इस धरोहर की जवाबदारी अब तक किसी विभाग के पास नहीं

जबलपुर। इंटरनेट पर बैलेसिंग रॉक जबलपुर सर्च करते हैं तो मदन महल की पहाड़ी में बड़ी चट्टान की एक नोक पर दूसरी चट्टान टिकी दिखती है। पर्यटन विभाग के ब्रोशर और विभाग की वेबसाइट में इस नायाब इंजीनियरिंग को कुदरत का करिश्मा बताया गया है जो पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। लेकिन टूरिस्ट जब बैलेंसिंग रॉक को करीब से देखने पहुंचते हैं तो यहां की दुर्दशा उन्हें बेचैन कर देती है। दिन में असामाजिक तत्वों का डेरा। शाम होते ही ये शराबियों के पसंदीदे ठिकाने में तब्दील हो जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस धरोहर की जवाबदारी अब तक किसी विभाग के पास नहीं है, सरकारी रिकॉर्ड में ये निजी प्रॉपटी हो चुकी है। अब नगर निगम ने इस पर्यटन क्षेत्र की सुध ली है।
6.5 रेक्टर का भूकंप भी नहीं हिला सका
जबलपुर में 1997 में 6.5 रेक्टर स्केल का भूकंप आया। उसके बावजूद बैलेंसिंग रॉक नहीं हिला। ये लोगों को उत्सुक करने वाला था। जबकि शहर और आसपास भूकंप के झटके से कई इमारतें हिल गई। बाद में जबलपुर विकास प्राधिकरण ने इसका संरक्षण करते हुए आसपास संरक्षित क्षेत्र का लेख भी लिखवाया।
कॉलेज की जमीन में बैलेंसिंग रॉक
बैलेंसिंग रॉक अब पहाड़ी पर बने तक्षशिला इंजीनियरिंग कॉलेज की जद में आ गया है। प्राइवेट प्रॉपर्टी होने के कारण पर्यटन विभाग और नगर निगम कोई संरक्षण नहीं कर पा रहा। जबकि कॉलेज प्रबंधन खुलेतौर पर इसे सरकार को हैंडओवर करने तैयार है।
ग्रेनाइट के धमाकों से चट्टान में दरारें
शरदा मंदिर की पहाड़ी के करीब बैलेंसिंग रॉक को जबलपुर विकास प्राधिकरण ने संरक्षित किया है। हाल ही में रॉक को करीब से निहारने गए भू-वैज्ञानिकों ने ग्रेनाइट की इस चट्टानों के बीच में बारीक दरार देखी। वैज्ञानिकों के मुताबिक वैसे तो ये प्राकृतिक प्रक्रिया भी है, लेकिन डायनामाइट से होने वाले धमाके भी दरार के लिए जिम्मेदार हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो चट्टान को नुकसान पहुंच सकता है।
खोजते हैं टूरिस्ट, हालात देखकर कोसते हैं
नगर निगम महापौर डॉ.स्वाति गोडबोले ने पिछले दिनों बरगी में हुई पर्यटन विभाग की बैठक में बैलेंसिंग रॉक को पर्यटन केन्द्र के तौर पर डेवलप करने की बात कही। उन्होंने कहा कि बैलेंसिंग रॉक को देखने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। चट्टानों और इमारतों के बीच खोजकर पहुंचते हैं, लेकिन दुर्दशा को देखने के बाद टूरिस्ट कोसकर जाते हैं।उन्होंने नगर निगम को बैलेंसिंग रॉक हैंडओवर करने का सुझाव दिया ताकि इसका कायाकल्प किया जा सके। राज्यमंत्री शरद जैन ने भी इसके संरक्षण को लेकर कलेक्टर से बात की। इसके बाद कलेक्टर ने भूमि का अधिग्रहण की जरूरी प्रक्रिया पूरी करने का भरोसा जनप्रतिनिधियों को दिया।