इम्युनिटी बूस्टर ‘गिलोय’ से नहीं खराब होता लिवर, भ्रामक खबरों पर आयुष मंत्रालय ने बताई ये सच्चाई

नई दिल्ली Giloy not spoil liver । कोरोना महामारी के बचने के लिए लोग इन दिनों गिलोय औषधी का सेवन कर रहे हैं। इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों को देखते हुए गिलोय औषधि को आयुर्वेद में अमृत के समान माना जाता है, लेकिन मुंबई में बीते साल सितंबर से दिसंबर के बीच लिवर डैमेज के करीब 6 मामले सामने आए थे और इन सभी मरीजों में लिवर डैमेज का कारण गिलोय को बताकर कुछ भ्रामक खबरें सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी थी, लेकिन अब आयुष मंत्रालय ने इस मामले में सच्चाई सामने लाते हुए कहा है कि गिलोय को लिवर डैमेज से जोड़ना पूरी तरह से भ्रम पैदा करने वाली बात है।
आयुष मंत्रालय ने कही ये बात
आयुष मंत्रालय ने कहा कि गिलोय जैसी जड़ी-बूटी पर इस तरह की जहरीली प्रकृति का लेबल लगाने से पहले संबंधित लेखकों को मानक दिशा निर्देशों का पालन जरूर करना चाहिए और पौधों की सही पहचान करने की कोशिश करनी चाहिए थी, जो संबंधित लोगों ने ऐसा नहीं किया। आयुष मंत्रालय ने कहा कि जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के आधार पर एक मीडिया रिपोर्ट पर ध्यान दिया है, जो कि लिवर के अध्ययन के लिए इंडियन नेशनल एसोसिएशन की एक सहकर्मी की समीक्षा की गई पत्रिका है। इस शोध में बताया गया है कि गिलोय जड़ी बूटी टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (टीसी) के उपयोग से मुंबई में 6 मरीजों में लिवर डैमेज होने का मामला सामने आया है।
अध्ययन करने वालों ने शोध में विफल रहे
आयुष मंत्रालय ने कहा कि अध्ययन के लेखक मामलों के सभी आवश्यक विवरणों को व्यवस्थित प्रारूप में रखने में विफल रहे। गिलोय को लिवर की क्षति से जोड़ना भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के लिए भ्रामक और विनाशकारी होगा, क्योंकि आयुर्वेद में जड़ी-बूटी गिलोय का उपयोग लंबे समय से किया जा रहा है। आयुष मंत्रालय ने कहा कि अध्ययन का विश्लेषण करने के बाद पता चला है कि अध्ययन के लेखकों ने जड़ी-बूटी की सामग्री का विश्लेषण नहीं किया है, जिसका रोगियों द्वारा सेवन किया गया था।
आयुष मंत्रालय का कहना है कि अध्ययन में रोगियों के पिछले या वर्तमान मेडिकल रिकॉर्ड का भी लेखा-जोखा नहीं है। ऐसे में अधूरी जानकारी पर आधारित प्रकाशन भ्रामक होता है और आयुर्वेद की सदियों पुरानी प्रथाओं को बदनाम करने जैसा है। आयुष मंत्रालय ने कहा कि गिलोय और इसके सुरक्षित उपयोग पर सैकड़ों अध्ययन हैं। गिलोय आयुर्वेद में सबसे अधिक निर्धारित दवाइयों में से एक है और अभी तक किसी भी शोध में इसके इस्तेमाल से कोई भी प्रतिकूल घटना नहीं देखी गई है।