पहली पत्नी के छोड़ने पर टूट चूके थे कार्तिक, फिर दीपिका ने खोला किस्मत का ताला

खेल डेस्क। टीम इंडिया के विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक अपना 33वां जन्मदिन मना रहे हैं। 1 जून 1985 को तमिलनाडु के चेन्नई में जन्मे दिनेश ने महज 10 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। दिनेश क्रिकेट के साथ-साथ अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी काफी चर्चाओं में रहे हैं। अाईपीएल के 11-सीजन में कोलकाता नाइट राइडर्स की कप्तानी करने वाले दिनेश कार्तिक के लिए यह सीजन काफी अच्छा गुजरा । अपनी कप्तानी में वह टीम को प्लेअॉफ तक ले जाने में सफल रहे।
जब कार्तिक की शादीशुदा लाइफ में छाए थे घने काले बादल
किसी वक्त दिनेश कार्तिक को एक ऐसा दर्द मिला था जिसे वह जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे। उनकी शादीशुदा लाइफ में तब घने काले बादल छागए। जब कार्तिक की पहली पत्नी निकिता ने उन्हें तलाक दे कर उन्हीं के करीबी दोस्त मुरली विजय से शादी कर ली।
टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया के भरोसेमंद ओपनर मुरली विजय और कार्तिक काफी अच्छे दोस्त थे। दोनों सालों से अपने घरेलू राज्य तमिलनाडु के लिए साथ में क्रिकेट के मैदान पर विरोधियों का मुकाबला कर रहे थे, जबकि मैदान के बाहर विजय दिनेश कार्तिक की बीवी निकिता से चोरी-छिपे इश्क लड़ा रहे थे। जब दोनों के अफेयर की खबरों ने जोर पकड़ा तो कार्तिक से यह बर्दाशत नहीं हुअा अौर उन्होंने तुरंत निकिता से तलाक लेने का फैसला किया। कार्तिक से तलाक लेने के बाद निकिता ने मुरली से शादी कर ली।
दीपिका के साथ से खुली किस्मत
इससे कार्तिक अौर भी टूट चूके थे अौर वह मानसीक तौर पर बिमार भी रहने लगे थे। वह अपनी पत्नी के इस धोखे को असानी से भूला नहीं पा रहे थे। निकिता से तलाक के बाद कार्तिक काफी हताश थे। इसी बीच उनकी जिंदगी में एंट्री हुई दीपिका पल्लीकल की।
दिनेश कार्तिक और दीपिका की मुलाकात 2013 में हुई थी। दीपिका ने कार्तिक को सहारा दिया। दो साल तक चले अफेयर के बाद अगस्त 2015 में शादी कर ली। दीपिका क्रिश्चियन हैं जबकि दिनेश हिंदू हैं इसलिए दोनों ही धर्मों के रीति-रिवाजों से उनकी दो बार शादी हुई।
दोनों ने 18 अगस्त 2015 को पहले क्रिश्चियन रीति-रिवाज और फिर 20 अगस्त को हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार शादी की। इसके बाद से ही दिनेश कार्तिक के खेल में गजब का बदलाव देखने को मिला।
निदास ट्रॉफी में बांग्लादेश के खिलाफ जीत दिलाकर की शानदार वापसी
दिनेश कार्तिक ने साल 2004 में भारतीय टीम में अपना डेब्यू किया था, लेकिन 14 साल बाद भी वह टीम में स्थाई सदस्य के रूप में अपनी जगह बनाने में कामयाब नहीं रहे। हालांकि यह साल कार्तिक के क्रिकेट करियर के लिए शानदार रहा।
निदास ट्रॉफी के फाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ कार्तिक ने अंतिम गेंद पर छक्का लगाकर भारतीय टीम को एक यादगार जीत दिलाने का काम किया।