दुखद खबर-दुनिया के दुख में भागीदार बनने वाला शहर मासूम वैष्णवी को नहीं बचा सका

जब तक मिलती मदद तब तक हो गई देर, सबको छोड़ गई नन्ही वैष्णवी, लीवर की बीमारी से जूझती कटनी की बालिका की भोपाल में मौत, गरीब की मदद के लिए नहीं उठे सहायता के हाथ
कटनी। इसे सरकारी तंत्र की औपचारिकता की लंबी फेहरीस्त कहें या फिर लाचारी। देश और प्रदेश में यूं तो तमाम सरकारी योजनाएं दावा करतीं हैं कि किसी भी मासूम को बीमारी से मरने नहीं दिया जाएगा। देश प्रदेश अथवा शहर में भी तमाम संस्थाएं मदद के लिए जहां तहां तम्बू टांग कर चंदा इकठ्टा कर उसका खूब फोटो सेसन करातीं हैं। कल जब शहर में जगह जगह दूर केरल में बाढ़ की चिंता के लिए शहरवासियों के हाथ सहायता के लिय सामने आ रहे थे तब कटनी की एक मासूम जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही थी।
सोशल मीडिया के जरिये आग की तरह वैसे तो किसी भी नेता की तस्वीरें वायरल हो जातीं हैं लेकिन इस मासूम की अंतिम तस्वीर उस तरह वायरल नहीं हो सकी। एनकेजे निवासी सुनील राय की 6 वर्षीय पुत्री वैष्णवी को कुछ दिन पहले पीलिया हुआ था। जिसका इलाज चल रहा था। हालत बिगड़ी तो डाक्टरों ने बताया कि मासूम का लीवर काम नहीं कर रहा। सुनील प्राइवेट नौकरी करता था। लीवर ट्रांसप्लांट में करीब 20 लाख रूपये का खर्च न तो सुनील वहन करने में सक्षम था न ही उसका परिवार। मासूम को भोपाल के हास्पिटल में भर्ती कराया गया था। हालत दिनों दिन खराब हो रही थी।
इस बीच दो दिन पहले सुनील में पीएम मोदी, सीएम शिवराज सहित शहर और प्रदेश के सभी जिम्मेदार तथा सक्षम लोगों से सहयोग की अपील की लेकिन जब तक उसे सहयोग का एक हाथ भी मिल पाता तब तक काफी देर हो चुकी थी। आज सुबह दुखद खबर आई की मासूम वैष्णवी अब नहीं रही। दुनिया के दुख में भागीदार बनने वाला यह शहर आज रक्षा बंधन से एक दिन पहले एक बहन की रक्षा नहीं कर सका। इसे अफसोस कम दुर्भाग्यपूर्ण ज्यादा कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं। सुनील के दो पुत्र तथा यह एक मात्र पुत्री थी। दो छोटे छोटे भाईयोंं ने राखी के एक दिन पहले अपनी बहन खो दी। तमाचा है उन लोगों तथा उन योजनाओं पर जिसमें कहा जाता है कि बीमारी से किसी मासूम की देश प्रदेश में मौत नहीं होने देंगे। तमाचा उन्हें भी जो देश दुनिया के लिए चंदा इकठ्ठा करने काफी सक्रिय हो जाते हैं लेकिन धन के आभाव में न जाने कितनी वैष्णवी मौत के मुंह में चली जाती हैं।