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कांग्रेस का टिकट: तब से शिवपुरी में सब कुछ थम गया, न मीटिंग हो रही; न बन रही चुनावी रणनीति

कांग्रेस का टिकट: तब से शिवपुरी में सब कुछ थम गया, न मीटिंग हो रही; न बन रही चुनावी रणनीति । शिवपुरी विधानसभा में कांग्रेस का टिकट भले ही फाइनल हो गया है, परंतु जब से टिकट आवंटन को लेकर उठे विवाद के बाद कांग्रेस पार्टी में शुरू हुई हलचल अचानक से थम गई है और कार्यकर्ता सायलेंट मोड में चले गए हैं। तीन दिन से न तो कांग्रेसियों की कोई बैठक हुई है और न ही कोई चुनावी रणनीति तैयार की गई है।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस शिवपुरी की पांचों विधानसभा में अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इसी क्रम में शिवपुरी विधानसभा से पिछोर के वर्तमान विधायक केपी सिंह को टिकिट दिया गया है। इतना ही नहीं केंपी सिंह ने भी शिवपुरी में माेर्चा संभालते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठकें लेना शुरू कर दी थीं। इस बात की रणनीति भी उनके खास कार्यकर्ता तैयार करने लगे थे कि किस क्षेत्र में कैसे चुनाव लड़ा जाए, लेकिन जब से भोपाल में वीरेंद्र रघुवंशी का टिकिट काटने को लेकर उनके समर्थकों ने हंगामा करने और कमलनाथ द्वारा कपड़े फाड़ने वाला बयान आया है, तब से शिवपुरी में सब कुछ थम गया है।

 

पुता हुआ विधायक वीरेंद्र रघुवंशी के नाम का बोर्ड

कांग्रेस से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि बुधवार को लगातार तीसरा दिन है, न तो किसी भी प्रकार की कोई बैठक की गई है और न ही चुनाव लड़ने की कोई रणनीति तैयार की गई है। इसके अलावा केपी सिंह की ओर से भी किसी तरह का कोई संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।

प्रत्याशी कोई भी हो, हम चुनाव लडेंगे

इस पूरे मामले में जब कांग्रेस जिलाध्यक्ष विजय सिंह चौहान से बात की गई तो उनका कहना था कि फिलहाल कांग्रेस ने जो सूची जारी की है, उसके अनुसार हमारे प्रत्याशी केपी सिंह हैं। अगर प्रत्याशी के नाम में किसी भी तरह का कोई परिवर्तन होता है तो उसे स्वीकार करेंगे। उनका कहना है कि प्रत्याशी कोई भी हो संगठन अपना काम कर रहा है और आगे भी करेगा। हम दो दिन बाद जनता के बीच जाएंगे।

इधर वीरेंद्र रघुवंशी के नाम का बोर्ड पुता

वहीं दूसरी ओर बात वीरेंद्र रघुवंशी की करें तो माधव नगर के प्रवेश द्वार पर लगा वीरेंद्र रघुवंशी के नाम का बोर्ड पहले भाजपा के रंग में रंगा हुआ था, जिसे कुछ दिन पहले कांग्रेसी रंग में रंगवा दिया गया था, परंतु अब इस बोर्ड को भी पुतवा दिया गया है। लगातार बदलते जा रहे रंगों को लेकर भी लोग तरह तरह के कयास लगा रहे हैं। इस संबंध में जब वीरेंद्र रघुवंशी से संपर्क का प्रयास किया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।

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