बिहार

क्या ‘हाथ’ का साथ पाने को बेताब हैं शिवपाल यादव!

न्‍यूज डेस्‍क्‍। जब दोस्ती के आड़े मजहब और जात-पात की दीवारें आड़े नहीं आती हैं तो फिर सियासी पार्टियां क्या चीज हैं. कांग्रेस नेता राजबब्बर संग सपा नेता और मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव की मुलाकातें कुछ इसी ओर इशारा कर रही हैं. खासतौर से कांग्रेस और सपा के सियासी गलियारों में बड़ी तेजी से चर्चाएं हो रही हैं कि आखिर राजबब्बर संग शिवपाल यादव की दो मुलाकातों के मायने क्या हैं.

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खास बात ये है कि जितनी जल्दी-जल्दी ये दो मुलाकातें हुई हैं उसके चलते भी राजबब्बर और शिवपाल यादव का मिलना-जुलना लोगों की निगाहों में आ गया है. सूत्रों की मानें तो राजबब्बर के स्तर पर तो शिवपाल यादव की शर्ते तय मानी जा रही हैं. बस एक मुलाकात राहुल गांधी संग होनी बाकी है. राहुल गांधी के चुनावी दौरों के चलते इस मुलाकात में देरी हो रही है.

खास भतीजे और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव संग शिवपाल की नाराजगी भी किसी से छिपी नहीं है. सूत्रों की मानें तो घर के अंदर शिवपाल को मनाने का काम भी चल रहा है. हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आज भी सपा का एक धड़ा शिवपाल यादव में आस्था रखता है. इसलिए सपा के वरिष्ठ नेता नहीं चाहते कि शिवपाल यादव सपा को छोड़कर कहीं और जाएं.
सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ने का मूड़ बना चुके हैं. और चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने फिरोजाबाद सीट को चुना है. इसके पीछे एक खास वजह ये भी बताई जा रही है कि फिरोजाबाद, शिकोहबाद और सिरसागंज में बड़ी संख्या में यादव जाति के लोग रहते हैं.

प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव भी फिरोजाबाद सीट से सांसद हैं. शिवपाल सपा से फिरोजाबाद से लोकसभा के लिए टिकट मांग रहे हैं. लेकिन इसको लेकर सपा में अभी तक कोई सहमति बनती हुई नहीं दिख रही है. जबकि जानकारों की मानें तो कांग्रेस के लिए फिरोजाबाद सीट को छोड़ना बेहद आसान है. उसका वहां कोई मजबूत दावेदार भी नहीं है.

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