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घँसौर: दूध के भरोसे एनआरसी में भर्ती कुपोषित बच्चे

घंसौर। कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने तथा कुपोषण का कलंक मिटाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद व्यवस्थाएं लचर है आलम यह है कि आदिवासी अंचल कहे जाने वाले घंसौर विकासखंड में कुपोषित बच्चों को कुपोषण मुक्त कराने के उद्देश्य से खोले गए पोषण पुनर्वास केंद्र के संचालन में भारी लापरवाही बरती जा रही है।

मिली जानकारी के अनुसार केंद्र में भर्ती बच्चे केवल दूध के भरोसे दिन काट रहे हैं स्पेशल डाइट बच्चों को कई दिनों से नहीं मिल पा रही है बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार या गिरावट जानने के लिए बच्चों के वजन को प्रतिदिन मापने वाली मशीन कई माह से खराब है। जिसके चलते यहां पदस्थ चिकित्सीय स्टाफ यह बताने में असफल साबित हो रहा है कि भर्ती बच्चों के स्वास्थ्य में कोई सुधार हुआ भी है या नहीं, नियमानुसार बच्चों को दूध के अलावा स्पेशल डाइट एस एफ, एफ – 100, एफ – 75 तैयार कर दिया जाना चाहिए। यह स्पेशल डाइट विशेष तौर पर पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती बच्चों को दिए जाने के निर्देश हैं लेकिन घंसौर के इस केंद्र में भर्ती बच्चों को पोषण के रूप में दूध और दाल – चावल दिया जा रहा है। जिसके कारण कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है कहा तो यह भी जा रहा है कि जिस दुकान से सामग्री खरीद कर लाई जा रही थी उन दुकानदारों ने उधार नहीं चुकाने के कारण सामग्री की सप्लाई बंद कर दिया है।

ऐसा नहीं है कि इस लापरवाही की जानकारी पदस्थ बीएमओ विजेंद्र चौधरी और प्रभारी बीपीएम दिशा किरण गजभिये को उपलब्ध ना हो, जानकारी होने के बावजूद बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है बताया तो यह भी जा रहा है कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से एनआरसी केंद्रों का संचालन किया जाता है जहां ब्लॉक स्तर पर स्थापित ऐसे केंद्रों के संचालन हेतु भरपूर राशि उपलब्ध कराई जाती है, किंतु घंसौर के एनआरसी केंद्र के संचालन में राशि उपलब्ध नहीं होने का बहाना कर बच्चों के मुंह का निवाला छीना जा रहा है वर्तमान में यहां धनोरा के 07 कुपोषित बच्चे जबकि घंसौर के 02 बच्चे भर्ती हैं अपना घर परिवार छोड़कर 24 घंटे 14 दिनों तक अपने बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार की आशा से भर्ती कराने वाली माताओं में इस लापरवाही को लेकर आक्रोश भड़क रहा है, उल्लेखनीय है कि एनआरसी में 5 वर्ष से कम उम्र के अति कुपोषित बच्चों का उपचार किया जाता है कुपोषित बच्चों के कुपोषण को 33 प्रतिशत से कम कर प्रतिशत तक लाना मुख्य उद्देश्य है जब तक बच्चों के वजन में 15 प्रतिशत की वृद्धि नहीं हो जाती तथा बच्चे पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो जाती तब तक केंद्र में भर्ती रखा जाता है, लेकिन जिस तरह घंसौर के एनआरसी में लापरवाही बरती जा रही है उसके बाद बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार की उम्मीद करना बेमानी साबित होगा।

इनका कहना
विशेष डाइट के लिए सामग्री उपलब्ध नहीं है राशि नहीं मिलने के कारण दुकानदार सामान नहीं दे रहा है वेटिंग मशीन खराब है यह सभी जानकारी मैंने अपने अधिकारियों को दे दिया है।

भागेश्वरी परते
फीडिंग डेमोंस्ट्रेटर एनआरसी घंसौर

दुकानदार के सामग्री उपलब्ध नहीं कराने की जानकारी मुझे मिली है कुछ कारणवश दुकानदार सामग्री नहीं दे पा रहा है कोई बिल शेष नहीं है किसी अन्य दुकानदार से बात कर सामग्री उपलब्ध कराने के लिए संबंधित स्टाफ से कहा है।

दिशा किरण गजभिये
प्रभारी बीपीएम घंसौर, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन-

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