
दिल्ली जल बोर्ड की वेबसाइट के नाम पर बड़ा साइबर फ्रॉड, 4 महीने में उड़ाए गए 10 करोड़
Know Your KNO’ बना ठगी का जाल
दिल्ली जल बोर्ड का ‘Know Your KNO’ पोर्टल, जो उपभोक्ताओं को उनके 10 अंकों के पानी कनेक्शन नंबर (KNO) की जानकारी प्रदान करता है, अब धोखाधड़ी करने वालों के लिए डेटा चुराने का साधन बन गया है. कोई भी व्यक्ति केवल 10 अंकों का आंशिक पता दर्ज करके उपभोक्ताओं का पूरा नाम, पता, मोबाइल नंबर और KNO नंबर प्राप्त कर सकता है. इन जानकारियों का उपयोग करके ठग बिल की जानकारी तक पहुंच जाते हैं और खुद को दिल्ली जल बोर्ड का अधिकारी बताकर लोगों को डराते-धमकाते हैं।
क्या है ठगी का तरीका?
साइबर ठग उपभोक्ताओं से फोन, SMS या WhatsApp के माध्यम से संपर्क करते हैं और पानी का कनेक्शन काटने की धमकी देते हैं. वे पीड़ितों की व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, पता और बिल विवरण बताकर उनका विश्वास जीतते हैं, फिर उन्हें फर्जी लिंक या ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करते हैं. उदाहरण के लिए, आरके पुरम के 52 वर्षीय लक्ष्मण अग्रवाल को एक ठग ने बताया कि उनका पानी का कनेक्शन रात में काट दिया जाएगा क्योंकि उनका मीटर रीडिंग अपडेट नहीं है. ठग ने उनकी सभी जानकारी साझा की और केवल 12 रुपये की बकाया राशि का उल्लेख किया. इसके बाद, अग्रवाल ने एक फर्जी ऐप डाउनलोड किया, जिसके परिणामस्वरूप उनके खाते से 38,000 रुपये की राशि गायब हो गई।
स्कैम का दायरा: दिल्ली में 20% साइबर क्राइम
दिल्ली पुलिस के अनुसार, राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर हर महीने लगभग 5,000 शिकायतें दर्ज होती हैं, जिनमें से 700 से अधिक जल बोर्ड से संबंधित धोखाधड़ी की होती हैं. यह आंकड़ा दिल्ली के कुल साइबर अपराध का 20% है. पिछले चार महीनों में इस प्रकार के धोखाधड़ी से 10 करोड़ रुपये की हानि हुई है, और हर महीने कम से कम 100 लोग इसके शिकार बन रहे हैं. एक पुलिस इंस्पेक्टर ने बताया कि ठग अक्सर छोटी राशि, जैसे 12 रुपये, का उल्लेख करते हैं, लेकिन पीड़ितों से 20,000 से 50,000 रुपये तक की ठगी कर लेते हैं।
पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारियां
2 जून को, झारखंड के जामताड़ा और देवघर से पुलिस ने तीन ठगों को गिरफ्तार किया. उनके उपकरणों की जांच के दौरान 35 अन्य मामलों का पता चला, जिसमें एक मोबाइल नंबर के माध्यम से 14 व्यक्तियों को निशाना बनाया गया था. दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस अमित गोयल ने बताया कि पिछले चार से पांच महीनों में इस प्रकार की कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं, और धोखाधड़ी का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
जल बोर्ड ने साधी चुप्पी?
DJB ने 3 जून को एक सोशल मीडिया एडवाइजरी जारी की, जिसमें उपभोक्ताओं को फर्जी कॉल्स, SMS और WhatsApp संदेशों से सतर्क रहने की सलाह दी गई. हालांकि, DJB ने इस कमजोर पोर्टल में सुधार करने की कोई योजना नहीं बनाई है. एक अधिकारी ने बताया कि लोगों को KNO नंबर की आवश्यकता होती है और वे हर बार कार्यालय नहीं आ सकते, इसलिए वर्तमान में वेबसाइट में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है।
साइबर एक्सपर्ट की चेतावनी
डॉ. पवन दुग्गल, जो साइबर सिक्योरिटी के विशेषज्ञ हैं, ने बताया कि यह समस्या केवल जल बोर्ड तक सीमित नहीं है. कई सरकारी पोर्टल्स में साइबर सुरक्षा की गंभीर खामियां मौजूद हैं, जिसके कारण लोगों की निजी जानकारी असुरक्षित रूप से उपलब्ध है, जो कि IT नियमों का उल्लंघन है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह इन पोर्टल्स की सुरक्षा को मजबूत करे और नागरिकों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के उपाय करे।