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विधायक संजय पाठक की पहल के बाद मुक्त हुए आंध्रप्रदेश में बंधक बने कटनी के युवा बेरोजगार

कटनी। आंध्रप्रदेश व तमिलनाडू की सीमा रेखा पर व जंगलों के बीच में स्थित एक आम जूस बनाने वाली कंपनी में महिनों से बंधक जिले के युवा बेरोजगार को पूर्वमंत्री एवं विधायक संजय सत्येन्द्र पाठक की पहल पर पुलिस ने मुक्त कराया है। कंपनी से मुक्त होकर आज दर्जनों युवा बेरोजगार व मजदूर पाठक वार्ड स्थित शांति भवन विधायक संजय सत्येन्द्र पाठक का आभार प्रकट करने पहुंचे। विधायक श्रीपाठक के जिले से बाहर होने के कारण उनके निज सहायक अर्जुन तिवारी ने सभी को मिठाई खिलाकर सभी को मुक्त होने पर बधाई दी। इस दौरान युवा बेरोजगार व मजदूरों ने कंपनी में बंधक रहने के दौरान प्रताड़ना व मारपीट की जो कहानी सुनाई। उसे सुनकर वहां मौजूद लोगों के रोंगटे खड़े हो गए।

पाठक वार्ड पर शांति भवन पर विजयराघवगढ़ तहसील के अंतर्गत ग्राम जरारोड़ा कारीतलाई निवासी युवा बेरोजगारों व मजदूरों के समूह ने मीडिया को बताया कि महिनों पूर्व गांव के ही अशोक दुबे नामक युवक के माध्यम से रायबरेली उत्तरप्रदेश निवासी अब्दुल वाजिद खांन नामक युवक ने गांव आकर सभी से संपर्क किया और आंध्रप्रदेश की एक कंपनी काम करने के एवज मोटी सैलरी व रहने-खाने की व्यवस्था का लालच देकर सभी को अपने साथ ले गया। बेरोजगार युवकों ने बताया कि अब्दुल वाजिद खांन सभी को आंध्रप्रदेश व तमिलनाडू की सीमा रेखा पर जंगलों में स्थित आम जूस बनाने वाली कंपनी (फ्रूट एंड फिंस) लेकर गया। जहां उनको बंधक बनाकर मजदूरी कराई जाने लगी और काम न करने पर मारपीट की जाने लगी। वेतन की मांग करने पर कई लोगों को लोहे की राड तक से मारा गया। जिसके कारण सभी भयभीत हो गए और किसी तरह वहां से मुक्त होने का रास्ता खोजने लगे। भागकर कटनी पहुंचे युवाओं ने किया खुलासा युवा बेरोजगारों ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व छोटू व एक अन्य युवक किसी तरह अब्दुल वाजिद खान को चकमा देकर भागे और कटनी पहुंच कर अपने परिजनों सहित वहां बंधक सभी लोगों की आपबीती सुनाई। जिसके बाद परिजनों ने पूर्वमंत्री व विधायक संजय सत्येन्द्र पाठक से संपर्क किया और पूरी घटना विस्तार से बताई। परिजनों से पूरी जानकारी लेने के बाद विधायक श्री पाठक ने मामले से पुलिस अधीक्षक ललित शाक्यवार को अवगत कराते हुए मामले में कार्रवाई और कंपनी में बंधक मजदूरों को मुक्त कराने का आग्रह किया। जिसके पश्चात पुलिस विभाग के सहायक उपनिरीक्षक एच.जी.झारिया व आरक्षक समसेर सिंह वहां से भागकर आए युवा बेरोजगारों को साथ लेकर आंध्रप्रदेश पहुंचे और फिर वहां की पुलिस को साथ लेकर जंगलों के बीच में स्थित कंपनी में धावा बोला। बताया जाता है कि अपने दो साथियों को पुलिस के साथ देखकर वहां बंधक सभी लोगों की आंखे छलक आईं और सभी पुलिस के पास रोते हुए मदद के लिए दौड़े। पुलिस ने कंपनी प्रबंधन से बात कर सभी मजदूरों का हिसाब कराया और फिर कंपनी के ही एक वाहन से सभी को स्टेशन भिजवाया। जिसके बाद सभी युवा बेरोजगार व मजदूर मुक्त होकर कटनी पहुंचे।

