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विधानसभा चुनावः कटनी जिले में 50-50 के हालात

कटनी। विधानसभा चुनावों के समय नजदीक आते ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गईं हैं। वैसे तो कटनी जिले में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होता आया है और इस बार भी स्थिति यही नजर आ रही है। ताजा राजनीतिक हालात को देखें तो कटनी जिले में 50-50 की स्थिति हो सकती है। माना जा रहा है कि कटनी जिले में 2 विधानसभा कांग्रेस और 2 पर भाजपा कब्जा कर सकती है वर्तमान में यहां तीन सीट पर भाजपा काबिज है जबकि एक सीट कांग्रेस के पास है।जनता के रुख बनते गठबंधन और एंटी इनकम्बेंसी फेक्टर पूरे प्रदेश की तरह कटनी में भी अपना प्रभाव छोड़ेगी 

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कटनी जिले के ताजा राजनीतिक हालत पर किये गए सर्वे में कटनी जिले की शहरी सीट अर्थात मुड़वारा और ग्रामीण सीट विजयराघवगढ़ भाजपा के पास रह सकती है, जबकि बड़वारा और बहोरीबंद पर कांग्रेस का कब्जा हो सकता है। इसमे से एक सीट बड़वारा भाजपा से कांग्रेस छीन सकती है। वैसे भी यह सुरक्षित सीट है, लिहाजा यहां सम्भवतः होने वाले बसपा और कांग्रेस के गठबंधन का लाभ कांग्रेस को मिल सकता है।

कुछ ऐसी ही स्थिति बहोरीबंद में भी नजर आ रही है। यहां पिछली दफा भी कांग्रेस को बहुजन समाज पार्टी का लाभ मिला था, क्योंकि वहां से कांग्रेस के वर्तमान विधायक कुछ समय पहले ही बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे। स्वाभाविक है कि बीएसपी के एक बड़े वोट बैंक में सेंध लग गई थी। यहां दूसरा कारण भी कांग्रेस को फायदा पहुंचाने वाला है वो यह है कि भाजपा के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त। देखा जाए तो भाजपा के सबसे अधिक दावेदार अगर कहीं हैं तो वो बहोरीबंद भी है, ऐसे में भाजपा जिसे भी टिकट देगी उसका बाकी वंचित दावेदार समर्थन करें यह सम्भव नहीं है।

बात कटनी की शहरी सीट मुड़वारा की हो तो यहां भी भाजपा के लिए प्रत्याशी घोषित करना काफी टेढ़ी खीर है, लेकिन गत तीन चुनावों को देखा जाए तो भाजपा का वोट बैंक लगातार बढा है। करीब 40 हजार के अंतर को कांग्रेस कम कर पाने में फिलहाल सक्षम नहीं दिख रही। हालांकि गौर करने वाली बात यह भी है कि भाजपा के वोट प्रतिशत तभी बढ़े जब यहां से प्रत्याशी चेंज किया गया। प्रत्याशी रिपीट होने पर पार्टियों को पराजय का स्वाद चखना पड़ा है।

तीसरी अहम सीट विजयराघवगढ़ में भी पिछले चुनावों की भारीभरकम लीड यहां से पुनः बीजेपी को काबिज कराने के लिए काफी है। गौरतलब है कि उप चुनाव जिसमे अक्सर भाजपा का रिकार्ड खराब रहता है, वहां विगढ़ में उप चुनाव में भाजपा ने करीब 52 हजार मतों से जीत दर्ज कर इतिहास बनाया था। इस लम्बे अंतर को भर पाना विगढ़ में कांग्रेस के बस की बात नहीं दिख रही।

उधर सुरक्षित सीट बड़वारा भाजपा के लिए सिरदर्द बनी रही यहां पहले भी भाजपा वैसा चुंनाव नहीं जीत सकी जैसा वह चाहती थी। हालांकि कुछ समय पहले लोकसभा चुनाव में बड़वारा से भाजपा को लीड मिली थी लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के अंतर को ध्यान में रखा जाए तो इस सीट पर कांग्रेस बीएसपी का सम्भावित गठबंधन भाजपा से सीट छीन सकता है।

कुल मिलाकर जिले में अभी तक तो 50-50 के हालात उभरते दिख रहे गए आने वाले दिनों में राजनीति का ऊँट किस करवट बैठता है यह साफ हो जाएगा। इसमे क्षेत्रीय दलों की भी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

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