महिला पुलिस अधिकारियों की कमी: मध्य प्रदेश सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी है। मध्य प्रदेश में महिला पुलिस अधिकारियों की स्थिति पर गहरी चिंता है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत महिलाओं को 33% आरक्षण देने की घोषणा के बावजूद, मप्र पुलिस में महिला अधिकारियों की पदस्थापना में भेदभाव किया जा रहा है। लगभग 240 महिला डीएसपी होने के बावजूद, 20 से अधिक जिलों में उनकी मैदानी पदस्थापना नहीं है, और उन्हें लूप लाइन में रखा गया है।
इसके अलावा, 20 जिलों के किसी भी थाने में महिला निरीक्षक या उप निरीक्षक को थाना प्रभारी नहीं बनाया गया है, जबकि सौ से अधिक महिला निरीक्षक व उप निरीक्षक जिलों की पुलिस लाइन में हैं। यह स्थिति सरकार और पुलिस मुख्यालय की सोच में बदलाव की आवश्यकता को दर्शाती है।
महिला अधिकारियों को पुलिस लाइन में रखा जा रहा है, और आईजी, डीआईजी, एसपी कार्यालय में पदस्थ किया जा रहा है। कुछ पुलिस मुख्यालय और इंदौर-भोपाल में पुलिस आयुक्तों के अधीन काम कर रही हैं। आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को मैदानी पदस्थापना देने में भी सरकार भेदभाव करती है।
इस समस्या का समाधान करने के लिए, सरकार और पुलिस मुख्यालय को अपनी सोच बदलनी होगी और महिला पुलिस अधिकारियों की क्षमताओं पर भरोसा करना होगा। आशा गोपालन और एडना मौरिस जैसी महिला अधिकारियों ने अपने काम से इसकी मिसाल कायम की है।