पुलिस को देख जंगलों में भागा अब्दुल
आंध्रप्रदेश से सभी युवा बेरोजगारों व मजदूरों को साथ लेकर कटनी पहुंचे आरक्षक समसेर सिंह ने बताया कि कंपनी के अंदर पुलिस के पहुंचते ही सभी को आंध्रप्रदेश ले जाने के बाद वहां कंपनी में बंधक बनाकर मजदूरी कराने वाला रायबरेली उत्तरप्रदेश निवासी अब्दुल वाजिद खान जंगलों की ओर भाग गया। पुलिस उसके विरूद्ध मामला दर्ज कर उसकी गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है।

इतने मजदूर हुए मुक्त
पूर्वमंत्री एवं विधायक संजय सत्येन्द्र पाठक की पहल पर पुलिस ने आंध्रप्रदेश में बंधक जिन युवा बेरोजगारों व मजदूरों को मुक्त कराया है। उसमें विजयराघवगढ़ तहसील के ग्राम जरारोड़ा कारीतलाई निवासी अर्जुन यादव, शुखेंद्र नापित, अशोक यादव, रामदिया सिंह, उमेश सिंह रतिराम कोल, अनंत सेन, बबलू सेन, मुलई केवट, चंद्रभान नापित, शुभम सेन, मुन्ना केवट, मिथलेश रजक, प्रलाद केवट, संजय यादव, राम कुशल यादव, उमाशंकर सेन, अंकित सेन, देवराज यादव, अजय यादव, राजा दहिया, किशोर यादव, सोनू यादव शामिल हैं। इसके अलावा उमरियापान थाना अंतर्गत ग्राम भनपुरा की पांच महिलाओं को भी पुलिस ने कंपनी से मुक्त कराया है।

जिले के सैकड़ों मजदूर अब भी बंधक
मुक्त होकर लौटे मजदूरों ने यह भी बताया कि दूसरे अब्दुल वाजिद खान के अलावा दूसरे ठेकेदारों के माध्यम से कंपनी मजदूरी करने पहुंचे जिले के सैकड़ों मजदूर अब भी वहां बंधक बनकर मजदूरी कर रहे हैं। इस बात को लेकर जब मजदूरों के साथ लौटे आरक्षक समसेर सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि वहां मजदूरी कर रहे जिले के अन्य मजदूरों से कंपनी प्रबंधन ने मिलने नहीं दिया और इनके अलावा किसी अन्य मजदूर ने अपनी पीड़ा व समस्या नहीं बताई। जिसके कारण उनकी वहां से रिहाई के प्रयास नहीं किए गए।

काम न करने पर की जाती थी मारपीट
युवा बेरोजगार व मजदूरों ने यह भी बताया कि कंपनी में काम न करने व वेतन सहित अन्य सुख सुविधाएं मांगने पर यहां से मजदूरी कराने ले जाने वाला अब्दुल वाजिद खान व उसका साथी सोभी खान बुरी तरह मारपीट करते थे। यहां तक की उनके साथ लोहे की राड तक से मारपीट की जाती थी। मजदूरों ने मारपीट के बाद शरीर पर बने घाव के निशान भी दिखाए।

आईडी व पर्स भी छीना
मजदूरों के मुताबिक अब्दुल वाजिद खान ने कंपनी पहुंचने के साथ ही उनका पर्स, परिचय पत्र व आधारकार्ड तक अपने पास छीन कर रख लिया था। उसे भी वापस मांगने पर मारपीट की जाती थी। इसके अलावा एक कमरे में दो दर्जन से अधिक मजदूरों को मवेशियों की तरह रखा जाता था। खाना भी अच्छा नहीं दिया जाता था।

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