VIDEO:कैमोर का ऐतिहासिक दशहरा- अपार जन सैलाब ने तोड़े सारे रिकार्ड, आतिशबाजी से चमका आसमान

कैमोर। एसीसी कैमोर के रामलीला मैदान में 60 से 70 हजार के अपार जनसैलाब के बीच भगवान राम ने रामलीला मंच से रावण की नाभि को लक्ष्य बनाकर अग्निबाण छोड़ा जो आकाश मार्ग से 500 मीटर की दूरी तय करता हुआ सीधे लक्ष्य पर जाकर लगा।
अग्निबाण लगते ही 80 फुट ऊंचा रावण का विशाल पुतला धू-धू कर जल उठा। आग की लपटें आसमान छूतीं नजर आईं। अन्याय, अहंकार और अत्याचार के प्रतीक रावण के पुतले का दहन होते ही मैदान में उपस्थित हजारों दर्शकों ने जयश्रीराम का गगनभेदी उद्घोष किया।
राज्यमंत्री संजय सत्येन्द्र पाठक, जिला पंचायत अध्यक्ष ममता रंगलाल पटेल, नगरपरिषद अध्यक्ष गणेश राव, उपाध्यक्ष अजय शर्मा सहित अनेक जनप्रतिनिधि, केन्द्र एवं राज्य शासन के उच्चाधिकारी एवं एसीसी एवरेस्ट के आला अधिकारी रामलीला मैदान में विजयादशमी पर हुये ऐतिहासिक पुतला दहन के साक्षी बने।
दोपहर में निकला दुर्गा प्रतिमाओं का चल समारोह
पूजन हवन एवं कन्या भोज के पश्चात दोपहर 2 बजे दुर्गा प्रतिमाओं का चल समारोह एसीसी रामलीला मैदान से प्रारंभ हुआ। जुलूस में एसीसी के अलावा एवरेस्ट एवं अन्य स्थानों पर स्थापित दुर्गा प्रतिमाएं भी शामिल थीं। रामलीला मंडली के कलाकार रामलीला के विभिन्न पात्रों की वेशभूषा में जीवंत झांकियों के साथ चल समारोह को और आकर्षक बना रहे थे। जुलूस मार्ग में दोनों ओर प्रतिमाओं और झांकियों के दर्शन करने भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
जुलूस मार्ग से लेकर विसर्जन स्थल पर साफ-सफाई एवं सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किये गये थे। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के अलावा एसीसी के अधिकारी व स्वयंसेवी कार्यकर्ता पूरे समय उपस्थित रहे। नगर की सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं द्वारा मार्ग में जगह जगह भोजन के पैकिट पेयजल शर्बत आदि का वितरण किया गया था। हर बार की तरह इस बार भी बड़ी प्रतिमाओं का विसर्जन क्रेन की सहायता से किया गया।
आतिशबाजी की रंगीन छटाओं से चमका आसमान
रावण का पुतला दहन होने से पहले आतिशबाजी का प्रदर्शन हुआ। जबलपुर के आतिशबाज ने एक से बढ़कर आकर्षक आतिशबाजी के नजारे पेश किये। जमीन से छूटे रॉकेट और बम आसमान में तेज धमाके के साथ फटते रहे उनसे रंगीन रोशनियों की फुहारेें पूरे आसमान को रंगीना बना देती रहीं। लगभग 40 मिनट तक लगातार तार आतिशबाजी होती रही और लोग इसमें डूबे रहे। आतिशबाजी खत्म होते ही रामलीला मंच से इलेक्ट्रिॉनिक तीर छोड़ा गया जो पांच मिनट में 500 मीटर की दूरी तय करके रावण के पुतले तक पहुंच गया और तेज विस्फोट के साथ पुतला धू-धू कर जल उठा।
डेढ़ महीने में 50 कारीगरों ने तैयार किया था विशाल पुतला
कैमोर में रावण के लगभग 80 फुट ऊंचे पुतले का निर्माण डेढ़ महीने पहले ही प्रारंभ हो गया था। आधा सैकड़ा से भी अधिक अनुभवी एवं कुशल कारीगर पुतला निर्माण में लगे रहे। दहन के तीन दिन पहले ही पुतला पूरी तरह बनकर तैयार हो गया था। इस बार रावण के लिए विशेष रथ भी तैयार किया गया था। रथारूढ़, ढाल तलवार एवं धनुषबाण सुसज्जित रावण के इस पुतले को तैयार करने में लगभग पांच लाख रूपए व्यय हुए हैं। इसमें एसीसी द्वारा प्रदान की जाने वाली क्रेन एवं अन्य मशीनरी का व्यय शामिल नहीं।