
भारतीय नौसेना की शक्ति में वृद्धि: AESA रडार सिस्टम और नए अपग्रेड्स के साथ आगे बढ़ेगा देश का जल शक्ति। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए और दुश्मन की हर चाल पर निगाह रखने के लिए नेवी के हेलिकॉप्टर को और अपग्रेड किया जाएगा।
इसके लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने एक बड़ा कदम उठाया और नए AESA रडार सिस्टम के लिए टेंडर जारी किया है। यह रडार भारतीय नौसेना के यूटिलिटी हेलीकॉप्टर-मैरिटाइम (UH-M) में लगाया जाएगा।
नौसेना इन हेलीकॉप्टर को समुद्र में निगरानी और ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल करती है. यह हेलीकॉप्टर 5.7 टन वजन का ट्विन-इंजन प्लेटफॉर्म है, जो एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) पर आधारित है और हर तरह के समुद्री मिशनों में तैनात किया जाता है।
सिर्फ भारतीय सप्लायर्स को मिलेंगे ये टेंडर
HAL के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक यह टेंडर HAL के हैदराबाद स्थित स्ट्रैटेजिक इलेक्ट्रॉनिक्स रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर ने जारी किया है. खास बात यह है कि यह टेंडर सिर्फ भारतीय सप्लायर्स के लिए है, ताकि मेक इन इंडिया योजना को बढ़ावा मिले.
क्या करेगा यह रडार?
नया AESA रडार हेलीकॉप्टर की समुद्री निगरानी क्षमता को कई गुना बढ़ाएगा. यह हर मौसम और दिन-रात ऑपरेशन में काम करेगा. इससे समुद्री लक्ष्यों का पता लगाना, पहचान करना और ट्रैक करना आसान होगा. यह रडार हेलीकॉप्टर की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा. इससे एक साथ कई समुद्री लक्ष्यों का पता लगाया जा सकेगा. इसके अलावा, यह मौसम की जानकारी, चलती नौकाओं का ट्रैकिंग, खोज और बचाव (SART/बीकन), और खास ISAR मोड में भी काम करेगा।
प्रोजेक्ट की योजना
रडार बनाने का काम अलग-अलग चरणों में पूरा किया जाएगा।
- पहले डिजाइन और डॉक्यूमेंटेशन का काम होगा.
- इसके बाद प्रोटोटाइप और टेस्टिंग यूनिट तैयार होंगे.
- फिर तीन सेट तैयार कर सॉफ्टवेयर और फर्मवेयर का सर्टिफिकेशन किया जाएगा.
- आखिर में क्वालिफिकेशन टेस्टिंग पूरी की जाएगी.
कुल मिलाकर पांच सेट रडार और जरूरी डॉक्यूमेंटेशन तैयार किया जाएगा।
कब शुरू होगा प्रोडक्शन?
अगर सब कुछ तय समय पर हुआ तो 2027 से इसका बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू हो जाएगा. शुरुआत में 3 रडार बनाए जाएंगे और 2030-31 तक हर साल 20 रडार बनने लगेंगे।
इस प्रोजेक्ट से भारतीय नौसेना को समुद्र में और ज्यादा मजबूत निगरानी क्षमता मिलेगी और भारत को पूरी तरह स्वदेशी तकनीक का फायदा होगा।