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आज शाम आसमान में दुर्लभ नजारा: शनि, बुध, नेप्च्यून, शुक्र, गुरु, यूरेनस और मंगल एक साथ

आज शाम आसमान में दुर्लभ नजारा: शनि, बुध, नेप्च्यून, शुक्र, गुरु, यूरेनस और मंगल एक साथ।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस(National Science Day 2025) के अवसर पर आकाश में एक दुर्लभ खगोलीय घटना( Celestial Event) दिखाई देगी। शाम के समय सात ग्रह – शनि, बुध, नेप्च्यून, शुक्र, गुरु, यूरेनस और मंगल एक साथ आकाश में दिखाई देंगे। यह घटना खगोल प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अवसर होगी।
। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी की शाम शहर के खगोल प्रेमियों के लिए खास रहेगी। क्योंकि इस दौरान आकाश में सात ग्रह मौजूद रहेंगे, जिसे सोशल मीडिया पर ग्रहों की परेड कहा जा रहा है। हालांकि, यह परेड सीधी कतार में नहीं होगी, बल्कि ग्रह आकाश में पूर्व से पश्चिम की ओर बिखरे दिखाई देंगे।

विज्ञान प्रसारक और नेशनल अवार्ड विजेता सारिका घारू ने बताया कि सूर्यास्त के समय जब पश्चिम दिशा में सूर्य डूबेगा, उसी के साथ शनि (सैटर्न), बुध (मरकरी) और नेप्च्यून भी अस्त होंगे।

कुछ वर्षों में बनता है ऐसा संयोग
सारिका ने बताया कि सोशल मीडिया पर इसे दुर्लभ घटना के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह खगोलीय संयोग हर कुछ वर्षों में बनता रहता है। उदाहरण के लिए जनवरी 2016 और अगस्त 2022 में चार ग्रह दिखे थे। जुलाई 2022 में पांच ग्रह दिखाई दिए थे।

 

अगली ‘ग्रह परेड’ अगस्त 2025 और अक्टूबर 2028 में होगी, जब चार और पांच ग्रह देखे जा सकेंगे। हालांकि, यह संयोग इस बार शाम के समय बन रहा है, जिससे इसे आसानी से देखा जा सकता है। इसलिए इस खास खगोलीय नजारें का आनंद लें और राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाएं।

कितने ग्रह देख सकेंगे उपकरण से
सारिका के अनुसार, मंगल, बृहस्पति और शुक्र को तो बिना किसी उपकरण के आसानी से देखा जा सकता है। लेकिन बुध और शनि सूर्य की रोशनी में छिपे होने के कारण आसानी से नहीं दिखेंगे। वहीं, नेप्च्यून और यूरेनस को सिर्फ शक्तिशाली टेलीस्कोप से ही देखा जा सकता है। इस तरह, आम लोगों को सिर्फ तीन ग्रह ही साफ दिखाई देंगे।

आंचलिक विज्ञान केंद्र में ब्रह्मांड, ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया पर चर्चा

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर 28 फरवरी को आंचलिक विज्ञान केंद्र में सर सीवी रमन मेमोरियल व्याख्यान का आयोजन किया जाएगा। इस वर्ष का विषय ‘न्यूट्रिनो के माध्यम से ब्रह्मांड का अवलोकन’ रखा गया है, जिसे आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर शुभेंदु रक्षित प्रस्तुत करेंगे।

इस व्याख्यान में प्रो. रक्षित बताएंगे कि पहले खगोलशास्त्री ब्रह्मांड का अध्ययन केवल प्रकाश के माध्यम से करते थे, लेकिन अब न्यूट्रिनो नामक छोटे कणों की मदद से भी ब्रह्मांड की गहराइयों तक झांका जा सकता है।

ब्लैक होल की खोज पर भी करेंगे बात
खगोलशास्त्री डॉ. फ्रैंक आइज़ेनहावर (निदेशक, मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट, जर्मनी) दुनिया की सबसे तीक्ष्ण दूरबीनें और आकाशगंगा के केंद्र में ब्लैक होल की खोज विषय पर व्याख्यान देंगे। डॉ. आइज़ेनहावर इस व्याख्यान में बताएंगे कि हमारी आकाशगंगा के केंद्र में एक विशालकाय ब्लैक होल मौजूद है, जिसे वैज्ञानिकों ने कई वर्षों तक खोजने की कोशिश की, लेकिन यह हमेशा छुपा रहा।

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